भारतीय जल सेना ने पाकिस्तान, ईरान सहित कई देशों को समुद्री लुटेरों से बचाया, दुश्मनों को उन्ही भाषा में दिया ज़बाव
नई दिल्ली
यह आत्मविश्वास से भरा हुआ भारत है, ये संकल्पों को चरितार्थ करने के लिए जी-जान से जुटा हुआ भारत है… इसलिए ये भारत न रुकता है, न थकता है, न हांफता है और न ही ये भारत हारता है। पिछले साल 15 अगस्त को लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नए भारत को कुछ इसी तरह परिभाषित किया था। बताया था कि जो हमारी तरफ आंख उठाकर देखेगा, उसे मुंह की खानी पड़ेगी। हमारी तीनों सेनाएं (नभ,जल और थल) भी अब ईंट से ईंट बजाने में माहिर हैं। दुश्मन को उसी की भाषा में समझाना उन्हें आता है।
भारत के सेना की ताकत क्या होती है, यह तो अरब सागर में आतंक मचा रहे समुद्री लुटेरे अब भलीभांति समझ गए होंगे। भारतीय नौसेना ने 12 मार्च को बांग्लादेश के 22 नागरिकों को भी 11 समुद्री लुटेरों से बचाया। समुद्री लुटेरों की हिमाकत को हाल के एक दो महीनों में भारतीय नौसेना ने ही चुनौती दी है। खुद पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान भी भारत की इस मदद का मुरीद हो गया है। वहां के लोग भारत की बढ़ती ताकत खूब तारीफ भी कर रहे हैं। समुद्री लुटेरों से बचाने के लिए ईरान, लाइबेरिया, यूरोप का देश माल्टा भी शुक्रगुजार है।
बांग्लादेश के 22 नागरिकों को सुरक्षित बचाया
अरब सागर के पास सोमालिया के तट पर समुद्री लुटेरों ने बांग्लादेशी झंडे वाले जहाज एमवी अब्दुल्ला पर हमला किया था। एमवी अबदुल्ला जहाज उस वक्त कोयला लेकर मोजाम्बिक से संयुक्त अरब अमीरात (UAE) जा रहा था। इंडियन नेवी ने बताया कि जैसे ही भारतीय नौसेना को सूचना मिली, उन्होंने तुरंत एक लंबी दूरी की समुद्री गश्ती विमान (LRMP) को भेजा। 12 मार्च की शाम जहाज का पता लगाने के बाद, नेवी ने चालक दल के सदस्यों का पता लगाने की कोशिश शुरू कर दी। इसके लिए इंडियन नेवी ने बांग्लादेश के जहाज एमवी अब्दुल्ला से संपर्क किया लेकिन जहाज से कोई जवाब नहीं मिला।
14 मार्च की सुबह, भारतीय नौसेना ने यह सुनिश्चित करने के लिए जहाज के चालक दल की जांच की कि वे सुरक्षित हैं या नहीं। चालक दल के सभी सदस्य बांग्लादेशी नागरिक थे जिन्हें हथियारबंद समुद्री लुटेरों ने बंधक बना रखा था। भारतीय नौसेना के बयान के अनुसार, 'मिशन ने समुद्री सुरक्षा अभियानों के लिए तैनात एक युद्धपोत को भेजा था, जिसे रास्ते से हटा दिया गया था। इस युद्धपोत ने 14 मार्च 24 की सुबह अपहरण किए गए एमवी अबदुल्ला को रोका। जहाज पर सवार बांग्लादेशी चालक दल की सुरक्षा सुनिश्चित की गई और भारतीय युद्धपोत सोमालिया के क्षेत्रीय जल में पहुंचने तक एमवी के आसपास ही रहा। कुल 22 बांग्लेदेशी नागरिक थे और उन्हें करीब 11 समुद्री लुटेरों ने बंधक बनाया था।
पाकिस्तानी नागरिकों के लिए संकटमोचक बना था नेवी
मुश्किल में फंसे पड़ोसी देश के नागरिकों की मदद करना कोई पहली बात नहीं है। बांग्लादेश से पहले बीते दो महीनों में इंडियन नेवी ने पाकिस्तान और ईरान के भी नागरिकों को भी समुद्री लुटेरों से बचाया है। यह सारी घटनाएं अरब सागर के पास सोमालिया तट के पास ही हुई हैं। पाकिस्तान के लिए तो भारतीय नौसेना दो-दो बार मदद कर उन्हें चंगुल से छुटाया था। जनवरी के अंतिम महीने में सोमालिया के पूर्वी तट के पास समुद्री लुटेरों ने 19 पाकिस्तानी नाविकों को बंधक बना लिया था।
उनके ईरानी झंडे वाले विमान एफवी अल नईमी में 11 समुद्री लुटेरे सवार हो गए थे। इसके बाद इंडियन नेवी ने अपने INS सुमित्रा को भेजा जिसके बाद मजबूरन समुद्री लुटेरों को उन 19 पाकिस्तानी नागरिकों को छोड़ना पड़ा था। इसके ठीक 2 दिन बाद सोमालिया के ही तट के पास एक बार फिर समुद्री लुटेरों ने 8 पाकिस्तानी नागरिकों को बंधक बनाया था। इस बार उनके साथ 11 ईरानी भी थे। यहां भी मदद के लिए आगे आते हुए इंडियन नेवी ने 11 ईरानी और 8 पाकिस्तानी नागरिकों को बचाया था। तब इंडियन नेवी ने आईएनएस शारदा को भेजा था।
ईरान की भी की दो बार मदद
भारत-ईरान के रिश्ते किसी से छुपे नहीं हैं। दोनों के बीच आपसी संबंध मजबूत हैं। भारत ने ईरान के नागरिकों को भी ऐसे ही समुद्री डाकुओं से बचाया था। रविवार यानी 28 जनवरी यानी रविवार को भारतीय नौसेना को सूचना मिली कि ईरान के फिशिंग वैसेल FV ईमान को समुद्री लुटेरों ने बंधक बना लिया था। इसमें 17 ईरानी क्रू मेंबर्स सवार थे। इसके 15 दिन पहले भी इंडियन नेवी ने आईएनएस सुमित्रा की मदद से ईरान के लोगों की रक्षा थी। तब 11 ईरानी नागरिकों के साथ पाकिस्तानी भी सवार थे।
लाइबेरिया का जहाज लीला नोर्फोर्क बना था निशाना
साल के शुरुआती हफ्ते में यह पहला मामला था। 4 जनवरी को सोमालिया के ही तट के पास लाइबेरिया के फ्लैग वाले जहाज लीला नोर्फोर्क को 4-5 हथियारबंद समुद्री लुटेरों ने हाईजैक कर लिया। नौसेना ने बताया कि जहाज ने ब्रिटेन के मैरीटाइम ट्रेड ऑपरेशन्स(UKMTO) ने पोर्टल पर एक संदेश भेजा था। इसके बाद नेवी ने INS चेन्नई को बचाने के लिए भेजा था। इसमें कुल 21 लोग सवार थे जिसमें 15 भारतीय सवार थे।
माल्टा के जहाज को भी समुद्री डाकुओं से बचाया था
यूरोप के देश माल्टा का एक जहाज भी पिछले साल 14 दिसंबर की तारीख को हाईजैक कर लिया गया था। इसके बाद भारतीय नौसेना ने अपने युद्धपोत को अदन की खाड़ी में जहाज एमवी रुएन की मदद के लिए भेजा था। तब 6 समुद्री लुटेरों ने उस जहाज को बंधक बनाया था। एमवी रुएन तब कोरिया से तुर्किये की तरफ जा रहा था कि तभी समुद्री लुटेरों ने उसे बंधक बना लिया था। उस घटना में नाविक गंभीर रूप से घायल हो गया था।