नई दिल्ली,(RIN)। साल 2008 में जब इंडियन प्रीमियर लीग आईपीएल की शुरुआत हुई थी तब विकसित देशों में इसे किसी थर्ड वल्र्ड कंट्री का थर्ड ग्रेड स्पोट्र्स प्रोडक्ट भी कहा गया था, लेकिन 13 साल में ही यह लीग दुनिया की बड़ी लीग्स में शुमार हो चुकी है। टेलीविजन राइट्स, व्यूअरशिप, रेवेन्यू और प्रॉफिट के मामले में आईपीएल साल दर साल नए रिकॉर्ड बना रही है। 2020 में कोरोना के कारण इसकी ब्रैंड वैल्यू थोड़ी कम हुई, लेकिन यह अब भी मजबूती से जमी हुई है। अब बड़ा सवाल यह उठता है कि पहले सीजन से क्रिकेट की सबसे बड़ी लीग कहलाने वाली आईपीएल क्या आने वाले समय में दुनिया की सबसे बड़ी स्पोट्र्स लीग भी बन सकती है। चलिए जानने की कोशिश करते हैं कि इस मामले में आईपीएल की संभावनाएं क्या हैं और इसके सामने किस तरह की चुनौतियां हैं। 2019-20 की रिपोर्ट के मुताबिक, आईपीएल के एक सीजन से करीब 4,900 करोड़ रुपए का रेवेन्यू जेनरेट होता है। यानी एक मैच से औसतन 81 करोड़ रुपए का रेवन्यू। इस मामले में आईपीएल दुनिया की सबसे बड़ी बास्केटबॉल लीग एनबीए और सबसे बड़ी बेसबॉल लीग एमएलबी से भी आगे है (देखें ग्राफिक्स)। फुटबॉल में इंग्लिश प्रीमियर लीग और स्पेनिश लीग (ला लीगा) स्थापित प्रोफेशनल लीग हैं और 90 के दशक से उनका आयोजन हो रहा है। इसके बावजूद आईपीएल प्रति मैच रेवेन्यू के मामले में तेजी से उनके करीब पहुंच रही है। इस मामले में अमेरिकी फुटबॉल (एनएफएल) ही ऐसी लीग है जो आईपीएल से काफी आगे है। एनबीए अमेरिका और दुनिया की सबसे बड़ी बास्केटबॉल लीग है। एनबी का फुल सीजन दिसंबर के आखिर से शुरू होकर जुलाई तक चलता है। 30 टीमें मिलकर कुल 1200 से ज्यादा मैच खेलती हैं। इसी तरह अमेरिकी बेसबॉल लीग में सालाना 2000 से ज्यादा मैच होते हैं। इंग्लिश प्रीमियर लीग के एक सीजन में 38 सप्ताह में 380 मैच खेले जाते हैं। ज्यादातर सफल विदेशी स्पोट्र्स लीग साल में 4 से 9 महीने तक चलती हैं।
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