मध्यप्रदेश

फ्लाई ऐश के कुशल प्रबंधन से शतप्रतिशत सदुपयोग के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया

  • दो ताप विद्युत गृहों को फ्लाई ऐश के कुशल प्रबंधन के लिए मिला राष्ट्रीय पुरस्कार
  • फ्लाई ऐश के कुशल प्रबंधन से शतप्रतिशत सदुपयोग के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया
  •  सतपुड़ा ताप विद्युत गृह सारनी एवं सिंगाजी ताप विद्युत गृह दोंगलिया को राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त हुए
  • ऊर्जा मंत्री तोमर ने दी बधाई

भोपाल

मध्यप्रदेश पावर जनरेटिंग कंपनी के सतपुड़ा ताप विद्युत गृह सारनी और सिंगाजी ताप विद्युत गृह दोंगलिया को फ्लाई ऐश (ताप विद्युत गृह से निकलने वाली राख) के कुशल प्रबंधन से शतप्रतिशत सदुपयोग के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। सतपुड़ा ताप विद्युत गृह सारनी को 500 मेगावाट एवं सिंगाजी ताप विद्युत गृह दोंगलिया को स्टेट सेक्टर में 500 मेगावाट से ऊपर की श्रेणी में यह पुरस्कार प्राप्त हुए। पिछले दिनों गोवा में मिशन इनर्जी फाउंडेशन द्वारा फ्लाई ऐश यूटिलाइजेशन काफ्रेंस एक्सपो अवार्ड्स में यह पुरस्कार मध्यप्रदेश पावर जनरेटिंग कंपनी को दिए गए। अवार्ड समारोह को केन्द्रीय कोयला मंत्रालय, स्टील मंत्रालय, ऊर्जा मंत्रालय, शहरी विकास मंत्रालय, पर्यावरण व वन मंत्रालय और सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित किया गया था।

ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर, अपर मुख्य सचिव ऊर्जा मनु श्रीवास्तव और पावर जनरेटिंग कंपनी के प्रबंध संचालक मनजीत सिंह ने इस उपलब्धि के लिए सतपुड़ा ताप विद्युत गृह सारनी व सिंगाजी ताप विद्युत गृह दोंगलिया के संबद्ध अभियंताओं तथा कार्मिकों को बधाई दी है।

मिशन इनर्जी फाउंडेशन द्वारा फ्लाई ऐश यूटिलाइजेशन काफ्रेंस एक्सपो में एनटीपीसी, महाजेनको, वेदांता, नेवेली लिंग्नाइट सहित देश के महत्वपूर्ण सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की लगभग 100 से अधिक पावर यूटिलिटी ने भाग लिया।

मध्यप्रदेश पावर जनरेटिंग कंपनी के द्वारा केन्द्र और प्रदेश शासन के मापदंड के अनुसार दोनों ताप विद्युत गृहों में 100 प्रतिशत से ज्यादा फ्लाई ऐश का कुशल प्रबंधन से निष्पादन किया गया।

काफ्रेंस में मध्यप्रदेश पावर जनरेटिंग कंपनी के अतिरिक्त मुख्य अभियंता सुबोध निगम और चीफ केमिस्ट रविकांत राउत ने फ्लाई ऐश के निष्पादन की सफलता की कहानी को प्रस्तुत किया। इसकी देश भर की पावर यूटिलिटी के प्रतिनिधियों ने सराहना की।

 

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