भाजपा को राजपूत, गुर्जर, त्यागी वोट में बिखराव के कारण हुई हार
मुजफ्फरनगर
केंद्रीय राज्यमंत्री डॉ. संजीव बालियान की हार भाजपा के कोर वोट में बिखराव के कारण हुई है। राजपूत, त्यागी और गुर्जर समाज में नाराजगी का असर नतीजों पर दिखा। अगड़ी जाति के मतदाताओं का वोट प्रतिशत कम रहने और अति पिछड़ा वर्ग में बसपा की सेंधमारी भी हार का बड़ा कारण बन गई। भाजपा-रालोद गठबंधन के बाद भाजपा प्रत्याशी डॉ संजीव बालियान की स्थिति को मजबूत माना जा रहा था, लेकिन नतीजे उलट आए। भाजपा का कोर वोट, जिसने 2019 में संजीव बालियान की जीत में बड़ी भूमिका निभाई, इस बार वह बिखर गया।
राजपूत, गुर्जर, त्यागी के गांवों में वोट प्रतिशत तो कम हुआ ही, सपा भी बराबर वोट ले गई। 2019 में इन जातियों की अधिकता वाले गांवों में मतदान प्रतिशत अधिक हुआ था, जिसके चलते रालोद अध्यक्ष अजित सिंह को हार का सामना करना पड़ा था।
इस बार राजपूतों में शुरू से ही नाराजगी रही। त्यागी समाज के लोग भी विरोध में खड़े दिखाई दिए। गुर्जर समाज के गांवों में भी बिखराव नजर आया। वोट प्रतिशत कम होने के चलते भी भाजपा को नुकसान हुआ।
भाजपा की हार का सबसे बड़ा कारण बसपा प्रत्याशी दारा सिंह प्रजापति रहे। प्रजापति को दलित वोट तो अधिक संख्या में मिले, साथ ही उन्होंने प्रजापति के साथ ही अन्य अति पिछड़ी जातियों में सेंधमारी की। 2019 में सैनी, कश्यप, पाल का वोट भाजपा को अधिक मिला था, लेकिन इस बार वोट कम मिला। सदर सीट पर अति पिछड़ा वर्ग में बिखराव का लाभ सपा प्रत्याशी हरेंद्र मलिक को मिला।
रालोद से गठबंधन के बाद यह माना जा रहा था कि जाट पूरी तरह भाजपा के पक्ष में गोलबंद हो जाएंगे, लेकिन यहां भी सपा के हरेंद्र मलिक ने 20 प्रतिशत जाट वोट प्राप्त किए। गांवों में भाजपा के पक्ष में गोलबंदी नहीं हो पाई और बुढ़ाना विधानसभा में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा।
भाजपा में भितरघात भी रही वजह
2022 के विधानसभा चुनाव के नतीजों का असर भी लोकसभा के नतीजों पर पड़ा। भाजपा ने जिले की पांच सीटें गंवा दी थी। खतौली उप चुनाव में भी भाजपा को हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद से भाजपा में बिखराव होने लगा। रालोद से गठबंधन के बावजूद मतदाताओं और नेताओं को एकजुट नहीं रखा जा सका। यही वजह है कि लोकसभा चुनाव में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा।
विरोध के बीच अकेले पड़ गए संजीव बालियान
लोकसभा चुनाव में सरधना, खतौली और चरथावल विधानसभा में भाजपा का विरोध शुरू हुआ। इस दौरान भाजपा बिखरी नजर आई। डॉ. संजीव बालियान भी कई मौके पर अकेले खड़े नजर आए।