फ़िल्म जगत

रहने की अस्थायी व्यवस्थाओं को बहादुरी से अपनाया एक्टर्स ने

मुंबई

टेलीविजन के कलाकार सपनों की नगरी, यानि मुंबई में मिले अपने पहले घर की बात कर रहे हैं। इन कलाकारों ने अपने रहने की अस्थायी व्यवस्थाओं को बहादुरी से अपनाया था, चाहे छोटे-छोटे अपार्टमेंट्स हों या शेयर्ड स्पेसेस। उन्हें किराये पर मिले घरों ने वह सांचा दिया, जिसके भीतर उनकी कला पनपती रही।

वह साधारण सी शुरुआत का दौर था, जिसने भविष्य की सफलता की कहानी को गढ़ा। इतने सालों में मिली उनकी स्टारडम की बात करें तो, ऐसे कलाकारों की बात सुनना जरूरी हो जाता है, जिनके लिये किराये के घर किसी स्वर्ग से कम नहीं थे। ऐसे कुछ कलाकारों में शामिल हैं- नेहा जोशी (कृष्णा देवी वाजपेयी, अटल), योगेश त्रिपाठी (दरोगा हप्पू सिंह, हप्पू की उलटन पलटन) और रोहिताश्व गौड़ (मनमोहन तिवारी, भाबीजी घर पर हैं)। अटल की नेहा जोशी (कृष्णा देवी वाजपेयी) ने बताया, मैं मुंबई के अपने शुरूआती दिनों में अपने कुछ परिचितों के साथ एक पेइंग गेस्ट के तौर पर जिनके यहां रही, उन्हें प्यार से आजी कहती हूं। हालांकि आकस्मिक स्थितियों के कारण मुझे वह जगह छोड़नी पड़ी।

हप्पू की उलटन पलटन के योगेश त्रिपाठी (दरोग हप्पू सिंह) ने अपने पुराने दिनों को याद करते हुए कहा, मुंबई में मेरा पहला घर था रेलवे स्टेशन। मुझे याद है जब करीब चार दिनों तक विभिन्न स्टेशनों पर सोना पड़ा, क्योंकि और कोई जगह नहीं थी। भाबीजी घर पर हैं के रोहिताश्व गौड़ (मनमोहन तिवारी) ने गुजरे वक्त को याद करते हुए कहा, अपने कॅरियर की शुरूआत में मेरा पहला घर 180 वर्गफीट का एक मामूली-सा कमरा था। वहां मेरे साथ तीन और लोग रहते थे, जो फिल्म इंडस्ट्री में नाम कमाना चाहते थे। वहां एक छोटा-सा किचन और बाथरूम भी था। महीने का किराया 1500 रुपए था, जो धीरे-धीरे बढ़ता गया।

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