दुष्कर्म की झूठी शिकायत करने की धमकी देना भी खुदकुशी के लिए उकसाना: हाइ कोर्ट
जबलपुर
मप्र हाई कोर्ट की जबलपुर खंडपीठ ने बालाघाट में एक युवक को आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में एक महिला डॉक्टर और उसकी मां को राहत देने से इनकार करते हुए उनके खिलाफ दर्ज FIR को रद्द करने से इनकार कर दिया, साथ ही कहा कि बलात्कार की झूठी रिपोर्ट दर्ज कराने की धमकी देना भी आत्महत्या के लिए उकसाना ही है।
यह याचिका बालाघाट की रहने वाली डॉक्टर शिवानी निषाद और उनकी मां रानी बाई ने मंडला जिले के बाम्हनी थाने में धारा 306 के तहत दर्ज मामले को खारिज करने की मांग करते हुए लगाई थी। याचिका में कहा गया था कि मृतक की मां कॉलोनी में आतंक मचा रही थी और कॉलोनी में रहने वाले कई लोगों ने मां-बेटे के खिलाफ पुलिस केस भी दर्ज कराया था।
सुनवाई के दौरान सिंगल बेंच ने पाया कि युवक और उसकी मां का नाली में कचरा फेंकने को लेकर विवाद हुआ था। जिसके बाद पड़ोसियों ने दोनों के खिलाफ बालाघाट कोतवाली पुलिस स्टेशन में आपराधिक मामला दर्ज कराया था। युवक अपना घर गिरवी रखकर PSC की तैयारी करने इंदौर गया था। वह बालाघाट आया तो पड़ोस में रहने वाली याचिकाकर्ता डॉ. शिवानी निषाद ने उसके खिलाफ दुष्कर्म व यौन उत्पीड़न की झूठी रिपोर्ट दर्ज कराने की धमकी दी।
आदेश में कहा गया, 'इसके बाद अक्टूबर 2023 में युवक अपने पिता के साथ मंडला जिले में गया था, इसी दौरान उसकी मां का पड़ोसियों से विवाद हो गया। जब वह दोनों बालाघाट लौटे तो उन्हें फिर झूठे मुकदमे में फंसाने की धमकी दी गई। हालांकि इसके बाद युवक मंडला लौटा और उसने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। उन्होंने सुसाइड नोट में अपनी आपबीती साझा की।'
हाई कोर्ट के जस्टिस जीएस अहलूवालिया की सिंगल बेंच ने अपने आदेश में कहा कि किसी व्यक्ति को बलात्कार और छेड़छाड़ की झूठी रिपोर्ट दर्ज कराने की धमकी देना भी आत्महत्या के लिए उकसाने की श्रेणी में आता है।
अदालत ने अपने आदेश में कहा कि 'वह युवक PSC की तैयारी कर रहा था, जबकि आरोपी के खिलाफ धमकी देने और आत्महत्या जैसा कदम उठाने के लिए मजबूर करने के आरोप में धारा 306 के तहत मामला शुरू करने के लिए पर्याप्त सबूत हैं।'
सुनवाई के बाद सिंगल बेंच ने निषाद और उसकी मां के खिलाफ दर्ज FIR को रद्द करने के लिए दायर याचिका खारिज कर दी।