धर्म/ज्योतिषमध्यप्रदेश

सतना के श्वेताम्बर जैन समाज का भव्य मंदिर बन कर तैयार

5 अप्रैल से 11 दिवसीय भगवान श्री मुनीसुव्रत स्वामी की अंजन शलाका तथा श्री आदिनाथ जिनालय की प्रतिष्ठा महोत्सव शुरु होगा

Realindianews.com
भोपाल। विंध्य में अपनी अलग पहचान रखने वाले श्वेताम्बर जैन समाज का भव्य मंदिर धर्म नगरी सतना में बन कर तैयार हो चुका है। ग्यारह दिवसीय भगवान श्री मुनीसुव्रत स्वामी की अंजन शलाका तथा श्री आदिनाथ जिनालय का प्रतिष्ठा महोत्सव 5 अप्रैल से शुरु होने जा रहा है। ग्यारह दिवसीय महोत्सव में विविध कार्यक्रम आयोजित होंगे। ग्यारह दिवसीय कार्यक्रम में देश विदेश से लाखो भक्त एकजुट होंगे। श्वेताम्बर समाज के युवाओं नें कार्यक्रम को भव्यता देने के लिए निरंतर युध्द स्तर पर तैयारियां की जा रही है। आपको बतादें कि विंध्य में यह जिनालय अलग ही स्थान रखता है।

नवम्बर 2020 से प्रारंभ हुआ था नवीन जिनालय का निर्माण
पुराने जिनालय का उत्थापन कर 24 नवम्बर 2020 को शिला स्थापन कर पूजन विधि विधान के साथ सम्पन्न कर नवीन जिनालय का निर्माण प्रारम्भ किया गया था। नवीन जिनालय की भव्यता अलग ही होगी। नवीन जिनालय का निर्माण कार्य प्रख्यात सोमपुरा महेश भाई हरीश भाई अहमदाबाद वालों की देखरेख में हो रहा है। तरासे गये संगमरमर के पत्थर द्वारा लगभग 20 कुशल कारीगरों द्वारा सुन्दर कलावृति नक्काशी व्दारा जिनालय का भव्य निर्माण कार्य निरंतर चल रहा है।

1972 में हुआ था पुराने जिनालय का भूमि खनन
श्री श्वेताम्बर जैन संघ ट्रस्ट सतना के उपाध्यक्ष भाई कीर्ति कामदार ने बताया कि 2 फरवरी सन् 1972 को पुराने जिनालय का भूमि खनन पूजन हुआ था। 8 फरवरी सन् 1972 को पूज्य आचार्य श्री विक्रम सूरीश्वर जी महाराज साहब की सानिध्य मे जिनालय का शिला स्थापन का पूजन हुआ था। जिनालय निर्माण के लिए श्री संघ के सभी सदस्यों नें अपनी यथा योग्य सामर्थ से आर्थिक सहयोग दिया जिससे भव्य जिनालय का निर्माण हुआ था।

जिनालय निर्माण में नहीं हुआ लोहे का उपयोग
अध्यक्ष गिरीश शाह ने बताया कि जिनालय के निर्माण में संगमरमर के शिलाओ से पूरे मंदिर का निर्माण हो रहा है। इस मंदिर में कहीं भी लोहे का उपयोग नहीं हो रहा है। पूर्व में सन् 1974 में हुए जिनालय के निर्माण में भी लोहे का उपयोग नहीं हुआ था। इस बार भी जिनालय निर्माण में लोहे का उपयोग नहीं किया गया।

स्वप्न में पधारे थे मूल नायक श्री आदिनाथ भगवान
अध्यक्ष गिरीश शाह ने बताया कि स्वप्न में पधारे मूलनायक श्री आदिनाथ भगवान जी के साथ श्री महावीर स्वामी जी, भगवान श्री पार्श्वनाथ भगवान श्री नेमिनाथ भगवान एवं श्री शान्तिनाथ भगवान जी की प्राचीन प्रतिमा की प्रतिष्ठा महोत्सव फागुन सुद चौथ संवत् 2032 (सन् 1976) को पूज्य आचार्य श्री राम सुरिश्वर जी महाराज साहब की सानिध्य मे समस्त पांचो भगवान के साथ वास्तु अनुरूप अन्य देवी देवताओं की प्रतिमा जी की भी प्रतिष्ठा विधि पूरे विधि विधान के साथ सम्पन्न हुई थी।

वस्तु दोष के कारण नवीन जिनालय का हुआ निर्माण
उन्होने बताया कि लगभग 44 वर्ष पहले निर्मित मन्दिर मे वास्तुदोष एवं शिखर में लगे ध्वज दण्ड बन्दरो के द्वारा क्षतिग्रस्त कर देने से शिखर के पत्थर पर दरार पड़ जाने से जिनालय में पानी का लिकेज होने लगा था। जिनालय में दिक्कते आने लगी जिसके कारण समय-समय पर साधु भगवंतो की प्रेरणा एवं श्री संघ के विचार विमर्श उपरात पूज्य गच्छाधिपति आचार्य अभयदेव सुरिश्वर जी महाराज साहब की शिष्या पूज्य साध्वी श्री मुक्तिरसा श्री जी महाराज साहब आदि सात साध्वी जी का सतना नगर मे सन् 2020 मे चतुर्मास उपरांत नवीन जिनालय जीर्णोद्वार की प्रेरणा श्री संघ को दी जिसके बाद सतना श्री संघ पूज्य गच्छाधिपति आचार्य गुरूदेव अभयदेव सुरिश्वर जी महाराज साहब सानिध्य में एवं आचार्य गुरु देव श्री मोक्ष रत्न सूरीश्वर जी महाराज साहब में मार्गदर्शन पर श्री आदिनाथ जिनालय का नवीन जीर्णोद्धार निर्माण करने का सतना श्रीसंघ ने निश्चय किया।

महावीर भवन में हो रही विधि विधान से पूजा अर्चना
जिनालय के सभी भगवान एवं अन्य देवी देवताओं का विधि के साथ जिनालय से उत्थापन कर सहर्ष एवं ससम्मान के साथ महावीर भवन में मन्त्रोचारण के साथ विधि पूर्वक आसन बनाकर मेहमान स्वरूप विराजित किया गया है। जिनालय का निर्माण अहमदाबाद के माने जाने सोमपुरा श्री महेश भाई हरीश भाई के देखरेख मे द्रविण वास्तु शैली की सकल्पना के अनुसार निर्माण किया गया है।

उड़ीसा के शिल्पकारों ने सुन्दर कलाकृति बनाई
नवीन जीर्णोद्वार जिनालय निर्माण में मकराना के सफेद संगमरमर के पत्थरों में गढ़ाई कर इन्टरलाकिंग फिटिंग करके बनाया गया है। शिखर बन्द जिनालय जिसमें गुम्मद, स्तम्भ, तोरण द्वार आदि का निर्माण मकराना एवं आगरा से आए कुशल कारीगरों द्वारा किया गया है जिसमे उड़ीसा से आए कुशल शिल्पकारों द्वारा सुन्दर कलाकृति एवं आकर्षक नक्कासी युक्त भव्य श्वेत जिनालय का कार्य पिछले तीन वर्षो से लगातार किया जा रहा है। जिनालय में वास्तु अनुसार तीन दिशाओं में सागवन (टिक वुड) में भव्य नक्कासी युक्त दरवाजों का निर्माण किया गया है।

श्री दादा गुरुदेव की दादा वाडी एवं सतसंग भवन का भी निर्माण
भाई कीर्ति कामदार ने बताया कि युग प्रधान पूज्य गुरुदेव श्री जिनकुशल सुरिश्वर जी की दादा वाडी (मन्दिर) भी बाहर से सफेद संगमरमर के नक्कासी द्वारा कलाकृति युक्त पत्थरों से बनाया गया है। जिनालय के पीछे सतसंग भवन का निर्माण किया गया है।

– ग्यारह दिन चलेंगे प्रतिष्ठा महोत्सव के कार्यक्रम
-5 अप्रैल को परम पूज्य गच्छाधिपति गुरुदेव श्री का प्रवेश होगा, सामैया, भवन की तक्ति अनावरण विधि एवं जगडूशा भोजन मंडप का उद्घाटन, दोपहर श्री पद्मावती महापूजन के साथ होगा।
-6 अप्रैल को मानिक स्तंभ रोपण विधि, तोरण बंधन, कुंभ स्थापना, दीप स्थापना एवं जवारा रोपण होगा।
-7 अप्रैल को लघु नंदा व्रत पूजन, क्षेत्रपाल पूजन, भैरव पूजन, घंटाकर्ण वीर पूजन, सोलह विद्या देवी पूजन होगी।
– 8 अप्रैल को दसदीगपाल पूजन, नवग्रह पूजन, अष्ट मंगल पूजन, नवपद पूजन, लघु स्थानक पद पूजन होगी।
– 9 अप्रैल को राजगृही नगरी का उद्घाटन, परम पूज्य गच्छाधिपतिश्री का बेसता महीने का महा मंगलिक, अभय अमृत कलश की स्थापना, मुलनायक आदिनाथ दादा वगैरह भगवान की प्रतिष्ठा एवं ध्वजा संबंधी बोलियाँ होगी।
-10 अप्रैल को सुबह जिनालय में च्यवन कल्याणक विधान, माता- पिता की स्थापना, इंद्रा-इंद्राणी स्थापना, 14 स्वप्न दर्शन, पंचकल्याणक स्टेज उछमणि का शुभारंभ होगा।
-11 अप्रैल को सुबह जिनालय में प्रभु जी का जन्म कल्याण महोत्सव, 56 दीप कुमारी इंद्राणी महोत्सव, मेरु गिरी के ऊपर ढाई सौ अभिषेक, दोपहर देव देवियों का होम सहित पूजन होगा।
-12 अप्रैल को प्रियंवदा जन्म बधाई, फई द्वारा नामकरण, पाठशाला गमन एवं दोपहर को जिन बिंबों का 18 अभिषेक, ध्वज दंड कलश अभिषेक, दोपहर मेहंदी और सांझी रात को वांदोली होगी।
-13 अप्रैल को मांमेरू – लग्न, दीक्षा स्नान, प्रभु जी का राज्याभिषेक राज्य तिलक नव लोकांतिक देवों द्वारा विनंती, रथ यात्रा की बोलियाँ लगेगी।
-14 अप्रैल को दीक्षा विधान, दीक्षा कल्याण का वरघोडा, दीक्षा कल्याण स्टेज प्रोग्राम, शाम को महा पूजा, मध्य रात्रि को अधिवासना अंजन शलाका, केवल ज्ञान कल्याणक और सुबह निर्माण कल्याण तथा 108 अभिषेक होंगे।
-15 अप्रैल को शुभ मुहूर्त मे प्रतिष्ठा, गुरु पूजन, महा मंगलिक, विजय मुहूर्त में अष्टोत्तरी शांति स्नात्र, शांम को कुमार पाल महाराजा द्वारा आरती की जाएगी।
-16 अप्रैल को शुभ मुहूर्त में द्वार उद्घाटन और सुबह सतर भेदी पूजा होगा।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button