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बड़ी कंपनियों की जांच के लिए लेनी होगी प्रिंसिपल कमिश्नर की मंजूरी, CBIC ने GST को लेकर जारी किए दिशानिर्देश

नई दिल्ली
जीएसटी क्षेत्र के अधिकारियों को अब किसी भी बड़े औद्योगिक घरानों या प्रमुख बहुराष्ट्रीय कंपनियों के खिलाफ जांच शुरू करने और पहली बार वस्तुओं/सेवाओं पर शुल्क लगाने के लिए अपने क्षेत्रीय प्रधान मुख्य आयुक्तों की मंजूरी लेनी होगी। केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC) ने केंद्रीय जीएसटी (CGST) अधिकारियों के लिए दिशानिर्देश जारी किए हैं।

दिशानिर्देशों के अनुसार, जब एक करदाता की जांच राज्य GST और DGGI अधिकारियों द्वारा एक साथ विभिन्न विषय पर की जा रही है, तो प्रधान आयुक्त करदाता के संबंध में सभी मामलों को आगे बढ़ाने वाले कार्यालयों में से केवल एक की 'व्यवहार्यता पर विचार' करेगा।  कर अधिकारियों के लिए जांच शुरू होने के एक साल के भीतर जांच पूरी करने की समय सीमा भी तय की गई है। CGGST अधिकारियों को इकाई के नामित अधिकारी को समन भेजने के बजाय आधिकारिक पत्र जारी करना चाहिए।

बोर्ड ने कहा कि इस पत्र में जांच के कारणों का विवरण देना चाहिए और उचित समय अवधि के भीतर दस्तावेजों को प्रस्तुत करने की मांग करनी चाहिए। टैक्स अधिकारियों को करदाता से वह जानकारी नहीं मांगनी चाहिए, जो GST पोर्टल पर पहले से ही ऑनलाइन उपलब्ध है।

CBIC ने आगे कहा- प्रत्येक जांच चीफ कमिश्नर की मंजूरी के बाद ही शुरू की जानी चाहिए। हालांकि, चार श्रेणियों में जांच शुरू करने और कार्रवाई करने के लिए क्षेत्रीय प्रधान मुख्य आयुक्त की लिखित में पूर्व मंजूरी की जरूरत होगी। इन चार श्रेणियों में किसी भी क्षेत्र/वस्तु/सेवा पर पहली बार कर/शुल्क लगाने की मांग करने वाली व्याख्या के मामले शामिल हैं। इसके अलावा बड़े औद्योगिक घराने और प्रमुख बहुराष्ट्रीय निगम से जुड़े मामले, संवेदनशील मामले या राष्ट्रीय महत्व के मामले और ऐसे मामले जो पहले से ही GST काउंसिल के समक्ष हैं, इसमें शामिल हैं।

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