पश्चिम बंगाल के संदेशखाली में ग्रामीणों को अब उनकी जमीनें वापस मिलने लगी, लेकिन नहीं बची खेती लायक
कोलकाता
पश्चिम बंगाल के संदेशखाली में ग्रामीणों को अब उनकी जमीनें वापस मिलने लगी हैं। इनमें ही 52 वर्षीय माया कंदार है जो इससे बहुत खुश हैं। वह तालाब के किनारे अपनी फूस की झोपड़ी के आंगन में बैठी हैं। पिछले हफ्ते ही उन्हें और उनके भाई देबब्रत कंदार को 2 साल बाद पुश्तैनी खेती की जमीन वापस मिली है। मार्च-अप्रैल 2022 के आसपास स्थानीय टीएमसी ताकतवर नेता शिबाप्रसाद हाजरा ने संदेशखाली में उनकी 8 बीघा जमीन हड़प ली थी। माया ने कहा, 'हम लोग वहां पर धान उगाते थे। इससे इतना उत्पादन हो जाता था कि हम दोनों का पेट भर सके। हम इस भूमि को छोड़ने वाले नहीं थे मगर हाजरा और उसके लोगों ने हमें धमकियां दीं। उन्होंने यहां पर मछली फार्म बना दिया, जहां वे खारे पानी की मछलियां और झींगे पालने लगे।'
संदेशखाली में माया अकेली नहीं है जिनकी जमीन पर TMC नेताओं ने कब्जा कर लिया था। 250 से अधिक ग्रामीणों ने इस तरह की शिकायत दर्ज कराई है। उन्होंने आरोप लगाया कि शाहजहां शेख और उसके सहयोगियों हाजरा व उत्तम सरदार जैसे लोगों ने जमीनें हड़प लीं। संदेशखाली से इस तरह के मामले सामने आने के बाद इसी साल फरवरी में प्रदर्शन शुरू हुए। गांव की महिलाओं ने शेख और उसके लोगों को गिरफ्तार करने की मांग उठाई। इन लोगों ने टीएमसी लीडर पर जमीन कब्जाने के साथ ही बलात्कार के भी आरोप लगाए। इस मामले को भाजपा समेत कुछ अन्य दलों ने बहुत जोरशोर से उठाया और राज्य की ममता बनर्जी सरकार पर गंभीर आरोप लगाए।
कब्जा करने को लेकर 300 से अधिक शिकायतें
तृणमूल कांग्रेस के नेताओं शाहजहां शेख, हाजरा और सरदार को गिरफ्तार कर लिया गया है। इसके साथ ही सरकार की ओर से ग्रामीणों को उनकी जमीनें वापस की जा रही हैं। सीनियर अधिकारी ने बताया, 'संदेशखाली ब्लॉक II के बीडीओ ऑफिस में 18 फरवरी से कैंप लगाया गया है जहां गांव के लोगों की शिकायतों को सुना जा रहा है। जमीन पर कब्जा करने को लेकर हमें 300 से अधिक शिकायतें मिली हैं। जिलाधिकारी के दफ्तर में भी लोगों ने अपनी शिकायतें दर्ज कराई हैं।' ग्रामीणों की शिकायतों के आधार पर दस्तावेजों की जांच की गई। जमीन मापी गई और सभी दस्तावेज सही पाए जाने पर जमीनें उन्हें लौटा दी गईं। अब तक करीब 250 ग्रामीणों को उनकी जमीनें वापस मिल चुकी हैं। लौटाई गई भूमि का कुल क्षेत्रफल 500 बीघे से अधिक है।
ऊपर की मिट्टी पर जम गई नमक की परत
हालांकि, ग्रामीणों की यह खुशी लंबे समय तक नहीं रहने वाली है। वैज्ञानिकों और कृषि-विशेषज्ञों ने इसे लेकर आगाह किया है। इस बात पर संशय है कि वापस की गई जमीनों पर फिर से खेती की जा सकेगी या नहीं। इसका कारण यह है कि यहां की भूमि मछली फार्मों के खारे पानी में 2-3 साल तक डूबी रहीं, जिससे ऊपरी मिट्टी को नुकसान पहुंचा है। ऊपर की मिट्टी पर नमक की परत जम गई है। ऐसे में इन जमीनों पर अगले 5-10 सालों तक फसल उगा पाना मुश्किल है। पश्चिम बंगाल में विधान चंद्र कृषि विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति चित्तरंजन कोले ने कहा, 'सामान्य नियम यह है कि अगर कोई भूमि एक साल तक पानी में डूबी रहती है, तो उसे पुनर्जीवित होने में 2 वर्ष लगेंगे। जमीन को ठीक होने की प्रक्रिया में दोगुना समय लग जाता है।'