उत्तर प्रदेश

अनुसूचित जाति/ जनजाति और पिछड़े वर्ग में गहरी पैठ रखने वाले दलित वर्ग के है भोले बाबा

हाथरस

हाथरस में नारायण हरि साकार के नाम से प्रसिद्ध सूरजपाल उर्फ भोले बाबा के सत्संग के दौरान बड़ा हादसा हो गया। इसमें अब 121 मौतों हो चुकी हैं। अनुसूचित जाति/ जनजाति और पिछड़े वर्ग में गहरी पैठ रखने वाले भोले बाबा दलित वर्ग से हैं। मुस्लिम भी उनके अनुयायी हैं। भोले बाबा कहते हैं- मैं खुद कहीं नहीं जाता, बल्कि भक्त मुझे बुलाते हैं। भक्तों की फरियाद पर अलग-अलग स्थानों पर घूमकर समागम करते रहते हैं। इस समय उनके कई आईएएस-आईपीएस अफसर चेले हैं। अक्सर उनके समागम में राजनेता और अफसर पहुंचते हैं। शादियां भी कराई जाती हैं।

सोशल मीडिया पर लाखों फालोअर
उनका यूट्यूब चैनल और फेसबुक पर पेज भी है। यूट्यूब में 31 हजार सब्सक्राइबर हैं। फेसबुक पेज पर भी बहुत ज्यादा लाइक्स नहीं हैं। परंतु उनके तीन लाख से ज्यादा फालोअर हैं। उनके हर समागम में लाखों लोगों की भीड़ उमड़ती है।

काले रंग की पोशाक में रहती है भोले बाबा की आर्मी
भोले बाबा की खुद की आर्मी है। जिन्हें सेवादार कहा जाता है। हर मंगलवार को होने वाले कार्यक्रम की पूरी कमान यही सेवादार संभालते हैं। सेवादार देश से आने वाले श्रद्धालुओं के पानी, भोजन से लेकर ट्रैफिक की व्यवस्था करते हैं।

कोरोना काल में भी हुआ था विवाद
मई, 2022 में जब देश में कोरोना की लहर चल रही थी, उस समय फर्रुखाबाद में भोले बाबा ने सत्संग का आयोजन किया था। जिला प्रशासन ने सत्संग में केवल 50 लोगों के शामिल होने की इजाजत दी थी। लेकिन, कानून की धज्जियां उड़ाते हुए 50 हजार से ज्यादा लोग सत्संग में शामिल हुए थे। यहां उमड़ी भीड़ के चलते शहर की यातायात व्यवस्था ध्वस्त हो गई थी। उस समय भी जिला प्रशासन ने आयोजकों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की थी। इस बार भी कहा जा रहा है कि कार्यक्रम के लिए जितने लोगों के शामिल होने की बात प्रशासन को बताई गई थी, उससे कहीं ज्यादा लोग जुट गए थे।

कल से आगरा में होना था अयोजन
हाथरस के बाद आगरा में था कार्यक्रम भोले बाबा का अगला कार्यक्रम 4 से 11 जुलाई तक आगरा में था। सैंया थाना क्षेत्र में ग्वालियर रोड पर नगला केसरी में तैयारी चल रही थी। इसके पोस्टर भी लग गए थे।

 

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