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इजरायली सेना के प्रवक्ता ने कहा कि हमास को खत्म करना मुमकिन नहीं है क्योंकि यह एक विचारधारा है

तेल अवीव
गाजा में युद्धविराम को लेकर अब इजरायली पीएम बेंजामिन नेतन्याहू और सेना के बीच अनबन की खबरें सामने आ रही हैं। एक तरफ नेतन्याहू का कहना है कि जब तक हमास का पूरी तरह खात्मा नहीं हो जाएगा, गाजा में युद्ध नहीं रुकेगा। वहीं इजरायली डिफेंस फोर्स (IDF) के अधिकारियों का कहना है कि हमास को खत्म करना नामुमकिन है। बता दें कि नेतन्याहू ने कई बार कहा है कि हमास को खत्म करना ही उनका लक्ष्य है। हालांकि उन्होंने यह कभी  स्पष्ट नहीं किया कि हमास के खात्म के बाद गाजा पर किसका अधिकार होगा।

इजरयाली सेना के प्रवक्ता रियर ऐडमिरल डेनियल हागरी ने बुधवार को एक चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा कि हमास को कभी खत्म नहीं किया जा सकता। यह एक विचारधारा है। जो लोग सोचते हैं कि यह एकदम से खत्म हो जाएगा, वे गलत हैं। उन्होंने कहा, हम केवल यही कर सकते हैं कि हमास को रिप्लेस किया जाए जो कि गाजा पट्टी में अधिकार करे। लेकिन यह कौन हो सकता है? यह फैसला राजनीतिक नेतृत्व को ही करना है।

इस बयान के बाद नेतन्याहू के कार्यालय की तरफ से भी बयान जारी किया गया और कहा कि गाजा में युद्ध तभी खत्म होगा जब हमास पूरी तरह नेस्तनाबूत हो जाएगा। पूर्ण विजय ही युद्धविराम का रास्ता है। प्रधानमंत्री नेतन्याहू के कार्यालय की तरफ से कहा गया कि हमास की सैन्य और प्रशासनिक क्षमताओं को नष्ट करना ही हमारा लक्ष्य है और आईडीएफ भी इसके लिए प्रतिबद्ध है।

आईडीएफ ने हागरी के बयान पर टिप्पणी  ना करते हुए कहा कि वॉर कैबिनेट ने जो भी लक्ष्य तय किए हैं उनको हासिल करने के लिए सेना प्रतिबद्ध है। रक्षा मंत्री योआव गैलेंट ने कहा कि सेना को डर है कि अगर गाजा में राजनीतिक रणनीति नहीं बनाई गई तो हमास एक बार फिर सिर उठा लेगा। बता दें कि वॉर कैबिनेट के एक सदस्य ने इसी मामले को लेकर इस्तीफा भी दे दिया था। उनका कनहा था कि युद्ध के बाद की भी रणनीति तैयार करनी चाहिए।

गुरुवार क पिव रिसर्च सेंटर द्वारा पब्लिश की गई एक सर्वे में कहा गया कि इजरायल की जनता को सरकार से ज्यादा सेना में भरोसा है। वहीं सर्वे में पाया गया है कि इजरायल के यहूदियों को नेतन्याहू से ज्यादा भरोसा रक्षा मंत्री गैलेंट में है। बता दें कि बीते 8 महीने से जारी युद्ध में गाजा पट्टी में 37 हजार से ज्यादा लोग मारे गए हैं। 7 अक्टूबर को हमास के इजरायल में हमले के बाद यह युद्ध शुरू हुआ था। गाजा में मासूमों की मौत को लेकर नेतन्याहू सरकार की आलोचना हो रही है। अमेरिकी राष्ट्रपति ने भी सीजफायर का प्रस्ताव रखा था लेकिन इजरायल मानने को तैयार नहीं हुआ।

 

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