मध्यप्रदेश

चुनाव संपन्न कराने के लिए प्रदेश में पौने तीन लाख कर्मचारियों की आवश्यकता है पर जिलों में नियमित कर्मचारियों की कमी

भोपाल
अप्रैल-मई में लोकसभा चुनाव प्रस्तावित हैं। चुनाव की घोषणा कभी भी हो सकती है। चुनाव संपन्न कराने के लिए प्रदेश में पौने तीन लाख कर्मचारियों की आवश्यकता है पर जिलों में नियमित कर्मचारियों की कमी है। श्योपुर, खंडवा और बालाघाट में मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय से संविदा कर्मचारियों की ड्यूटी मतदान दल सहित अन्य कार्यों में लगाने की अनुमति मांगी है। इस मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय ने कलेक्टरों से कर्मचारियों की उपलब्धता की स्थिति को स्पष्ट करते हुए प्रतिवेदन मांगा है। मध्य प्रदेश में 64 हजार 523 मतदान केंद्र हैं। प्रत्येक केंद्र पर चार अधिकारी-कर्मचारियों की ड्यूटी लगती है। इस प्रकार दो लाख 58 हजार 92 कर्मचारी लगते हैं। इसके लिए जिलों को कर्मचारी चिन्हित करने के लिए कहा गया था ताकि उन्हें प्रशिक्षण दिलाया जा सके। जब जिलों में इसकी सूची तैयारी की गई तो कुछ जिलों में नियमित कर्मचारियों की कमी पाई गई।
 

श्योपुर, खंडवा और बालाघाट जिले ने मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय को पत्र लिखकर संविदा कर्मचारियों को मतदान दल सहित अन्य कार्यों में शामिल करने की अनुमति मांगी है। जबकि, आयोग के स्पष्ट निर्देश हैं कि किसी संविदा वाले कर्मचारी को चुनाव कार्य में संलग्न न किया जाए। इस स्थिति को देखते हुए अब मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय ने कलेक्टरों को निर्देश दिए हैं कि वे अपने यहां नियमित कर्मचारियों की उपलब्धता और संविदा कर्मचारियों की आवश्यकता को लेकर प्रतिवेदन दें ताकि चुनाव आयोग को अनुमति के लिए प्रस्ताव भेजा जा सके।
 
संविदा कर्मचारियों में वर्ग एक, दो, तीन और चार की स्थिति भी पूछी गई है ताकि आवश्यकता के अनुसार इन्हें ड्यूटी लगाई जा सके। उल्लेखनीय है कि विधानसभा चुनाव के समय भी कुछ जिलों में नियमित कर्मचारियों की कमी को देखते हुए आयोग ने संविदा कर्मचारियों की ड्यूटी लगाने की अनुमति दी थी।

भर्ती नहीं होने से गड़बड़ाई स्थिति- प्रदेश में लंबे समय से रिक्त पदों के विरुद्ध भर्तियां नहीं हुई हैं। तत्कालीन शिवराज सरकार ने विधानसभा चुनाव के पहले एक लाख रिक्त पदों पर भर्ती के लिए प्रक्रिया प्रारंभ की थी। लगभग 60 हजार कर्मचारियों की भर्ती हो चुकी है और शेष के लिए प्रक्रिया चल रही है। 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण को लेकर अंतिम निर्णय नहीं होने को लेकर 13 प्रतिशत पद रोककर रखे गए हैं।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button