आचार्य विद्यासागर जी का संपूर्ण जीवन आध्यात्मिक प्रेरणा से भरा रहा : प्रधानमंत्री मोदी
नई दिल्ली
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जैन संत आचार्य श्री 108 विद्यासागर को श्रद्धांजलि दी और कहा कि उनका संपूर्ण जीवन आध्यात्मिक प्रेरणा से भरा रहा तथा उसका हर अध्याय अद्भुत ज्ञान, असीम करुणा और मानवता के उत्थान के लिए अटूट प्रतिबद्धता से सुशोभित रहा।
जैन संत को श्रद्धांजलि के रूप में लिखे गए एक लेख में, मोदी ने कहा कि संत शिरोमणि आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज का जाना उस अद्भुत मार्गदर्शक को खोने के समान है, जिन्होंने उनका और अनगिनत लोगों का मार्ग निरंतर प्रशस्त किया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्हें कई अवसरों पर संत का आशीर्वाद हासिल करने का सम्मान प्राप्त हुआ है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आचार्य का गहरा विश्वास था कि एक सशक्त राष्ट्र का निर्माण उसके नागरिकों के कर्तव्य भाव के साथ ही अपने परिवार, अपने समाज और देश के प्रति गहरी प्रतिबद्धता की नींव पर होता है।
मोदी ने कहा, ''उन्होंने लोगों को सदैव ईमानदारी, सत्यनिष्ठा और आत्मनिर्भरता जैसे गुणों को विकसित करने के लिए प्रोत्साहित किया। ये गुण एक न्यायपूर्ण, करुणामयी और समृद्ध समाज के लिए आवश्यक हैं। आज जब हम विकसित भारत के निर्माण की दिशा में लगातार काम कर रहे हैं तो कर्तव्यों की भावना और ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाती है।''
उन्होंने कहा, ''जीवन में हम बहुत कम ऐसे लोगों से मिलते हैं, जिनके निकट जाते ही मन-मस्तिष्क एक सकारात्मक ऊर्जा से भर जाता है। ऐसे व्यक्तियों का स्नेह, उनका आशीर्वाद, हमारी बहुत बड़ी पूंजी होता है। संत शिरोमणि आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज मेरे लिए ऐसे ही थे।''
मोदी ने कहा कि आचार्य विद्यासागर जैसे संतों को देखकर ये अनुभव होता था कैसे भारत में आध्यात्म किसी अमर और अजस्र जलधारा के समान अविरल प्रवाहित होकर समाज का मंगल करता रहता है।
उन्होंने पिछले साल नवंबर में छत्तीसगढ़ के डोंगरगढ़ स्थित चंद्रगिरी जैन मंदिर में उनसे हुई मुलाकात को याद करते हुए कहा कि तब उन्हें जरा भी इस बात का अंदाजा नहीं था कि यह उनकी आखिरी मुलाकात होगी।
प्रधानमंत्री ने कहा, ''उन्होंने पितातुल्य भाव से मेरा ख्याल रखा और देश सेवा में किए जा रहे प्रयासों के लिए मुझे आशीर्वाद भी दिया। देश के विकास और विश्व मंच पर भारत को मिल रहे सम्मान पर उन्होंने प्रसन्नता भी व्यक्त की थी।''
उन्होंने कहा, ''उनका जाना उस अद्भुत मार्गदर्शक को खोने के समान है, जिन्होंने मेरा और अनगिनत लोगों का मार्ग निरंतर प्रशस्त किया है।''
उन्होंने कहा कि भारत की पावन धरती ने निरंतर ऐसी महान विभूतियों को जन्म दिया है, जिन्होंने लोगों को दिशा दिखाने के साथ-साथ समाज को भी बेहतर बनाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है और इसी महान परंपरा में संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर महाराज का प्रमुख स्थान है।
मोदी ने कहा, ''उन्होंने वर्तमान के साथ ही भविष्य के लिए भी एक नई राह दिखाई है। उनका संपूर्ण जीवन आध्यात्मिक प्रेरणा से भरा रहा। उनके जीवन का हर अध्याय, अद्भुत ज्ञान, असीम करुणा और मानवता के उत्थान के लिए अटूट प्रतिबद्धता से सुशोभित है।''
प्रधानमंत्री ने कहा कि आचार्य विद्यासागर का दृढ़ विश्वास था कि शिक्षा ही एक न्यायपूर्ण और प्रबुद्ध समाज का आधार है और उन्होंने लोगों को सशक्त बनाने और जीवन के लक्ष्यों को पाने के लिए ज्ञान को सर्वोपरि बताया।
उन्होंने कहा, ''आचार्य विद्यासागर महाराज की इच्छा थी कि हमारे युवाओं को ऐसी शिक्षा मिले, जो हमारे सांस्कृतिक मूल्यों पर आधारित हो। वह अक्सर कहा करते थे कि चूंकि हम अपने अतीत के ज्ञान से दूर हो गए हैं, इसलिए वर्तमान में हम अनेक बड़ी चुनौतियों से जूझ रहे हैं। अतीत के ज्ञान में वो आज की अनेक चुनौतियों का समाधान देखते थे।''
स्वास्थ्य के क्षेत्र में आचार्य विद्यासागर के योगदान का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्होंने शारीरिक स्वास्थ्य को आध्यात्मिक चेतना के साथ जोड़ने पर बल दिया ताकि लोग शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रह सकें।
उन्होंने युवा पीढ़ी से आचार्य विद्यासागर की प्रतिबद्धता के बारे में व्यापक अध्ययन करने का आग्रह करते हुए कहा कि वे मतदान के प्रबल समर्थकों में से एक थे और मानते थे कि यह लोकतांत्रिक प्रक्रिया में भागीदारी की सबसे सशक्त अभिव्यक्ति है।
मोदी ने कहा, ''उन्होंने हमेशा स्वस्थ और स्वच्छ राजनीति की पैरवी की। उनका कहना था- 'लोकनीति लोभसंग्रह नहीं, बल्कि लोकसंग्रह है'। इसलिए नीतियों का निर्माण निजी स्वार्थ के लिए नहीं, बल्कि लोगों के कल्याण के लिए होना चाहिए।''
प्रधानमंत्री ने कहा कि ऐसे कालखंड में जब दुनियाभर में पर्यावरण पर कई तरह के संकट मंडरा रहे हैं, तब आचार्य विद्यासागर ने एक ऐसी जीवनशैली अपनाने का आह्वान किया जो प्रकृति को होने वाले नुकसान को कम करने में सहायक हो।
मोदी ने कहा कि इसी तरह उन्होंने अर्थव्यवस्था में कृषि को सर्वोच्च महत्त्व दिया और इसमें आधुनिक प्रौद्योगिकी अपनाने पर भी बल दिया।
उन्होंने कहा, ''मुझे विश्वास है कि वह नमो ड्रोन दीदी अभियान की सफलता से बहुत खुश होते।'' उन्होंने कहा, ''आचार्य विद्यासागर देशवासियों के हृदय और मन-मस्तिष्क में सदैव जीवंत रहेंगे। उनके संदेश उन्हें सदैव प्रेरित और आलोकित करते रहेंगे। उनकी अविस्मरणीय स्मृति का सम्मान करते हुए हम उनके मूल्यों को मूर्त रूप देने के लिए प्रतिबद्ध हैं। यह ना सिर्फ उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि होगी, बल्कि उनके बताए रास्ते पर चलकर राष्ट्र निर्माण और राष्ट्र कल्याण का मार्ग भी प्रशस्त होगा।''