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कोलकाता हाई कोर्ट ने टीएमसी नेता शाहजहां शेख और केस दोनों को आज ही CBI को सौंपने का आदेश दिया

नई दिल्ली
संदेशखाली मामले पर ममता बनर्जी सरकार को बड़ा झटका लगा है। कोलकाता हाई कोर्ट ने टीएमसी नेता शाहजहां शेख और केस दोनों को आज ही CBI को सौंपने का आदेश दिया है। संदेशखाली में प्रवर्तन निदेशालय (ED) के अधिकारियों पर 5 जनवरी को हमला हुआ था। केंद्रीय एजेंसी अब निलंबित टीएमसी नेता शेख शाहजहां को जल्द ही हिरासत में ले सकती है। शेख को पिछले हफ्ते उत्तर 24 परगना जिले के मिनाखान में एक घर से गिरफ्तार किया गया था। चीफ जस्टिस टीएस शिवज्ञानम की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने निर्देश दिया कि मंगलवार शाम 4.30 बजे तक उसके आदेशों का पालन हो। मालूम हो कि ईडी और पश्चिम बंगाल सरकार दोनों ने एकल पीठ के उस आदेश को चुनौती दी और इसे लेकर अलग-अलग अपील दायर की थी, जिसमें हमले की जांच को लेकर CBI और राज्य पुलिस की संयुक्त विशेष जांच टीम (SIT) के गठन का आदेश दिया गया था। ईडी की मांग थी कि जांच केवल सीबीआई को ही भेजी जाए। वहीं, राज्य सरकार ने जांच केवल राज्य पुलिस को देने की मांग रखी थी।

संदेशखाली में यौन अत्याचार, जमीन हड़पने के आरोप
चीफ जस्टिस शिवज्ञानम की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने इस मामले पर सोमवार को भी सुनवाई की थी। इस दौरान ईडी, राज्य सरकार और सीबीआई की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था। पीठ में जस्टिस हिरणमय भट्टाचार्य भी शामिल थे। खंडपीठ ने शेख को संदेशखाली में यौन अत्याचार और आदिवासी लोगों की भूमि हड़पने के आरोपों पर स्वत: संज्ञान लेते हुए पक्षकार बनने की इजाजत दी, जिसकी सुनवाई यह खुद कर रही है। शेख के वकील ने स्वत: संज्ञान प्रस्ताव में सुनवाई की प्रार्थना की थी, जिस पर अदालत ने बुधवार को सुनवाई करने का निर्देश दिया है।

ED अधिकारियों पर भीड़ ने किया था हमला
संदेशखाली में टीएमसी नेता के यहां छापेमारी के दौरान लगभग 1,000 लोगों की उग्र भीड़ ने ईडी अधिकारियों पर हमला किया था। इस हमले के बाद शेख को गिरफ्तार किया गया। उन्होंने कहा कि शेख की गिरफ्तारी के बाद राज्य सरकार ने मामले की जांच बशीरहाट पुलिस से लेकर अपराध जांच विभाग (CID) को सौंप दी थी। राजू ने दावा किया कि ऐसा शेख को सीबीआई हिरासत से बचाने के लिए किया गया था, भले ही जांच CBI को क्यों न हस्तांतरित कर दी जाए, क्योंकि किसी आरोपी की अधिकतम पुलिस हिरासत अवधि 14 दिन होती है। ED को राज्य पुलिस से जुड़ी संयुक्त जांच पर भरोसा नहीं है, क्योंकि शेख सत्तारूढ़ दल का एक प्रमुख नेता और प्रभावशाली व्यक्ति हैं।

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