मध्यप्रदेश

मोहन सरकार का भूमि सुरक्षा अभियान

ग्वालियर

सरकारी जमीनों पर कब्जा करने वाले माफिया अब प्रदेश की मोहन सरकार के टारगेट पर है। इन माफियाओं की कुंडली तैयार करने के लिए प्रदेश में सरकारी भूमि सुरक्षा अभियान की शुरूआत कर दी गई है। इस अभियान के पहले चरण में प्रदेश में मौजूद सरकारी महाविद्यालयों को आवंटित की गई जमीन को लिया गया है। लिहाजा सभी सरकारी महाविद्यालयों की जमीन का सीमांकन कराकर उसका खसरे में स्वामित्व दर्ज कराने के आदेश उच्च शिक्षा विभाग के अपर सचिव डॉ. आलोक निगम ने मप्र के सभी सरकारी महाविद्यालयों के प्राचार्य को दिए हैं। खास बात ये है कि इस पूरी प्रक्रिया के लिए टाइम लिमिट फिक्स कर 15 दिन का समय दिया गया है।

ये करना होगा प्राचार्य को

  • शासकीय महाविद्यालयों के प्राचार्यों को यह देखना होगा कि राजस्व अभिलेख मतलब खसरे में निर्धारित भूमि स्वामी के कॉलम में महाविद्यालय का नाम या उच्च शिक्षा विभाग का नाम अंकित हो।
  • अगर भूमि स्वामी के कॉलम में किसी और का नाम का उल्लेख है तो उसे फौरन संशोधित कराने के लिए स्थानिय नायब तहसीलदार और तहसीलदार को आवेदन करना होगा।
  • भूमि स्वामित्व के अभिलेख को सही कराने के साथ ही महाविद्यालय को आवंटित हुई पूरी जमीन का सीमांकन कराना होगा।
  • महाविद्यालयों के स्वामित्व में आने वाली जमीन का नक्शा तैयार कराना होगा। इसमें जमीन की चतुर्सीमा में आने वाली जमीनों की जानकारी हो, जिसमें जमीन, भवन, खाली जगह और अतिक्रमण की स्थिति साफ हो सके।

वर्ष 2019 के आॅर्डर पर अमल के निर्देश
शासकीय महाविद्यालयों को आवंटित जमीनों का सीमांकन और खसरे में स्वामित्व दर्ज कराने के निर्देश वर्ष 2019 में भी शासन ने दिए थे, लेकिन बड़ी संख्या में महाविद्यालयों द्वारा निर्देशों का पालन आवंटित जमीन पर हुए अतिक्रमण के कारण नहीं हो सका था। लिहाजा तीन वर्ष पूर्व जारी आदेश को उच्च शिक्षा विभाग ने अब 15 दिन के अंदर पालन कराने के निर्देश दिए है।

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