देश

नवजात बच्चे के पालन-पोषण मामला में पत्नी के माता-पिता से पैसों की मांग को दहेज उत्पीड़न नहीं कहा जा सकता

नई दिल्ली
दहेज उत्पीड़न के एक मामले में पटना हाई कोर्ट ने हाल ही में एक अहम टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा है कि जब कोई पति अपने नवजात बच्चे के पालन-पोषण के खर्च को पूरा करने के लिए पत्नी के माता-पिता से पैसों की मांग करता है, तो इसे दहेज उत्पीड़न नहीं कहा जा सकता है। पत्नी ने दहेज उत्पीड़न का आरोप लगाया था कि जब उसकी बच्ची छोटी थी, तब उसके पति ने उसके माता-पिता से दस हजार रुपये की मांग की थी।

अदालती सुनवाइयों और फैसलों को रिपोर्ट करने वाली वेबसाइट बार एंड बेंच के अनुसार, कोर्ट ने कहा, ''नवजात शिशु को पालने के लिए कोई पति अपनी पत्नी के पैतृक घर से पैसों की मांग करता है तो फिर यह दहेज की परिभाषा के तहत नहीं आता है।'' जिस मामले की कोर्ट में सुनवाई चल रही थी, उसकी 1994 में शादी हुई थी और उनके तीन बच्चे हैं। जस्टिस बिबेक चौधरी ने भारतीय दंड संहिता की धारा 498ए (विवाहित महिलाओं के प्रति क्रूरता) और दहेज निषेध अधिनियम, 1961 की धारा 4 (दहेज मांगने के लिए जुर्माना) के तहत एक व्यक्ति की सजा को रद्द करते हुए यह अहम टिप्पणी की।

हाई कोर्ट ने सुनवाई के दौरान पूछा कि उसके सामने अहम सवाल यह है कि क्या दंपति के बच्चे के उचित भरण-पोषण के लिए पैसे की मांग दहेज की मांग के बराबर है या नहीं। कोर्ट ने सुनवाई के बाद यह पाया कि पति ने जो दस हजार रुपये की मांग की थी, वह कोई दहेज उत्पीड़न से जुड़ा नहीं था, बल्कि वह अपनी बच्ची के भरण पोषण के लिए था। इसी वजह से यह मामला 1961 के अधिनियम के अनुसार दहेज की परिभाषा के अंतर्गत नहीं आता है। वहीं, बेंच ने यह भी कहा कि कपल ऐसे बैकग्राउंड से आते हैं, जहां पर नवजात बच्चा जब तक वह छह महीने का नहीं हो जाता है, तब तक उसका खर्च आम तौर पर मायका या फिर पत्नी के माता-पिता के घर वाले ही करते हैं।

पत्नी ने दावा किया है कि उसकी बेटी के जन्म के तीन साल बाद, पति और रिश्तेदारों ने उसके पिता से 10 हजार रुपये की मांग की थी, ताकि वह बच्ची की देखभाल कर सकें। पत्नी का आरोप था कि यह मांग पूरी नहीं करने की वजह से उसे प्रताड़ित किया गया। यह मामला जब ट्रायल कोर्ट गया तब पति को दहेज उत्पीड़न का दोषी माना गया, जिसके खिलाफ एक अपीलीय अदालत ने भी फैसले को बरकरार रखा। बाद में पति ने राहत के लिए हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।

 

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button