नई दिल्ली,RIN । टीम इंडिया जुलाई में वनडे और टी-20 सीरीज खेलने श्रीलंका दौरे पर जाएगी। हालांकि उस समय भारत की 20 सदस्यों वाली एक टीम इंग्लैंड में भी होगी, जो अगस्त-सितंबर में मेजबान टीम से पांच टेस्ट मैचों की सीरीज खेलेगी। यानी एक ही समय में भारत की दो टीमें अलग-अलग सीरीज के लिए अलग-अलग देशों में होगी। माना जा रहा है कि कई अन्य देश भी आने वाले दिनों में इस मॉडल को अपना सकते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसा करना समय की मांग है। चलिए जानने की कोशिश करते हैं कि क्या नियमित तौर पर ऐसा करना संभव है। क्या पहले भी कभी एक समय में एक देश की दो टीमें हुई हैं और सबसे बड़ी बात ये कि ऐसा करना अब क्यों जरूरी है?
भारत ने पहले भी एक समय में दो अलग-अलग टीमें बनाई हैं। ऐसा 1998 में हो चुका है। उस समय भारत की एक टीम पाकिस्तान के खिलाफ कनाडा में वनडे सीरीज खेल रही थी। वहीं, अजय जडेजा की कप्तानी में दूसरी टीम मलेशिया में कॉमनवेल्थ गेम्स में हिस्सा ले रही थी। पाकिस्तान ने भी दो अलग-अलग टीमें बनाई थीं।
इसी साल फरवरी-मार्च में ऑस्ट्रेलिया भी दो टीमें बनाने की तैयारी में था। एक टीम न्यूजीलैंड के साथ सीमित ओवर के मैचों की सीरीज खेल रही थी। वहीं, दूसरी टीम को टेस्ट सीरीज के लिए साउथ अफ्रीका के दौरे पर जाना था। हालांकि उस समय साउथ अफ्रीका में कोरोना महामारी के प्रकोप के कारण दौरा रद्द कर दिया गया। क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया के पूर्व सीईओ जेम्स सदरलैंड ने 2010 में भी एक देश की दो अलग-अलग टीम बनाने का सुझाव दिया था। उन्होंने कहा था कि दुनियाभर में कई क्रिकेट लीग होने के कारण इंटरनेशनल क्रिकेट के लिए कम समय मिल रहा है। ऐसे में सभी टूर मुकम्मल कराने के लिए अलग-अलग टीमें बनानी चाहिए। उन्होंने कहा था कि इससे खिलाडिय़ों के पास सुविधा होती है कि वे किसी एक फॉर्मेट के स्पेशलिस्ट बनें। ऐसा होने पर एक देश की एक टीम कहीं टेस्ट सीरीज खेल रही होती, तो दूसरी टीम कहीं वनडे या टी-20 सीरीज खेल रही होती।
सदरलैंड ने भारत की दो अलग-अलग टीमों पर भी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि आज नहीं तो कल ऐसा होना ही था। यह समय की मांग है और अच्छा फैसला है।
पाकिस्तान क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान और पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड के पूर्व सीईओ रह चुके रमीज राजा इस शुरुआत से बहुत ज्यादा सहमत नहीं दिखे। रमीज ने कहा कि अभी कुछ देशों के पास ही एक समय में दो टीमें बनाने लायक टैलेंट पूल मौजूद है। बहुत से देश ऐसा नहीं कर सकते हैं। न्यूजीलैंड की आबादी 60 लाख से भी कम है। उसके लिए लगातार दो टीमें बनाना मुमकिन नहीं होगा। इसी तरह कई अन्य छोटे देश भी मुश्किल में आ सकते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि एक समय में दो या अधिक नेशनल टीम बनाने के लिए किसी भी देश में बेहतर क्रिकेट इन्फ्रास्ट्रक्चर का होना जरूरी है। भारत, इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के लिए ऐसा करना बहुत मुश्किल नहीं होगा। इन देशों में घरेलू क्रिकेट का ढांचा मजबूत है और साथ ही इन देशों के क्रिकेट बोर्ड वित्तीय रूप से अधिक संपन्न हैं।