एजुकेशनदेशमध्यप्रदेश

दर्शन शास्त्र के विद्यार्थी पढ़ेंगे अब प्रणामी संप्रदाय का दर्शन

श्रीमद्भागवत गीता व आचार्य विद्यासागर के दर्शन को भी विस्तार पूर्वक अध्ययन कर सकेंगे विद्यार्थी

Realindianews.com
भोपाल। मध्य प्रदेश के महाराजा छत्रसाल बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय छतरपुर में दर्शनशास्त्र के विद्यार्थी स्नातकोत्तर स्तर पर श्रीमद् भागवत गीता, प्रणामी संप्रदाय और आचार्य विद्यासागर के दर्शन को विस्तार पूर्वक अध्ययन कर सकेंगे।
यूजीसी के दिशानिर्देशों के अनुसार कुलपति प्रो. शुभा तिवारी के निर्देशन में अध्ययन मंडल की बैठक में निर्णय लिया है। जिसमें क्षेत्रीय विषय वस्तु और भारतीय संस्कृति, परंपरा को समाहित करते हुए पाठ्यक्रम में बदलाव किया जाए। इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए स्नातकोत्तर स्तर पर दर्शनशास्त्र के पाठ्यक्रम में श्रीमद् भागवत गीता दर्शन और प्रणामी संप्रदाय और दर्शन 2 नए प्रश्नपत्रों की रचना कर जोड़ा गया है। विद्यार्थी श्रीमद् भागवत गीता के परिचयात्मक ज्ञान के साथ गीता के महत्व, गीता की तत्वमीमांसा, कर्ममीमांसा, भक्तिमीमांसा, योग के स्वरूप और विभिन्न विद्वानों द्वारा गीता की व्याख्या का अध्ययन कर सकेंगे।
नये सत्र से विद्यार्थी पढ़ेंगे प्रणामी संप्रदाय के गूढ़़ रहस्य
इस सत्र से विद्यार्थी प्रणामी संप्रदाय की दार्शनिक, नैतिक, धार्मिक और सामाजिक अवधारणाओं का विस्तृत अध्ययन कर सकेंगे। आधुनिक भारतीय चिंतन में जैन धर्म के सर्वमान्य आचार्य विद्यासागर के दर्शन में श्रमण दर्शन, श्रावक दर्शन, नीति दर्शन और उनके मानवतावादी दर्शन का अध्ययन कर सकेंगे। इसी प्रकार धर्मदर्शन के अंतर्गत यज्ञ का स्वरूप व प्रकार, धार्मिक भाषा व धार्मिक प्रतीकों का अध्ययन कर सकेंगे। इस सत्र से स्नातक स्तर पर रामचरितमानस का दार्शनिक विवेचन, श्रीमद् भागवत गीता का दर्शन, सामाजिक दर्शन, आधुनिक भारतीय विभूतियों का जीवन दर्शन, भारतीय दार्शनिक परंपरा में मानवता वाद का विस्तृत अध्ययन कर सकेंगे।


निजानंद सम्प्रदाय के संत गुरुजनों व प्रबुध्दजनों नें दी बधाई
यह समूचे प्रणामी समाज के लिए बहुत ही खुशी और उपलब्धि का अवसर है कि महाराजा छत्रसाल बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय, छतरपुर के BOS (Board of Studies) ने सर्व सम्मति से एम.ए. फिलॉसॉफी के पाठ्यक्रम (Syllabus) में महामति श्री प्राणनाथ जी महाराज की वाणी और प्रणामी धर्म का दर्शन पढ़ाने का निर्णय किया है। एकेडमिक सेशन 2023-24 से विश्वविद्यालय में एम.ए. ४ह्लद्ध सेमेस्टर में (प्रणामी सम्प्रदाय और दर्शन) टाईटल से एक पेपर पढ़ाया जाएगा। महामति श्री प्राणनाथजी महाराज की आद्य जागनीपीठ श्री 5 महामंगलपुरीधाम की ओर से समस्त संत गुरुजनों और सुन्दरसाथ को बधाई दी है।
वर्षों से प्रयाश चल रहा था
वर्षों से प्रयाश था कि प्राणनाथ जी की वाणी को भी स्कूल, कॉलेज या युनिवर्सिटी लेवल पर पढ़ाया जाना चाहिए। पिछले कुछ वर्षों से हम लगातार इसके लिए कोशिश कर रहे थे। कई बार निराशा हाथ लगी लेकिन हमने हार नहीं मानी और निरंतर लगे रहे। कई बार युनिवर्सिटी में जाकर मीटिंग्स की, सेमिनार आयोजित किए। आज धामधनी की अपार मेहेर से हमें सफलता मिली है।
प्रणामी सम्प्रदाय के संत समाज ने प्रो.टी.आर. थापक (पूर्व कुलपति, म.छ. बु.वि.), प्रो. शुभा तिवारी (नवनियुक्त कुलपति, म.छ.बु.वि.), प्रो. जय प्रकाश शाक्य (अध्यक्ष, दर्शन विभाग, म.छ.बु.वि.) को विशेष रूप से धन्यवाद दिया है। साथ ही, इस योजना को प्रस्ताव से परिणाम तक पहुँचाने में जिन महानुभावों ने अपना बौद्धिक सहयोग किया है, ऐसे महाराज श्री 108 मोहन प्रियाचार्यजी, श्री विश्व मोहन मिश्र (श्री 5 महामंगलपुरीधाम), प्रो. अनिल जैन (पूर्व अध्यक्ष, हिन्दी विभाग, राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर), प्रो.पी.सी.टंडन (सीनियर प्रोफेसर, हिन्दी विभाग, दिल्ली विश्वविद्यालय) को भी संत समाज नें हार्दिक बधाई के साथ बधाईयाँ और हार्दिक शुभकामनाएँ दी है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button