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दिल्ली मेट्रो की मजेंटा लाइन अब ड्राइवरलेस, सभी ट्रेनों के ड्राइवर केबिन हटाए गए

नई दिल्ली
 दिल्ली मेट्रो की मजेंटा लाइन अब पूरी तरह से ड्राइवरलेस हो गई हैं। DMRC ने इस रूट पर चल रही सभी 29 ट्रेनों से ड्राइवर केबिन हटा दिए हैं, जिससे यात्रियों के लिए ज्यादा जगह बनेगी। फिलहाल, हर तीन-चार ट्रेनों के बाद एक अटेंडेंट मौजूद रहता है, लेकिन उन्हें भी धीरे-धीरे हटा दिया जाएगा। डीएमआरसी का कहना है कि पिंक लाइन पर भी जल्द ही यही व्यवस्था लागू की जाएगी। इससे पहले, जून में खबर आई थी कि मजेंटा लाइन पर ट्रेनें पूरी तरह से ऑटोमेटेड हो जाएंगी। हमारे सहयोगी अखबार टीओआई ने जून में ही रिपोर्ट किया था कि मजेंटा लाइन पूरी तरह से ऑटोमेटिक होगी।

मजेंटा लाइन पूरी तरह ड्राइवरलेस

DMRC के एक अधिकारी ने बताया कि मजेंटा लाइन अब पूरी तरह से ड्राइवरलेस है। हमने 29 ट्रेनों से ड्राइवर केबिन हटा दिए हैं, जिससे यात्रियों के लिए ज्यादा जगह बन गई है। हम चरणबद्ध तरीके से अटेंडेंट को भी हटा देंगे। मजेंटा और पिंक लाइन मिलाकर दिल्ली मेट्रो का ड्राइवरलेस नेटवर्क लगभग 97 किलोमीटर लंबा हो गया है। यह भारत का एकमात्र ड्राइवरलेस ट्रेन ऑपरेशन नेटवर्क है। DMRC के फेज- IV विस्तार के तहत आने वाले कॉरिडोर में भी ट्रेन ऑपरेशन ड्राइवरलेस होगा।

ट्रेनों से हटाए गए ड्राइवर केबिन

जनकपुरी वेस्ट-बॉटनिकल गार्डन मजेंटा लाइन पर दिसंबर 2020 में ड्राइवरलेस ट्रेन ऑपरेशन शुरू हुआ था। नवंबर 2021 में मजलिस पार्क-शिव विहार पिंक लाइन पर भी यह सुविधा शुरू की गई थी। लेकिन अब तक, यात्रियों में विश्वास और सहायता की भावना बनाए रखने के लिए एक ट्रेन ऑपरेटर मौजूद रहता था। DMRC के प्रबंध निदेशक विकास कुमार ने पहले बताया था कि हम इन दोनों लाइनों पर मिले अनुभव के साथ फेज IV में इसे जल्द से जल्द लागू करने की कोशिश करेंगे। फेज IV में ड्राइवरलेस संचालन के लिए, हमने कुछ उपाय किए हैं जैसे ट्रैक पर कैमरे लगाकर ट्रैक मॉनिटरिंग सिस्टम।

डीएमआरसी ने इसलिए ये लिया फैसला

DMRC अधिकारी ने पहले कहा था, 'ड्राइवरलेस ट्रेन संचालन से अधिक फ्लेक्सिबिलिटी आएगी। मानवीय हस्तक्षेप और मानवीय त्रुटियों में भी कमी आएगी। यह सिस्टम मेट्रो संचालन के दौरान कोच की उपलब्धता में सुधार करने में भी मदद करती है। ड्राइवरलेस ट्रेनें इंडक्शन से पहले की जाने वाली जांच की मैनुअल प्रक्रिया को समाप्त कर देती हैं, जिससे ट्रेन ऑपरेटरों पर बोझ कम होता है। डिपो में स्टेबलिंग लाइन पर पार्किंग भी स्वचालित रूप से होती है। DMRC फेज IV के प्रायोरिटी कॉरिडोर में ड्राइवरलेस संचालन को लेकर 312 कोच – 52 ट्रेनें खरीदेगा।

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