भाजपा लोकसभा चुनाव में विधानसभा चुनाव के मुकाबले अपने 6 विधायकों के क्षेत्र में पिछड़ी
भोपाल
लोकसभा चुनाव में सभी 29 सीटें जीतकर भाजपा ने प्रदेश में भले ही इतिहास रचा। देश की सबसे बड़ी जीत का रिकार्ड भी भाजपा ने इंदौर से बनाया, पर लगभग 6 माह पहले हुए विधानसभा चुनाव की तुलना में अपने ही छह विधायकों के क्षेत्र में पार्टी कांग्रेस से पिछड़ गई। इनमें खरगोन लोकसभा सीट का पानसेमल, ग्वालियर सीट का भितरवार, मुरैना का सबलगढ़, भिंड का सेवढ़ा, सीधी का सिहावल और खंडवा लोकसभा सीट का बुरहानपुर विधानसभा क्षेत्र शामिल है।
बुरहानपुर से पूर्व मंत्री अर्चना चिटनीस विधायक हैं। यहां 6 माह में भाजपा के 38 हजार से अधिक मत घटे हैं। बता दें कि विधानसभा चुनाव में कुल 230 सीटों में से 163 में भाजपा जीती थी। पानसेमल से श्याम बर्डे भाजपा के विधायक हैं। विधानसभा चुनाव में वह यहां से 13 हजार 442 मतों से जीते थे, पर लोकसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी गजेंद्र पटेल 5290 मतों से पीछे रहे।
अन्य सीटों में बढ़त के चलते वह एक लाख 35 हजार मतों से जीत गए। भितरवार सीट से मोहन सिंह राठौर विधानसभा चुनाव में 22 हजार 354 मतों से जीते, लेकिन लोकसभा चुनाव में उनके क्षेत्र से भाजपा उम्मीदवार भारत सिंह कुशवाह 5898 मतों से पिछड़ गए। कुशवाह कांग्रेस के प्रवीण पाठक से 70 हजार 210 मतों से जीते।
मुरैना लोकसभा की सबलगढ़ सीट से सरला रावत 9805 मतों से जीती थी, लोकसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी शिवमंगल सिंह तोमर 13 हजार से भी अधिक मतों से पीछे रहे। सेवढ़ा सीट से भाजपा के प्रदीप जायसवाल 2558 मतों से जीते थे, पर लोकसभा चुनाव में यह अंतर बढ़कर 4908 हो गया।
सीधी लोकसभा सीट के अंतर्गत आने वाली सिहावल विधानसभा में विश्वामित्र पाठक कांग्रेस के कमलेश्वर पटेल से 16 हजार 478 मतों से जीते थे, पर लोकसभा चुनाव में भाजपा उम्मीदवार डा. राजेश मिश्रा को 3943 मत कम मिले। सबसे अधिक अंतर तो भाजपा की पूर्व मंत्री अर्चना चिटनीस के विधानसभा क्षेत्र बुरहानपुर (खंडवा लोकसभा क्षेत्र) में देखने को मिला।
वह खुद 31 हजार से अधिक मतों से जीती थीं, पर लोकसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी श्रानेश्वर पाटिल को 7209 मत कम मिले। यहां मुस्लिम मतदाताओं की संख्या भी अपेक्षाकृत अधिक है। हालांकि कांग्रेस की जीत वाली 66 विधानसभा सीटों पर लोकसभा चुनाव में 50 में भाजपा ने बढ़त बनाई है।