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इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने इस बारे में जानकारी दी, भारतीयों को चांद पर ले जाने की तैयारी, मेगा रॉकेट ‘सूर्या’ तैयार कर रहा ISRO

नई दिल्ली  
चंद्रयान-3 मिशन की सफलता के बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) की नजरें फिर से चंद्रमा पर हैं। अब इस प्राकृतिक उपग्रह पर इंसानों को भेजने की तैयारी है। इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने इस बारे में जानकारी दी। उन्होंने भविष्य के मिशनों और नेक्स्ट जेनरेशन लॉन्च व्हीकल (NGLV) के बारे में बात की। एनजीएलवी को मनुष्यों को चांद पर ले जाने के मकसद से बनाया जा रहा है। एनडीटीवी से बात करते हुए उन्होंने कहा, 'हम NGLV या सूर्या नाम का नया रॉकेट बना रहे हैं। फिलहाल इसकी डिजाइन पर काम जारी है। इसमें LOx (लिक्विड ऑक्सीजन) और मीथेन पर आधारित नया इंजन लगाया जाएगा। इसमें लोअर स्टेज के लिए लिक्विड ऑक्सीजन और मीथेन इंजन होंगे अपर स्टेज में क्रायोजेनिक इंजन का इस्तेमाल होगा।

एस सोमनाथ ने कहा कि भारत का मेगा-रॉकेट सूर्या मौजूदा रॉकेटों की तुलना में काफी बड़ा होगा। लो अर्थ ऑर्बिट (LEO) पेलोड क्षमता 40 टन से अधिक होगी, जो कि मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशनों के लिए बहुत जरूरी है। यह सूर्या रॉकेट है जिससे उम्मीद है कि 2040 तक भारत के गगनयात्री को चंद्रमा की सतह तक लेकर जाएगा। इस दौरान इसरो चीफ से पुष्पक के बारे में सवाल पूछा गया। इस पर उन्होंने बताया, 'पुष्पक के स्केल-डाउन वैरिएंट का पहला फेज पूरा हो गया है। तीन सफल सुरक्षित लैंडिंग के साथ हम बड़ा वैरिएंट बनाने की प्रक्रिया में हैं, जो कि स्केल-डाउन मॉडल से 1.6 गुना अधिक होगा। पहले लैंडिंग के साथ समान तर्ज पर इसका टेस्ट किया जाएगा और फिर इसे रॉकेट के जरिए कक्षा में लॉन्च करेंगे।'

पुष्पक की तीसरी बार सफल लैंडिंग से बढ़ा हौसला  
इसरो ने बीते दिनों दोबारा इस्तेमाल में लाए जा सकने वाले प्रक्षेपण यान पुष्पक की लगातार तीसरी बार सफल लैंडिंग कराई थी। इसने अधिक चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में RLV की लैंडिंग कराने की अपनी क्षमता का प्रदर्शन किया। पुष्पक को रनवे से 4.5 किलोमीटर दूर भारतीय वायुसेना के चिनूक हेलीकॉप्टर से छोड़ा गया। पुष्पक रनवे के पास पहुंचा और रनवे पर क्षैतिज लैंडिंग की। इस मिशन में अंतरिक्ष से लौटने वाले यान को तेज हवाओं के बीच उतारने का अभ्यास किया गया, जिससे अंतरिक्ष एजेंसी की आरएलवी के विकास के लिए अहम टेक्नोलॉजी को हासिल करने में विशेषज्ञता को बल मिला है। इसरो अध्यक्ष ने ऐसे जटिल मिशन में सफलता का सिलसिला बरकरार रखने के प्रयासों के लिए टीम को बधाई दी।

 

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