रीवा और रतलाम में फोरेंसिक सैंपलों और जबलपुर में डीएनए सैंपलों की जांच के लिए नई लैब इसी वर्ष शुरू होंगी, बढ़ेगी DNA और फोरेंसिक सैंपलों की जांच क्षमता
भोपाल
प्रदेश में रीवा और रतलाम में फोरेंसिक सैंपलों और जबलपुर में डीएनए सैंपलों की जांच के लिए नई लैब इसी वर्ष एक अप्रैल से शुरू करने की तैयारी है। डीएनए लैब में हर माह 200 और प्रत्येक फोरेंसिक लैब में प्रतिमाह 150 से 200 सैंपलों की जांच की जा सकेगी। तीनों लैब का सिविल कार्य पूरा हो चुका है। भवन बनाने में 13 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं। अधिकारी और अन्य कर्मचारियों के 38 पद स्वीकृत हैं, जिन्हें भरने की प्रक्रिया जल्द शुरू होगी। इसके अतिरिक्त उपकरणों की खरीदी के लिए एक-दो दिन में निविदा जारी होगी।
लैब की क्षमता कम होने की वजह से जांच अटकी
बता दें कि प्रदेशभर के डीएनए के सात हजार और फोरेंसिक के 38 हजार सैंपलों की जांच लैब की क्षमता कम होने की वजह से अटकी हुई है, जिससे न्याय प्रक्रिया प्रभावित हो रही है। डीएनए जांच के लिए लंबित सैंपलों में लगभग 80 प्रतिशत जांच दुष्कर्म से संबंधित हैं। इस कारण पीड़ित को न्याय नहीं मिल पा रहा है। दो वर्ष पहले तक प्रदेशभर के फाेरेंसिक के 40 हजार से अधिक सैंपलों की जांच अटकी हुई थी।
अभी प्रतिमाह 800 से 1000 सैंपलों की जांच
बता दें कि अभी सागर, भोपाल, ग्वालियर और इंदौर में फोरेंसिक लैब हैं। यहां बायोलाजिकल, केमिकल और जहर संबंधी (टाक्सिकोलाजिकल) सैंपलों की जांच हो रही है। इनमें सर्वाधिक सैंपल टाक्सिकोलाजी के होते हैं। सागर में सबसे ज्यादा प्रतिमाह 800 से 1000 सैंपलों की जांच की जाती है। इसी तरह डीएनए के 10 हजार से अधिक सैंपल जांच के लिए रखे रहते थे। पहले सिर्फ भोपाल और सागर मेंं सैंपलों की जांच हो रही थी। इसके बाद इंदौर में जनवरी 2023 में डीएनए सैंपलों की जांच शुरू हुई। इसी वर्ष ग्वालियर की लैब भी शुरू हुई। जांच क्षमता बढ़ने से लंबित सैंपलों की संख्या 10 हजार से घटकर सात हजार हो गई है।