अब दुनिया में सबसे सस्ते तेल के मामले में ईरान पहले और लीबिया दूसरे नंबर पर
नई दिल्ली
दुनिया में कच्चे तेल का सबसे भंडार दक्षिण अमेरिकी देश वेनेजुएला में है। कई साल तक दुनिया का सबसे सस्ता तेल इसी देश में मिलता था लेकिन अब स्थिति बदल गई है। आज दो देश उससे आगे निकल गए हैं। अब दुनिया में सबसे सस्ते तेल के मामले में ईरान पहले और लीबिया दूसरे नंबर पर है। पश्चिम एशियाई देश ईरान के पास भी तेल का बड़ा भंडार है। इस देश में पेट्रोल का रेट 0.029 डॉलर प्रति लीटर है। भारतीय करेंसी के हिसाब से देखा जाए तो यह राशि 2.42 रुपये बैठती है। यानी 30 लीटर की टंकी के लिए आपको 72.6 रुपये खर्च करने पड़ेंगे। दिल्ली में पेट्रोल की कीमत 94.72 रुपये और डीजल का रेट 87.62 रुपये प्रति लीटर है। कई शहरों में पेट्रोल की कीमत 100 रुपये लीटर से ज्यादा है।
ईरान के बाद दुनिया में सबसे सस्ता तेल उत्तर अफ्रीकी देश लीबिया में मिल रहा है। इस देश में पेट्रोल की कीमत 0.031 डॉलर प्रति लीटर है जो भारतीय रुपये में 2.59 रुपये बैठती है। वेनेजुएला में अब पेट्रोल कीमत 0.035 डॉलर यानी 2.92 रुपये प्रति लीटर है। मिस्र, कुवैत, अल्जीरिया, नाइजीरिया, कजाकस्तान, रूस, सऊदी अरब, यूएई, इंडोनेशिया और पाकिस्तान में पेट्रोल की कीमत एक डॉलर से कम है। पाकिस्तान में पेट्रोल की कीमत 0.982 डॉलर यानी करीब 82 रुपये लीटर है। भारत में पेट्रोल की औसत कीमतद1.252 डॉलर यानी करीब 104.43 रुपये बैठती है। अमेरिका, बांग्लादेश, अर्जेंटीना, जापान, ब्राजील, ऑस्ट्रेलिया और चीन में पेट्रोल भारत से सस्ता है।
दुनिया का सबसे महंगा पेट्रोल
दुनिया में सबसे महंगा पेट्रोल हॉन्ग कॉन्ग में है। इस देश में एक लीटर पेट्रोल के लिए आपको 3.212 डॉलर यानी 268.06 रुपये खर्च करने होंगे। दुनिया के सबसे छोटे देशों में शामिल मोनैको में पेट्रोल की कीमत 2.312 डॉलर है। यूरीपीय देशों डेनमार्क, नीदरलैंड्स, नॉर्वे, स्विट्जरलैंड, इटली और फ्रांस में पेट्रोल की कीमत दो डॉलर प्रति लीटर से अधिक है। आयरलैंड, फिनलैंड, जर्मनी, यूके, स्पेन, चेक गणराज्य, चिली, रोमानिया, मेक्सिको, यूक्रेन, कनाडा, इथियोपिया, साउथ अफ्रीका, तुर्की और साउथ कोरिया में पेट्रोल की कीमत भारत से ज्यादा है।
चीन ईरान से तेल क्यों ख़रीदता है?
ईरान के साथ व्यापार के अपने ख़तरे हैं, खासकर इसका नतीजा अमेरिका का प्रतिबंध भी हो सकता है, तब भी दुनिया का सबसे बड़ा तेल खरीदार चीन ऐसा क्यों करता है?
इसका जवाब काफ़ी आसान है- क्योंकि ईरानी तेल सस्ता और क्वालिटी में अच्छा है.
दुनिया में चल रहे संघर्षों के कारण वैश्विक तेल की कीमतें बढ़ रही हैं, लेकिन ईरान, अपने तेल को बेचने के लिए सस्ती दरों पर तेल बेच रहा है.
अक्टूबर 2023 में व्यापारियों और शिप ट्रैकर्स से आंकड़े जुटाए. इन आंकड़ों के अनुसार, चीन ने ईरान, रूस और वेनेजुएला से तेल की रिकॉर्ड खरीद करके 2023 के पहले नौ महीनों में लगभग 10 अरब डॉलर की बचत की. इन सभी देशों से तेल रियायती कीमत पर मिल रहे थे.
वैश्विक बाज़ार में कच्चे तेल के दाम बदलते रहते हैं लेकिन अधिकतर ये 90 डॉलर प्रति बैरल से कम ही रहता है.
डेटा और एनालिटिक्स फर्म केप्लर के एक वरिष्ठ विश्लेषक हुमायूं फ़लकशाही का अनुमान है कि ईरान अपने कच्चे तेल का व्यापार 5 डॉलर प्रति बैरल की छूट पर कर रहा है. पिछले साल कीमत में यह कटौती 13 डॉलर प्रति बैरल तक थी.
फ़लकशाही की मानें तो इसमें भू-राजनीति भी एक वजह है.
वह कहते हैं- “ईरान.. अमेरिका और चीन के बीच चल रहे बड़े खेल का हिस्सा है.”
उन्होंने कहा, "ईरान की अर्थव्यवस्था का समर्थन करके चीन मध्य पूर्व में अमेरिका के लिए भू-राजनीतिक और सैन्य चुनौतियों को बढ़ाता है, खासकर अब जब इसराइल के साथ इस क्षेत्र में तनाव बढ़ता जा रहा है. "
जानकार मानते हैं कि चीन और ईरान ने व्यापार के लिए एक बेहतर सिस्टम तैयार कर लिया है.