राजनीति

क्या राज्यसभा चुनाव के बहाने हिमाचल में ‘ऑपरेशन लोटस’ की आहट, 9 विधायकों ने की क्रॉस वोटिंग

शिमला

राज्यसभा चुनाव में यूपी से लेकर हिमाचल प्रदेश तक खेला होता नजर आ रहा है. यूपी में सपा के आधा दर्जन से अधिक विधायकों के क्रॉस वोटिंग करने के बाद अब हिमाचल प्रदेश में भी खेला होता नजर आ रहा है. हिमाचल प्रदेश की एक राज्यसभा सीट के चुनाव में अब कांग्रेस के भी आधा दर्जन से अधिक विधायकों के क्रॉस वोटिंग करने की खबर है. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक कांग्रेस के कम से कम नौ विधायकों ने कांग्रेस की ओर से जारी व्हिप से अलग जाकर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) उम्मीदवार के पक्ष में मतदान किया है.

कहा यह भी जा रहा है कि कांग्रेस के नौ से अधिक विधायक बीजेपी के पक्ष में क्रॉस वोटिंग कर सकते हैं. राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग के पीछे हिमाचल कांग्रेस की गुटबाजी को मुख्य वजह बताया जा रहा है. दरअसल, हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस के दो धड़े हैं. एक धड़ा वीरभद्र सिंह समर्थकों का है जिसे प्रतिभा सिंह लीड करती हैं. दूसरा धड़ा है ऐसे विधायकों और नेताओं का, जो सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू के साथ हैं.

बहुमत खो चुकी है सुक्खू सरकार- पूर्व सीएम जयराम ठाकुर

हिमाचल प्रदेश में नेता प्रतिपक्ष और भारतीय जनता पार्टी नेता जयराम ठाकुर का कहना है कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू बहुमत खो चुके हैं। खास बात है कि पूर्व सीएम ठाकुर का बयान ऐसे समय पर सामने आया है, जब हिमाचल प्रदेश विधानसभा में बजट पेश होने में सिर्फ एक दिन का ही समय बाकी है।

इस दौरान UP की 10, कर्नाटक की 4 और हिमाचल प्रदेश की 1 सीट पर मतदान होगा। मंगलवार शाम को ही नतीजों का ऐलान हो जाएगा। राज्यसभा सांसद का कार्यकाल 6 सालों का होता है और हर दो सालों में 33 फीसदी सीटों के लिए वोटिंग की जाती है। फिलहाल, राज्यसभा में सदस्यों की संख्या 245 है।

कांग्रेस उम्मीदवार अभिषेक मनु सिंघवी के खिलाफ बीजेपी ने कभी वीरभद्र सिंह के करीबी रहे हर्ष महाजन को उम्मीदवार बनाया है. हर्ष महाजन के कांग्रेस के कई विधायकों के साथ अच्छे संबंधों की चर्चा भी होती रही है. इसे लेकर कांग्रेस सतर्क भी थी. एक दिन पहले ही विधायक दल की बैठक में विधायकों को पार्टी लाइन पर रहकर वोट करने के लिए कहा गया था. कांग्रेस ने व्हिप जारी कर यह भी कहा था कि वोट किसको दे रहे हैं, ये विधायकों को पोलिंग एजेंट को दिखाना होगा.

बीजेपी उम्मीदवार हर्ष महाजन ने कहा है कि मैं सबको जानता हूं. मैंने सबसे वोट मांगा है. अब रिजल्ट आएगा तब पता चल जाएगा. उन्होंने क्रॉस वोटिंग को लेकर सवाल पर कहा कि अगर ऐसा हुआ है तो हमारी गलती थोड़ी है. कांग्रेस के विधायक सीएम की कार्यशैली से नाराज हैं. इसी नाराजगी में क्रॉस वोटिंग हुई है जो उनकी गलती है. गौरतलब है कि हिमाचल प्रदेश में राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग को ऑपरेशन लोटस की आहट माना जा रहा है.

राज्यसभा के बदले गणित से सुक्खू सरकार पर खतरा कैसे

राज्यसभा के बदले गणित से कांग्रेस की सुक्खू सरकार भी खतरे में आ जाएगी. दरअसल, हिमाचल प्रदेश विधानसभा की स्ट्रेंथ 68 विधायकों की है. कांग्रेस के 40, बीजेपी के 25 और दो निर्दलीय समेत तीन अन्य विधायकों का समर्थन भी सुक्खू सरकार के साथ है. यानी कांग्रेस के पक्ष में 43 विधायक हैं और बीजेपी के पास 25. अब अगर नौ विधायकों ने कांग्रेस की जगह बीजेपी के पक्ष में क्रॉस वोटिंग की है तो ऐसी स्थिति में बीजेपी का वोट गणित 34 पहुंच जाएगा. कांग्रेस भी 43 से घटकर प्रथम वरीयता के 34 वोट पर आ जाएगी. सीट जीतने के लिए प्रथम वरीयता के 35 वोट चाहिए होंगे.

अगर दोनों में से किसी भी दल के पास यह संख्याबल नहीं रहा तो बात दूसरी वरीयता के वोट पर जाएगी. ऐसा हुआ तो बीजेपी को विश्वास है कि कांग्रेस के कई विधायक दूसरी वरीयता का वोट हर्ष को देंगे और पार्टी जीत जाएगी. ऐसा हुआ तो यह सुक्खू सरकार के लिए भी खतरे की घंटी होगी. 68 सदस्यों वाली हिमाचल विधानसभा में बहुमत के लिए जरूरी जादुई आंकड़ा 35 विधायकों का है.

राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग की यह खबर अगर सही साबित होती है तो यह इस बात का साफ संकेत होगा कि विधायक सुक्खू सरकार से नाराज हैं. अगर इन विधायकों को हटा दें तो कांग्रेस के पास 34 विधायकों का ही समर्थन होगा जो बहुमत के लिए जरूरी जादुई आंकड़े से एक कम है.

क्यों नाराज हैं कांग्रेस के विधायक

विधानसभा में विपक्ष के नेता और पूर्व सीएम जयराम ठाकुर ने यह दावा भी किया था कि पार्टी लाइन से हटकर कई विधायक हमारे संपर्क में हैं. मतदान से ठीक पहले तक वह ये भरोसा व्यक्त कर रहे थे कि विधायक अपनी अंतरात्मा की आवाज पर वोट करेंगे. जयराम ठाकुर के दावे के बाद सुजानपुर विधानसभा सीट से 2017 के चुनाव में प्रेम कुमार धूमल को हराने वाले कांग्रेस विधायक राजेंद्र राणा के बयान ने कांग्रेस की टेंशन बढ़ा दी थी.

राजेंद्र राणा ने मंत्री नहीं बनाए जाने को लेकर अपना दर्द जाहिर करते हुए इसे सुजानपुर के मतदाताओं का अपमान बताया था. उन्होंने साथ ही यह भी कहा था कि मंत्री बनाए जाने को लेकर चर्चा चल रही है लेकिन अब मेरे मंत्रिमंडल में शामिल होने का सवाल ही नहीं है. उनके इस बयान के बाद से ही यह चर्चा तेज हो गई थी कि कांग्रेस में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा. कहा जा रहा है कि कई विधायक मंत्री नहीं बनाए जाने, किसी निगम-बोर्ड का चेयरमैन नहीं बनाए जाने से नाराज चल रहे हैं.

हालांकि, अभी तक इसे लेकर जानकारी सामने नहीं आई है कि किन विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की है. क्रॉस वोटिंग को लेकर जो खबरें सामनेा आ रही हैं, अगर सही निकलती हैं तो कांग्रेस के लिए हिमाचल में शुभ संकेत नहीं. अब वोटों की गिनती के बाद जब नतीजे आएंगे, तभी यह साफ हो पाएगा कि वोटों का नंबरगेम किसके पक्ष में जाता है.

 

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