इजरायल ने ईरान के बीचोंबीच बसे शहर इसफाहान को निशाना बनाया, हमले के लिए चुना खास दिन
इजरायल
ईरान पर जुमे के दिन इजरायल ने सुबह ही मिसाइलों और ड्रोन से हमला बोल दिया। यह हमला ठीक वैसा ही था, जैसा ईरान ने पिछले दिनों इजरायल के ऊपर किया था। लेकिन इसमें एक खास बात यह थी कि इजरायल ने ईरान के बीचोंबीच बसे शहर इसफाहान को निशाना बनाया। इसकी चर्चा पूरी दुनिया में इसलिए हो रही है क्योंकि यहीं पर ईरान ने अपने परमाणु हथियारों का ठिकाना भी बना रखा है। इस हमले को लेकर इजरायल ने कुछ कहा नहीं है और ईरानी मीडिया भी इसे ज्यादा तवज्जो नहीं दे रहा है। लेकिन अमेरिकी मीडिया ने अधिकारियों से कहा है कि इजरायल ने जोरदार जवाबी अटैक किए हैं।
इसफाहान में क्या हुआ, जिसकी दुनिया भर में चर्चा
ईरान की फारस न्यूज ने शुक्रवार सुबह अपनी रिपोर्ट में बताया कि इसफाहान प्रांत के उत्तर पश्चिम इलाके में स्थित शेकारी आर्मी एयरबेस के पास तीन धमाके सुने गए हैं। वहीं ईरानी स्पेस एजेंसी के प्रवक्ता हुसैन डालिरियां ने कहा कि इजरायल ने कई ड्रोन भेजे थे, जिन्हें हमने मार गिराया है। लेकिन अब तक मिसाइल अटैक की जानकारी नहीं मिली है। एक अमेरिकी अधिकारी ने सीएनएन से बातचीत में कहा कि इजरायल के टारगेट पर ईरान के परमाणु ठिकाने नहीं थे। ईरान की एक न्यूज एजेंसी का भी कहना है कि परमाणु ठिकाने पूरी तरह से सेफ हैं।
इजरायल ने हमले के लिए दिन भी खास चुना
वहीं ईरान अफसरों के हवाले से न्यूयॉर्क टाइम्स ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि इसफाहान के मिलिट्री एयरबेस के पास हमला हुआ है। यह हमला इजरायल ने ऐसे दिन किया है, जब ईरान अपने शीर्ष नेता अयातुल्लाह अली खामेनेई का 85वां जन्मदिन मना रहा है। जानकारों का मानना है कि इजरायल ने जानबूझकर ईरान पर हमले का यह दिन चुना है, जब उसके नेता का बर्थडे है। इसके अलावा इसफाहान पर हमले की वजह यह है कि ईरान को दिखाया जा सके कि उसके परमाणु ठिकाने और एयरबेस तक उसकी जद में हैं।
क्यों इतना खास है इसफाहान, जिसे नेतन्याहू ने कराया टारगेट
इस हमले के बाद ईरान ने तेहरान, इसफाहान जैसे शहरों से फ्लाइट्स को स्थगित कर दिया था। हालांकि अब सेवाएं बहाल हो गई हैं। ईरान के लड़ाकू विमानों की फ्लीट भी यहीं पर तैनात है। ऐसे में इसकी अहमियत ईरान के नजरिए से बहुत ज्यादा है। ईरान की धमकी के मद्देनजर इजरायल की ओर से इसफाहान पर हमला किया जाना अहम है। बता दें कि इजरायल पर मिसाइल हमलों के बाद से ही चर्चा थी कि अब वह बदला ले सकता है। अमेरिका समेत कई देशों ने कहा था कि इजरायल हमला न करे, लेकिन बेंजामिन नेतन्याहू अपने रुख पर कायम रहे।