राज्य में हाल ही में लागू समान नागरिक संहिता में जरूरत पड़ने पर बदलाव किए जा सकते हैं : विधानसभा अध्यक्ष
नई दिल्ली/देहरादून
उत्तराखंड विधानसभा की अध्यक्ष ऋतु खंडूरी भूषण ने कहा कि लोगों से प्राप्त प्रतिक्रिया के आधार पर राज्य में हाल ही में लागू समान नागरिक संहिता (यूसीसी) में जरूरत पड़ने पर बदलाव किए जा सकते हैं।
भूषण ने भारतीय महिला प्रेस कॉर्प में संवाददाताओं को संबोधित करते हुए यह उम्मीद भी जताई कि अंकिता भंडारी की हत्या के मामले में न्याय जरूर मिलेगा। यूसीसी के बारे में पूछे जाने पर राज्य विधानसभा की अध्यक्ष ने कहा कि कानून में महिला सशक्तीकरण के प्रावधान हैं। उन्होंने कहा, ''जहां तक यूसीसी का सवाल है, महिलाएं समाज की सबसे कमजोर कड़ी हैं। अगर मैं कहती हूं कि महिलाओं को संपत्ति का अधिकार मिलना चाहिए, तो इसमें गलत क्या है? वे इसकी हकदार हैं।'' सहजीवन संबंध में रहने वाले प्रेमी जोड़ों को रिश्ते का पंजीकरण करवाने की जरूरत वाले राज्य के यूसीसी के विवादास्पद प्रावधान का बचाव करते हुए भूषण ने कहा कि प्रेमी जोड़ों को अपना निर्णय 'स्वयं' लेने की आवश्यकता है। भूषण ने कहा, ''अगर 18 साल का कोई व्यक्ति सहजीवन संबंध में रहना चाहते हैं, तो क्या उन्हें इसकी जिम्मेदारी नहीं लेनी चाहिए? यह 21वीं सदी है, अगर आप इतना बड़ा निर्णय ले रहे हैं, तो इसे स्वीकार भी करें।''
भूषण ने यह भी कहा कि राज्य के ग्रामीण इलाकों में रहने वाली महिलाओं के साथ बातचीत के दौरान सहजीवन संबंध का मुद्दा नहीं उठा और यह उनके लिए यह कोई बड़ा मुद्दा नहीं है। उन्होंने कहा, ''यह कानून (यूसीसी) दो साल के विचार-विमर्श के बाद लाया गया है। अगर समाज को लगता है कि इसमें संशोधन की जरूरत है तो हम ऐसा करेंगे। यह यूसीसी का अंत नहीं है, यह वह नहीं है, जो देश में सामने आने वाला है।'' उन्होंने कहा, ''सरकार देखेगी कि क्या हमें किसी संशोधन की जरूरत है।''