कैंसर से लड़ाई में शामिल होने के लिए सामूहिक जागरूकता: एक सफल कैंपेन की योजना
हाल ही में सोशल मीडिया पर एक्ट्रेस और मॉडल पूनम पांडे द्वारा किये गए एक 'स्टंट' ने पूरे देश को चौंका दिया है. 2 फरवरी को उनके मैनेजर द्वारा सोशल मीडिया पर किए गए पोस्ट में यह घोषणा की गई कि कैंसर से उनकी मृत्यु हो गई है. इससे पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई. लेकिन 24 घंटे बाद खुद पूनम ने वीडियो जारी कर बताया कि यह सिर्फ कैंसर जागरूकता के लिए किया गया नाटक था.
पूनम पांडे की इस घटना पर लोगों की मिलीजुली प्रतिक्रिया सामने आ रही हैं. कुछ लोगों ने इसे जागरूकता फैलाने का अच्छा तरीका माना, वहीं कई लोगों ने इसे गलत बताया. उनका कहना था कि मौत का मजाक नहीं उड़ाया जाना चाहिए, यह कैंसर पीड़ितों का अपमान हुआ है और जागरूकता फैलाने के लिए ऐसे नाटकों की जरूरत नहीं है.
लोगों की प्रतिक्रिया
एक इंस्टाग्राम यूजर लिखता है कि इसे (पूनम पांडे) सचमुच कैंसर से बचे लोगों के लिए एक मजाक में बदल दिया गया है. एक अन्य यूजर लिखता है कि मैं समझता हूं कि यह एक महत्वपूर्ण विषय है जिसके बारे में जानकारी दी जानी चाहिए. इसके लिए आप एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सकते थे या अपने सभी पोस्ट में इस पर चर्चा कर सकते थे, लेकिन आपको अपने निधन का दिखावा नहीं करना था. मौत कोई मजाक नहीं है.
हर साल 70 हजार से ज्यादा मौतों का जिम्मेदार सर्वाइकल कैंसर
हकीकत यह है कि भारत में हर साल 70 हजार से अधिक महिलाएं की मौत सर्वाइकल कैंसर से हो जाती हैं. इसकी वजह से जागरूकता फैलाना जरूरी है. लेकिन सवाल यह है कि क्या मौत का नाटक इसका सही तरीका है?
कैसे करें कैंसर के प्रति जागरूक?
शैक्षिक अभियान ही जागरूकता फैलाने का सबसे कारगर तरीका है. सोशल मीडिया पर जानकारी वाली पोस्ट, इन्फोग्राफिक्स और पर्सनल कहानियां शेयर करें. स्थानीय कार्यक्रम, सेमिनार या वेबिनार आयोजित करें. हेल्थ एक्सपर्ट, एनजीओ और प्रभावशाली लोगों के साथ मिलकर काम करें. नियमित स्वास्थ्य जांच और स्क्रीनिंग को प्रोत्साहित करें.
पूनम पांडे का यह कदम भले ही कुछ लोगों को जागरूक करने में सफल रहा हो, लेकिन इस बात को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता कि इसने बहुत से लोगों को ठेस पहुंचाई और गलत जानकारी फैलाई. कैंसर जागरूकता फैलाने के लिए शैक्षिक अभियान और सेंसिटिव तरीके अपनाना ज्यादा प्रभावी और नैतिक रूप से सही होगा.