देशधर्म/ज्योतिष

शीतलाष्टमी आज, एकादशी 7 को और 9 अप्रैल को

प्रदोष के साथ मनाया जाएगा वारूणी पर्व

(RIN)। अप्रैल के पहले ही हफ्ते की शुरुआत शीतलाष्टमी के साथ हो रही है। इसके बाद 7 तारीख को पापमोचनी एकादशी व्रत किया जाएगा। फिर 9 अप्रैल को प्रदोष व्रत में शिव पूजा की जाएगी। इसी दिन चैत्र महीने के कृष्णपक्ष की त्रयोदशी तिथि होने से वारूणी पर्व भी मनाया जाएगा। धर्मसिंधु ग्रंथ में कहा गया है कि इस पर्व पर तीर्थ में स्नान और दान करने से अनंत गुना शुभ फल मिलता है। जो कि कई यज्ञों और बड़े पर्वों पर दान के बराबर होता है। इसके अगले दिन शिव चतुर्दशी व्रत किया जाएगा।
शीतलाष्टमी पर्व 4 अप्रैल यानी आज मनाया जाएगा। इसे बसौड़ा पर्व भी कहा जाता है। इस दिन माता शीतला को बासी भोजन व ठंडी वस्तुओं दही आदि का भोग लगाया जाता है। घरों में चूल्हा नहीं जलता है। एक दिन पहले बनाया गया ठंडा भोजन ही लोग ग्रहण करते हैं। पंडितों का कहना है कि मां शीतला की पूजा से शरीर निरोगी होता है और चेचक जैसे संक्रामक रोग में भी मुक्ति मिलती है।
चैत्र महीने के कृष्णपक्ष की पाप मोक्षिनी एकादशी 7 अप्रैल को रहेगी। एकादशी तिथि खासतौर से भगवान विष्णु को समर्पित होती है और इस दिन उनका पूजन विशेष फलदायी होता है। पाप मोक्षिनी एकादशी का विशेष महत्व है, जो होली और नवरात्रि के बीच में पड़ती है। इस दिन बहुत से लोग व्रत रखने के साथ भगवान सत्यनारायण की कथा और विष्णु सहस्त्रनाम पाठ भी करते हैं। नाम के अनुरूप इस एकादशी को करने से तमाम तरह के पाप और व्याधियों से मुक्ति मिलती है।
भगवान शिव को सबसे ज्यादा प्रिय कोई व्रत है तो वह है प्रदोष व्रत। इस बार प्रदोष व्रत शुक्रवार को आ रहा है, जो शुक्र प्रदोष का शुभ संयोग बना रहा है। चैत्र प्रतिपदा नववर्ष से ठीक पहले आने वाले इस प्रदोष व्रत का सबसे ज्यादा महत्व बताया गया है। क्योंकि इस संयोग में की जाने वाली शिवजी की आराधना अनंत गुना फलदायी होती है। शास्त्रों का कहना है कि प्रदोष व्रत करने से भगवान शिव की कृपा बहुत ही जल्दी मिल जाती है। जिससे व्रत करने वाले को हर तरह की सुख-समृद्धि, भोग और ऐश्यर्वशाली जीवन मिलता है। भगवान शिव की कृपा से वैवाहिक जीवन भी सुख होता है और लंबी उम्र के साथ अच्छी सेहत भी मिलती है।
वारुणी योग में गंगा, यमुना, नर्मदा, कावेरी, गोदावरी समेत अन्य पवित्र नदियों में स्नान और दान का बड़ा महत्व है। इस शुभ योग में हरिद्वार, इलाहाबाद, वाराणसी, उज्जैन, रामेश्वरम, नासिक आदि तीर्थों पर नदियों में नहा के भगवान शिव की पूजा की जाती है। इससे हर तरह के सुख मिलते हैं। वारुणी योग में भगवान शिव की पूजा से मोक्ष मिलता है। इस दिन मंत्र जप, यज्ञ, करने का बड़ा महत्व है। पुराणों में कहा गया है कि इस दिन किए गए एक यज्ञ का फल हजारों यज्ञों के जितना मिलता है। अगर पवित्र नदियों में नहीं नहा सके तो घर में ही पवित्र नदियों का पानी डालकर नहाएं।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button