दुनिया का सबसे महंगा आम मप्र के जबलपुर में
इनकी सुरक्षा में 4 गार्ड और 6 कुत्ते तैनात
जबलपुर,RIN । फलों का राजा आम अब अपनी कीमत में भी बादशाहत कायम कर रहा है। वैसे तो देश में आम की 1200 किस्में हैं, लेकिन जबलपुर में एक आम की कीमत लाखों रुपए किलो में बताई जा रही है। फार्म हाउस संचालक का दावा है कि जापानी वैरायटी का यह आम अपने देश में 2.50 लाख रुपए प्रति किलो तक बिक चुका है। फार्म हाउस संचालक को एक व्यापारी ने 21 हजार रुपए का भाव का ऑफर किया था।
जबलपुर से चरगवां रोड पर संकल्प सिंह परिहार अपने 12 एकड़ के फार्म हाउस में दुनिया के सबसे महंगे आम को उगाने का दावा कर रहे हैं। उन्होंने फार्म हाउस में 14 अलग-अलग किस्म के आम लगाए हैं, जिसमें जापानी प्रजाति के टाइयो नो टमैगो के 7 पेड़ हैं। अब इनकी सुरक्षा के लिए चार गार्ड, 6 डॉग लगाए हैं। संकल्प इस फल से और पौधे बनाने की बात कहते हैं।
14 वैरायटी के आम हैं परिहार के बगीचे में
परिहार के मुताबिक, आम की ये वैरायटी जापान में पाली हाउस में उगाई जाती है। वहां इसे एग ऑफ सन यानी सूर्य का अंडा कहा जाता है। ऐसा इसके सुर्ख लाल रंग और आकार के चलते कहा जाता है। बाग में आम चोरी की वारदात के बाद उन्हें सुरक्षा गार्ड लगाने पड़े। जापान की तुलना में इसे संकल्प परिहार ने खुले वातावरण और बंजर पड़ी जमीन में उगाया है। उनके बाग में 14 हाईब्रिड आम हैं। उसमें मल्लिका प्रजाति का आम भी है, जो अपने वजन के कारण देश भर में प्रसिद्ध है।
टाइयो नो टमैगो आम मिलने की कहानी
संकल्प के मुताबिक 5 साल पहले नारियल के पौधे लेने चेन्नई जा रहे थे। ट्रेन में एक व्यक्ति से मुलाकात हुई थी। बागवानी में मेरी गहरी रुचि देखकर उन्होंने बताया कि उनकी नर्सरी में 6 दुर्लभ किस्म के पौधे हैं। वह चेन्नई के उस नर्सरी से 6 किस्मों के कुल 100 पौधे 2.50 लाख रुपए में लाए थे। इसमें 52 पौधे अभी जीवित हैं।
टाइयो नो टमैगो में पिछले साल आम आने शुरू हुए तो सोशल मीडिया के माध्यम से इसकी किस्म का पता लगाने की कोशिश की। तब उन्हें इसकी कीमत का अंदाजा हुआ। उन्होंने टाइयो नो टमैगो आम का नाम अपनी मां दामिनी के नाम पर रखा है।
कृषि विज्ञान सहमत नहीं
संकल्प के फार्म में लगे दुनिया के सबसे महंगे आम पर कृषि विज्ञानियों की अलग ही राय है। जवाहरलाल नेहरू विवि के हॉर्टिकल्चर विभाग के प्रो. एसके पांडे ने बताया कि देश में 1200 किस्म के आम होते हैं। यह आम ताइयो नो टमैगो किस्म का ही है, यह नहीं कहा जा सकता है। जब तक कि डीएनए से मिलान न हो जाए। फार्म मालिक को इसकी किस्म के बारे में पता ही नहीं है और न ही उसने पौधे अधिकृत नर्सरी से लिए हैं। चेन्नई में कई नर्सरी संचालक कई किस्मों को मिलाकर नई किस्म तैयार करते हैं। इससे यह पता लगाना संभव नहीं होता कि असल किस्म कौन सी है।
विदेश से पौधे लाने की है प्रक्रिया
कृषि मंत्रालय भारत सरकार के बागवानी विभाग के अपर आयुक्त डॉक्टर नवीन पटले के मुताबिक विदेश से पौधे या बागवानी से जुड़ी सामग्री लाने की एक प्रक्रिया होती है, इसमें परीक्षण कमेटी होती है। आवेदन के बाद कमेटी ही यह तय करती है कि जो पौधा अन्य देश से यहां लाया जा रहा है, वह देश के लिए उपयुक्त है या नहीं। प्रक्रिया का पालन किए बिना अन्य दो से पौधे या बीज लाना नियमों के खिलाफ है।