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रतन टाटा बोले असम में सेमीकंडक्टर का निर्माण राज्य को वैश्विक मानचित्र पर उभरेगा

नई दिल्ली
जाने-माने उद्योगपति रतन टाटा ने असम को लेकर बड़ी भविष्‍यवाणी कर दी है। उन्‍होंने कहा है कि इस राज्‍य की पहचान अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तर पर बनने वाली है। असम में टाटा समूह 27,000 करोड़ रुपये के निवेश से सेमीकंडक्टर प्‍लांट लगा रहा है। टाटा का मानना है कि यह पहल असम की वैश्विक प्रतिष्ठा को बढ़ाएगी। पहले ही ग्रुप ने पूरे राज्य में कई कैंसर अस्पताल बनाए हैं। ये स्वास्थ्य सेवा को आगे बढ़ाने की उसकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

रतन टाटा ने  सोशल मीडिया प्‍लेटफॉर्म 'एक्स' पर पोस्ट करते हुए लिखा, 'असम में किया जा रहा निवेश राज्य को कैंसर देखभाल के लिए बड़े हब में बदलता है। आज राज्य सरकार के साथ टाटा ग्रुप की साझेदारी असम को सोफेस्टिकेटेड सेमिकंडक्‍टर का एक प्रमुख प्‍लेयर बनाएगी।' रतन टाटा ने अपने साथ हिमंत बिस्वा सरमा और टाटा संस के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन की तस्वीरें शेयर कीं।

 

कई कैंसर अस्‍पताल बना चुका है ग्रुप

रतन टाटा के अनुसार, असम में सेमीकंडक्टर निर्माण वैश्विक स्तर पर ध्यान आकर्षित कर रहा है। ग्रुप जगिरोड में सेमीकंडक्टर प्‍लांट में 27,000 करोड़ रुपये का निवेश कर रहा है। असम सरकार और टाटा समूह के बीच सहयोग का उद्देश्य असम को अत्याधुनिक सेमीकंडक्टर प्रौद्योगिकी में लीडर के रूप में स्थापित करना है।

टाटा ने असम सरकार के सहयोग से पहले ही राज्यभर में कई कैंसर देखभाल अस्पताल स्थापित किए हैं। रतन टाटा के मुताबिक, यह नया विकास असम को ग्‍लोबल मैप पर लाएगा। उन्‍होंने असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा को उनके समर्थन और दूरदर्शिता के लिए धन्यवाद दिया। साथ ही कहा कि यह काम उनके सहयोग के बिना मुमकिन नहीं हो सकता था।

टाटा के प्‍लांंट में क‍ितनी च‍िप्‍स बनेंगी?

इससे पहले  केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने आश्वासन दिया था कि दिसंबर 2024 तक हमारे पास भारत में बनी पहली चिप होगी। हमने इस पर पहला प्रयास 1962 में ही किया था। लेकिन जब तक आपके पास सही नीति और सही दृढ़ विश्वास नहीं होगा, ऐसा नहीं हो सकता। पीएम मोदी का दृढ़ विश्वास है कि इसके लिए विकसित भारत में हमें इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण की जरूरत है।

टाटा सेमीकंडक्टर असेंबली एंड टेस्ट प्राइवेट लिमिटेड (TSAT) असम के मोरिगांव में एक सेमीकंडक्टर इकाई स्थापित करेगी। इसकी रोजाना 4.8 करोड़ चिप्स की उत्पादन क्षमता होगी। 27,000 करोड़ रुपये की लागत वाली यह सुविधा ऑटोमोटिव, इलेक्ट्रिक वाहन, उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स, दूरसंचार और मोबाइल फोन जैसे विभिन्न उद्योगों की जरूरतों को पूरा करेगी।

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