उत्तर प्रदेश

मदरसा संचालकों की अर्जी पर सुनवाई, सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया, लगी रोक, 16 हजार मदरसों से टल गया संकट

लखनऊ
उत्तर प्रदेश मदरसा एजुकेशन ऐक्ट को रद्द करने वाले इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। शीर्ष अदालत ने मदरसा संचालकों की ओर से दायर अर्जी पर सुनवाई करते हुए यह फैसला दिया है। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मदरसा ऐक्ट को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि यह असंवैधानिक है और सेकुलरिज्म के खिलाफ है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली तीन जजों की बेंच ने इस मामले में केंद्र सरकार और यूपी सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा भी इस बेंच में शामिल थे।

बेंच ने कहा, 'मदरसा बोर्ड का उद्देश्य नियामक है। इलाहाबाद हाई कोर्ट का यह कहना पहली नजर में ठीक नहीं है कि मदरसा एजुकेशन बोर्ड का गठन करना सेकुलरिज्म के खिलाफ है।' बता दें कि बीते सप्ताह ही इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने यूपी सरकार को आदेश दिया था कि वह मदरसे के छात्रों को आम स्कूलों में ट्रांसफर करे और उनका नामांकन कराए। इलाहाबाद हाई कोर्ट की डिविजन बेंच ने कहा था कि सरकार के पास यह पावर नहीं है कि वह धार्मिक शिक्षा के लिए बोर्ड का गठन करे। इसके अलावा सरकार स्कूली शिक्षा के लिए किसी ऐसे बोर्ड का भी गठन नहीं कर सकती, जिसके तहत किसी खास मजहब और उसके मूल्यों की ही शिक्षा दी जाती हो।

हाई कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ मदरसा अजीजिया इजाजुतूल उलूम के मैनेजर अंजुम कादरी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। इससे पहले 22 मार्च को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने यूपी मदरसा एक्ट 2004 को असंवैधानिक करार देते हुए निरस्त कर दिया था। इसके बाद यूपी में संचालित किए जा रहे करीब 16 हजार मदरसों की मान्यता को योगी सरकार ने खत्म कर दिया था। लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने मदरसा संचालकों को बड़ी राहत दी है। बता दें कि मदरसों की फंडिंग का सवाल भी समय-समय पर उठता रहा है।

 

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