डिमेंशिया के निदान के क्षेत्र में शोध कर रही ब्रिटेन की टीम में भारतीय मूल का विशेषज्ञ शामिल
जूली बिशप म्यांमार में संयुक्त राष्ट्र की विशेष दूत नियुक्त
डिमेंशिया के निदान के क्षेत्र में शोध कर रही ब्रिटेन की टीम में भारतीय मूल का विशेषज्ञ शामिल
अमेरिका: तीन दीक्षांत समारोह में हिस्सा लेंगे एनएसएफ के निदेशक पंचनाथन
संयुक्त राष्ट्
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने पूर्व ऑस्ट्रेलियाई विदेश मंत्री जूली बिशप को म्यांमार में अपने विशेष दूत के रूप में नियुक्त करने की घोषणा की।
सुबिशप ने 2013 और 2018 के बीच ऑस्ट्रेलियाई विदेश मंत्री के रूप में कार्य किया है और वर्तमान में ऑस्ट्रेलियाई राष्ट्रीय विश्वविद्यालय की चांसलर हैं, वह सिंगापुर के नोएलीन हेज़र की जगह लेंगी। घोषणा में कहा गया कि सुबिशप के पास अपनी नई भूमिका के लिए व्यापक राजनीतिक, कानूनी, प्रबंधन और वरिष्ठ नेतृत्व का अनुभव है।
सुबिशप ने ऑस्ट्रेलियाई सरकार में कई उच्च-स्तरीय पदों पर कार्य किया है, जिसमें शिक्षा, महिलाओं के मुद्दों और प्रौढ़ विभाग शामिल हैं। वह 20 वर्षों के कानूनी करियर के बाद 1998 से 2019 तक ऑस्ट्रेलियाई संसद की सदस्य रही।
डिमेंशिया के निदान के क्षेत्र में शोध कर रही ब्रिटेन की टीम में भारतीय मूल का विशेषज्ञ शामिल
लंदन
भारतीय मूल के तंत्रिका विशेषज्ञ (न्यूरोलॉजिस्ट) डॉ. अश्विनी केशवन ब्रिटेन के उस विश्व स्तरीय शोध दल का हिस्सा हैं, जिसे रक्त की जांच के जरिए डिमेंशिया रोग का पता लगाने की दिशा में शोध करने और इस दिशा में अधिक साक्ष्य एकत्र करने का काम सौंपा गया है ताकि इस पद्धति का आगामी पांच साल में और व्यापक तरीके से इस्तेमाल किया जा सके। डिमेंशिया (मनोभ्रंश) ऐसा मस्तिष्क विकार है जिसके कारण याददाश्त कमजोर हो जाती है।
यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन (यूसीएल) में वरिष्ठ नैदानिक अनुसंधान एवं मानद सलाहकार तंत्रिका विशेषज्ञ डॉ. अश्विनी केशवन उस टीम का हिस्सा हैं जो अल्जाइमर रोग के लिए सबसे आशाजनक बायोमार्कर 'पी-टाउ217' पर ध्यान केंद्रित करेगी। ऑक्सफोर्ड और कैम्ब्रिज विश्वविद्यालयों के शोधकर्ताओं की एक अन्य टीम डिमेंशिया का कारण बनने वाली अलग-अलग प्रकार की बीमारियों का पता लगाने के लिए विभिन्न प्रोटीन के संबंध में परीक्षण करेगी।
ये दोनों टीम नैदानिक तरीकों को किफायती बनाने और इन्हें राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा (एनएचएस) में शामिल किए जाने की उम्मीद के साथ पूरे ब्रिटेन से प्रतिभागियों की भर्ती करेंगी।
डॉ. केशवन ने कहा, ''डिमेंशिया,विशेष रूप से अल्जाइमर रोग का कारण बनने वाली विभिन्न प्रकार की बीमारियों का आधार बनने वाले प्रोटीन का अब रक्त में पता लगाया जा सकता है।''
उन्होंने कहा कि ये दोनों शोध दल इसी दिशा में अनुसंधान करेंगे जिसके लिए 'ब्लड बॉयोमार्कर चैलेंज' अनुदान के जरिए वित्तीय मदद मिली है।
'ब्लड बायोमार्कर चैलेंज' के तहत 'अल्जाइमर सोसाइटी', 'अल्जाइमर रिसर्च यूके', 'यूके नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ एंड रिसर्च' और 'गेट्स वेंचर्स' द्वारा 10 लाख पाउंड की राशि दी जाती है।
डॉ. केशवन ने कहा, ''अगर हमारे शोध से साबित होता है कि ये परीक्षण चिकित्सकीय रूप से उपयोगी और किफायती हैं, तो इससे इसे ब्रिटेन की मानक देखभाल प्रक्रिया का हिस्सा बनाने में मदद मिलेगी।''
अमेरिका: तीन दीक्षांत समारोह में हिस्सा लेंगे एनएसएफ के निदेशक पंचनाथन
वाशिंगटन
'नेशनल साइंस फाउंडेशन' (एनएसएफ) के निदेशक सेतुरमन पंचनाथन तीन दीक्षांत समारोह को संबोधित करेंगे, जिसमें बोस्टन में 'नॉर्थईस्टर्न यूनिवर्सिटी' में एक भाषण भी शामिल है।
पंचनाथन अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन प्रशासन में उच्च पदस्थ भारतीय- अमेरिकी वैज्ञानिक अधिकारी हैं। पंचनाथन स्नातक कक्षाओं में भाषण देंगे और तीनों विश्वविद्यालयों में से प्रत्येक में ‘डॉक्टरेट’ की मानद उपाधि प्राप्त करेंगे।
नॉर्थईस्टर्न विश्वविद्यालय के अध्यक्ष जोसेफ ई औन ने कहा, ''हमारे समय की कई ऐसी चुनौतियां है जिसके उत्तर केवल विज्ञान ही दे सकता है…।''
उन्होंने कहा,''वैश्विक समस्याओं को हल करने के प्रयास वैज्ञानिकों के प्रतिभाशाली दिमाग और एनएसएफ जैसी संघीय एजेंसियों के अटूट समर्थन से जारी हैं। निदेशक पंचनाथन का नेतृत्व अत्याधुनिक विज्ञान की अभूतपूर्व चुनौतियों और अवसरों को पहचानने की दिशा में शक्तिशाली रहा है। हम उनका वापस स्वागत करते हैं।''
कंप्यूटर वैज्ञानिक और इंजीनियर पंचनाथन को जून 2020 में एनएसएफ निदेशक नियुक्त किया गया था। एनएसएफस का बजट लगभग 9.5 अरब अमेरिकी डॉलर है। यह एक स्वतंत्र संघीय एजेंसी है जिसका काम अमेरिका में विज्ञान संबंधी खोज, तकनीकी नवाचार आदि को आगे बढ़ाना है।