मध्यप्रदेश

प्रदेश हाईकोर्ट ने जबलपुर एसपी आदित्य प्रताप सिंह के खिलाफ आपराधिक अवमानना की कार्यवाही की

जबलपुर
 मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की एक खंडपीठ ने जबलपुर एसपी आदित्य प्रताप सिंह के खिलाफ आपराधिक अवमानना की कार्यवाही की है। उन्होंने कोर्ट को एक एएसआई के बारे में अधूरी जानकारी दी। इसके अलावा हलफनामे पर अदालत को गलत जानकारी देने पर आपत्ति जताते हुए कोर्ट ने नोटिस जारी किया है। अदालत ने मामले की सुनवाई के लिए 22 मई की तारीख तय की है और जबलपुर पुलिस को 48 घंटे के भीतर हिस्ट्रीशीटर किस्सू तिवारी को गिरफ्तार करने का आदेश दिया।

मप्र उच्च न्यायालय की एकल पीठ एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी। सुनवाई में कोर्ट ने पाया कि फरार अपराधी तिवारी के खिलाफ कटनी में कई मामले लंबित हैं। उसके खिलाफ जबलपुर और कटनी में हत्या, हत्या के प्रयास और अन्य गंभीर अपराधों के 4 मामले लंबित थे।

जिला न्यायालय जबलपुर ने अप्रैल 2022 में उसके खिलाफ स्थायी वारंट जारी किया था। फिर भी उसे गिरफ्तार नहीं किया गया। हाई कोर्ट की सिंगल जज बेंच ने इस मामले में हलफनामा मांगा था। पुलिस की ओर से मामले में पेश हलफनामे में अदालत को बताया गया कि जिस एएसआई को तिवारी को गिरफ्तार करने का काम सौंपा गया था, उसे 13 मार्च 2022 को निलंबित कर दिया गया है। हालांकि अप्रैल, 2022 में उसे बहाल भी किया गया था।

मई में जबलपुर के पुलिस अधीक्षक ने अपने हलफनामे में कहा था कि एएसआई को नोटिस दिया गया है लेकिन उन्होंने अदालत को यह नहीं बताया कि एएसआई को बहाल कर दिया गया है। एसपी के खिलाफ कोर्ट की अवमानना का मुकदमा चलाने की अनुशंसा करते हुए कोर्ट ने पुलिस पर तीखी टिप्पणी की थी। यह कहते हुए कि अपराधी के संपर्क में कोई न कोई अवश्य है, जो पुलिस को उसे गिरफ्तार करने से रोक रहा है। अपराधी कटनी में समारोहों में शामिल हुआ था लेकिन पुलिस ने उसके करीबी परिचितों की फोन कॉल डिटेल निकालने की कोशिश तक नहीं की। कोर्ट ने 2022 से अब तक जबलपुर में पदस्थ एसपी के नाम भेजे थे और कहा था कि उन्हें नोटिस जारी किया जाए।

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