Hajj पर गए सैकड़ों हाजियों की मौत की वजह भीषण गर्मी या हज प्रबंधन में विफल !
रियाद
इस साल की हज यात्रा पर सऊदी अरब की भीषण गर्मी की वजह से हाजियों के लिए मुश्किल भरी रही है। इस साल हज के दौरान होने वाली मौतों का आंकड़ा 1,000 को पार कर गया है। जैसे-जैसे मरने वालों की संख्या बढ़ रही है, वैसे ही ये सवाल भी उठ रहा है कि सऊदी अरब में हुई इन मौतों के लिए खराब इंतजाम, भीषण गर्मी मौसम या फिर बड़ी तादाद में हाजियों की भीड़, किसे जिम्मेदार माना जाए। सऊदी अरब में सोशल मीडिया पर ऐसी सैकड़ों तस्वीरें और वीडियो शेयर हो रहे हैं, जिनमें हाजी सड़क के किनारे बेहोश या फि मृत पड़े दिख रहे हैं। कई तस्वीरों में इन लोगों को देखकर लगता है कि लाशों को वहीं छोड़ दिया गया है।
डीडब्ल्यू की रिपोर्ट के मुताबिक, सऊदी के पवित्र शहर मक्का में हज के दौरान तापमान 51.8 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ गया। इस भीषण गर्मी के बीच आश्रय और पानी की कमी ने हजारों तीर्थयात्रियों की जान ली। सऊदी अरब में इस साल दुनिया भर से करीब 18 लाख मुसलमानों के हज करने के लिए पहुंचे थे। हाजियों की बड़ी संख्या ने भी चीजों को बद से बदतर किया। सऊदी अरब के स्वास्थ्य मंत्रालय ने मौतों के आधिकारिक आंकड़े जारी नहीं किए हैं। अलग-अलग रिपोर्ट के हिसाब से मरने वालों की संख्या 1,000 से ऊपर हो गई है। मिस्र, इंडोनेशिया, सेनेगल, जॉर्डन, ईरान, इराक, भारत और ट्यूनीशिया के तीर्थयात्रियों की मौतें बड़ी संख्या में हुई है।
सऊदी की कोशिशें रहीं नाकाफी
सऊदी अधिकारियों ने मिस्टिंग स्टेशन और पानी के डिस्पेंसर जैसी सुविधाओं के जरिए गर्मी के प्रभाव को कम करने के लिए उपाय किए लेकिन ये नाकाफी साबित हुए और ज्यादातर मौतें गर्मी की वजह से हुईं। मरने वालों की संख्या में आने वाले दिनों में और ज्यादा बढ़ोतरी हो सकती है क्योंकि कई लोगों की तलाश अभी भी जारी है, जो मक्का पहुंचे थे लेकिन अब लापता हैं। सऊदी ही नहीं हाजियों के गृह देशों में भी इस बात पर तीखी बहस हो रही है कि इस सबका का जिम्मेदार कौन है। हज करने के लिए तीर्थयात्रियों को सऊदी अरब से आधिकारिक अनुमति की आवश्यकता होती है। ऐसा इसलिए की जगह की तुलना में अधिक मुसलमान हज के लिए आना चाहते हैं और सभी को बुलाना संभव नहीं है। सऊदी अरब हर साल एक कोटा प्रणाली चलाता है, जिससे व्यवस्था के तहत सभी काम हो सकें।
सऊदी अरब में हाजियों का सहारा आमतौर पर ट्रैवल एजेंसियां बनती हैं, ये एजेंसियां ही मक्का में आवास, भोजन और परिवहन की व्यवस्था करते हैं। इस साल कई हाजियों ने अपने देश के अधिकारियों पर ठहरने और भोजन की पर्याप्त व्यवस्था ना करने का आरोप लगा रहे हैं। वहीं एक पक्ष उन लोगों को दोषी ठहराया है जो बिना पंजीकरण के मक्का पहुंचे थे। ऐसे हाजियों को एयर कंडीशनिंग, पानी और दूसरी सुविधाएं नहीं मिल सकीं।
खराब मौसम बनी वजह
सऊदी अधिकारी ने कहा कि ये मौतें खराब मौसम के बीच हुई हैं. उन्होंने स्वीकार किया कि 577 का आंकड़ा आंशिक है और ये पूरे हज के दौरान हुई मौतों को कवर नहीं करता है. सऊदी सरकार ने बताया था कि इस साल 18 लाख तीर्थयात्रियों ने हिस्सा लिया है, जिसमें 2 लाख सऊदी से हैं, बाकि विदेश से आए हैं.हज इस्लाम के पांच स्तंभों में से एक है और हर संपन्न मुसलमान को जिंदगी में एक बार करना होता है. सऊदी अधिकारी ने इंतजाम खराब होने की वजह बिना परमिट के लिए हज पर आने वाली यात्रियों को भी बताया है, जो महंगे हज से बचने के लिए बिना परमिट के ही हज करने आए थे.
बिना परमिट के हज यात्रा
हज का परमिट हर देश को कोटा प्रणाली के तहत दिया जाता है और फिर वहां के नागरिकों को लॉटरी के जरिए बांटा जाता है. जिन लोगों को ये परमिट मिलता है उनको भारी फीस देनी होती है, जिसकी वजह से कई हज यात्री टूरिस्ट वीजा पर हज करने सऊदी अरब आते हैं. ऐसे हज करने पर उनके ऊपर गिरफ्तारी और निर्वासन का जोखिम बना रहता है. 2019 में सऊदी सरकार ने अपने टूरिस्ट वीजा को आसान और सस्ता किया था, जिसके बाद से सऊदी में आना आसान हो गया है. लोग हज परमिट के बिना हज करके अपने हजारों पैसे बचाने की कोशिश करते हैं.
इस साल पर्याप्त टेंट भी नहीं थे!
डीडब्ल्यू ने मिस्र की एक निजी टूर कंपनी के मैनेजर से बात की, जो कई वर्षों से मिस्र के तीर्थयात्रियों को मक्का ला रहे है और इस सप्ताह सऊदी अरब में थे। मैनेजर ने नाम ना छापने की शर्त पर कहा कि इस साल तापमान बहुत अधिक था और लोग नियमों का पालन नहीं कर रहे थे। हाजी इस बात को भी नहीं समझ रहे थे कि गर्मी कितनी खतरनाक हो सकती है। हर किसी ने वही किया जो वे करना चाहते थे। पहले से खराब व्यवस्था को इसने और बिगाड़ दिया। हाजी तो गर्मी का ध्यान रख ही नहीं रहे थे लेकिन इसे भी अनदेखा नहीं किया जा सकता कि सभी के लिए पर्याप्त टेंट तक नहीं थे।
हाजियों के अराफात पर जाने का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि सूरज बहुत तेज था और लोगों को बहुत शीर्ष पर जाने से बचना चाहिए था लेकिन तीर्थयात्री ऊपर तक गए। तीर्थयात्रियों को भी बेहतर शिक्षित और अधिक जागरूक होने की जरूरत है। ऐसा तो नहीं हो सकता है कि माउंट अराफात की चोटी पर सनशेड लगा दिया जाए। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन हज को आने वाले वर्षों में और अधिक खतरनाक बनाने जा रहा है।