परीक्षा में नकल पर ’10 साल की जेल और एक करोड़ जुर्माने, जाने क्या है नया कानून
नई दिल्ली
परीक्षा में नकल और पेपर लीक जैसी दिक्कतों से निपटने के लिए सरकार नया विधेयक लेकर आई है। इस विधेयक में परीक्षा के दौरान नकल करने या किसी अन्य तरह का फ्रॉड करने पर 10 साल तक की जेल और एक करोड़ रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है। अब इस विधेयक को कानून बनने में केवल एक कदम बाकी है। लोकसभा और राज्यसभा दोनों से विधेयक को मंजूरी मिल गई है। राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद विधेयक कानून की शक्ल ले लेगा। बता दें कि प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं में गड़बड़ी से निपटने के लिए सरकार ने लोक परीक्षा (अनुचित साधनों का निवारण) विधेयक 2024 पारित करवाया है।
इस कानून के तहत परीक्षा में गड़बड़ी करने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। उन्हें 10 साल तक की कैद और एक करोड़ रुपये तक का जुर्माना चुकाना पड़ सकता है। सरकार का कहना है कि परीक्षा करवाने में काफी पैसा खर्च होता है। वहीं कुछ लोगों की गड़बड़ की वजह से परीक्षा रद्द होती है और स्टूडेंट्स के साथ-साथ प्रशासन को भी नुकसान उठाना पड़ता है। ऐसे में गड़बड़ करने वाले ही इस नुकसान के लिए उत्तरदायी होंगे।
सरकार की तरफ से स्पष्ट किया गया है कि इस विधेयक के तहत छात्रों को निशाना नहीं बनाया जाएगा। संगठित अपराध, माफिया और नकल गिरोह में शामिल लोगों पर ही कार्रवाई का प्रावधान है। इस विधेयक में एक तनकनीकी समिति गठित करने का प्रस्ताव है। इसके अलावा ऑनलाइन तरीके से परीक्षा को और ज्यादा सुरक्षित बनाने की सिफारिश की जाएगी। इस कानून के तहत जॉइंट एग्जाम और केंद्रीय विश्वविद्यालयों के लिए होने वाली प्रवेश परीक्षाएं भी आएंगी।
इस विधेयक में यूपीएससी, एसएससी, जेईई, रेलवे, बैंकिंग, सीयूईटी जैसी परीक्षाओं को शामिल करने का प्रस्ताव है। इसके अलावा केंद्रीय विश्वविद्यायों में ऐडमिशन प्रक्रिया या फिर अन्य नौकरियों के लिए आयोजित की जाने वाली परीक्षाओं को भी शामिल किया गया है। अगर संगठित अपराध का मामला पकड़ा जाता है तो 10 साल तक की कैद और 1 करोड़ तक जुर्माना हो सकता है।
यह विधेयक छह फरवरी को लोकसभा की मंजूरी के बाद शुक्रवार को ध्वनिमत से राज्यसभा में पारित हो गया. राज्यसभा में चर्चा के दौरान विपक्षी सदस्यों की ओर से प्रस्तावित संशोधनों को खारिज कर दिया गया.
संसद ने ‘लोक परीक्षा (अनुचित साधनों का निवारण) विधेयक, 2024' को शुक्रवार को मंजूरी दे दी. इस बिल पर राष्ट्रपति की मोहर लगने के बाद लागू होने वाले कानून के तहत सरकारी भर्ती और प्रतियोगी परीक्षाओं में प्रश्नपत्र लीक तथा फर्जी वेबसाइट जैसी अनियमितताओं के खिलाफ तीन साल से 10 साल तक की जेल और कम से कम एक करोड़ रुपये के जुर्माने का प्रावधान होगा.
राज्यसभा ने इस विधेयक पर हुई चर्चा का कार्मिक, जन शिकायत एवं पेंशन मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) जितेंद्र सिंह ने जवाब दिया. इसके बाद इसे ध्वनिमत से पारित कर दिया गया. लोकसभा में यह पहले ही पारित हो चुका था. जितेंद्र सिंह ने कहा कि संसद में यह अपने तरह का पहला बिल है. उन्होंने कहा कि ऐसा इस कारण है कि हमारे पूर्ववर्तियों ने कभी सोचा नहीं होगा कि देश में इस तरह की स्थिति उत्पन्न हो सकती है.
सिंह ने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार ने पिछले 10 साल में जो कहा है, उसे पूरा किया है, विशेष तौर पर युवाओं के क्षेत्र में. उन्होंने कहा कि रोजगार प्रदान करने के मामले में सरकार ने पारदर्शिता लाने के लिए काम किया. उन्होंने कहा कि सरकार रोजगार बढ़ाने के लिए कई पहल कर रही है और इसमें आधुनिक प्रौद्योगिकी की भरपूर मदद ली जा रही है. उन्होंने कहा कि इस मामले में सरकार सुविधा प्रदाता की भूमिका निभा रही है.
जितेंद्र सिंह ने कहा कि सरकार के प्रयासों के कारण आज युवा बड़ी संख्या में स्टार्ट अप्स खोलने के लिए प्रोत्साहित हुए हैं. उन्होंने कहा कि आज भारतीय प्रतिभा को अमेरिका सहित विश्व के प्रमुख देश स्वीकार कर रहे हैं और उनका सम्मान कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि चंद्रमा के अभियान में अमेरिका भारत से पहले प्रयास कर रहा था किंतु भारत उससे पहले चंद्रमा के दक्षिण ध्रुव पर पहुंच गया.
कार्मिक, जन शिकायत एवं पेंशन मंत्री ने बिल के जरिए राज्यों के अधिकारों पर अतिक्रमण किए जाने के कुछ सदस्यों के आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि केंद्र किसी पर यह थोप नहीं रहा है किंतु यदि कोई राज्य इसे अपनाना चाहता है तो केंद्र उसको सुविधा प्रदान करेगा.
उन्होंने कहा कि यह विधेयक देश के युवाओं को परेशान करने के लिए नहीं लाया गया है और अधिकृत उम्मीदवार इसके दायरे से बाहर रहेंगे.