आंवला नवमी :आंवला पेड़ की पूजा कर पति, पुत्र की लंबी उम्र मांगी
कार्तिक स्नान कर महिलाओं ने कपूर और घी का दीपक जलाकर की पूजा
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मध्य प्रदेश के विंध्यक्षेत्र में कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की नवमी पर आज आंवला नवमी मनाई गई। आंवला नवमी के चलते महिलाओं ने आंवले के पेड़ की पूजा की। सूर्योदय के साथ ही शहर में मंदिरों और अन्य स्थानों पर महिलाओं द्वारा आंवले के पेड़ की पूजा शुरू की गई थी। जिले के चित्रकूट में महिलाओं ने कार्तिक स्नान कर महिलाओं ने आंवले के तने की कपूर और घी का दीपक जलाकर पूजा की। आंवला नवमी की कहानी सुनी। पेड़ के ग्यारह परिक्रमा कर पति और पुत्र की लंबी उम्र की कामना की। इस दिन स्नान, पूजन, तर्पण, दान का विशेष विधान है। महिलाओं ने पूजन, तर्पण, दान करके अक्षत फल की प्राप्ति की कामना की। शहक के कई इलाकों में महिलाएं नजदीकी आंवला के पेड़ एवं मंदिरों में पहुंच कर पूजा अर्चना की गयी।
क्या है आंवला नवमी
पं. रामबहोर तिवारी का कहना है कि कार्तिक शुक्ल पक्ष की नवमी को आंवला अक्षय नवमी कहते हैं। इस दिन आंवले के पेड़ की पूजा की जाती है। यह प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करने की भारतीय संस्कृति का पर्व है। मान्यता है कि इस दिन आंवले के पेड़ के नीचे बैठने और भोजन करने से रोगों का नाश होता है।
क्या कहते हैं ग्रंथ
पं. रामराज शर्मा का कहना है कि आंवला नवमी पर आंवले के वृक्ष की पूजा और इसके नीचे बैठकर भोजन करने की प्रथा की शुरूआत करने वाली माता लक्ष्मी मानी जाती हैं। एक बार माता लक्ष्मी पृथ्वी भ्रमण करने आईं। रास्ते में भगवान विष्णु एवं शिव की पूजा एक साथ करने की इच्छा हुई। लक्ष्मी मां ने विचार किया कि एक साथ विष्णु और शिव की पूजा कैसे हो सकती है। तभी उन्हें ख्याल आया कि तुलसी और बेल का गुण एक साथ आंवले में पाया जाता है। तुलसी भगवान विष्णु को प्रिय है और बेल शिव को। आंवले के वृक्ष को विष्णु और शिव का प्रतीक चिन्ह मानकर मां लक्ष्मी ने आंवले के वृक्ष की पूजा की। पूजा से प्रसन्न होकर विष्णु और शिव प्रकट हुए। लक्ष्मी माता ने आंवले के वृक्ष के नीचे भोजन बनाकर विष्णु और भगवान शिव को भोजन करवाया। इसके बाद स्वयं भोजन किया। जिस दिन यह घटना हुई थीए उस दिन कार्तिक शुक्ल नवमी थी।
तभी से यह परंपरा चली आ रही है। अक्षय नवमी पर अगर आंवले की पूजा करना और आंवले के वृक्ष के नीचे बैठकर भोजन बनाना और खाना संभव नहीं हो तो इस दिन आंवला जरूर खाना चाहिए। एक अन्य मान्यता के अनुसारए अक्षय नवमी को आंवला खाने से महर्षि च्यवन को फिर से जवानी यानी नवयौवन प्राप्त हुआ था।