मोहनधुन पर ‘नाचती’ ब्यूरोक्रेसी ‘पोस्ट ट्यूनर’ की तलाश में बेचैन…
भोपाल
प्रदेश में भाजपा के चौथी बार सत्ता में आने और डॉ. मोहन यादव के मुख्यमंत्री बनने से ब्यूरोक्रेसी में बहुत कुछ बदलाव देखने को मिल रहा है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव के सख्त एक्शन और उनके काम करने केतरीके से ब्यूरोक्रेट्स पहले से अब ज्यादा अपने व्यवहार और कामकाज को लेकर संजीदा हो गए हैं।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के कामकाज की स्टाइल और उनके सख्त रवैये को देखते हुए प्रदेश की ब्यूरोक्रेसी इन दिनों स्ट्रिक्ट लाइन में है। उनका सख्त मिजाज और जन प्रतिनिधियों को अफसरों से आगे रखने की उनकी नीति से मैदानसे लेकर मंत्रालय तक के अधिकारियों में खलबली मची हुई है। हालात और जो एक्शन सीएम डॉ. मोहन यादव ने लिए हैं, उसे देखकर कितना ही बड़ा अफसर क्यों न हो, वो भी किसी भी तरह का कोई दावा करने की स्थिति में नहीं है। मुख्यमंत्री की सख्त और स्ट्रेट फॉरवर्ड स्टाइल से कोई भी अधिकारी अपनी पोस्टिंग को लेकर आश्वस्त नहीं है और न ही इस बात पर यकीन है कि वो अपनी वर्तमान पोस्टिंग पर कितने दिन तक रह सकता है।
फील्ड और मलाईदार पोस्टिंग में कैसे जाएं, नहीं मिल रही लिंक
आमतौर पर जो अफसर सरकार की ताकतवर लिंक का इस्तेमाल करते हुए बेहतर फील्ड पोस्टिंग पाते आए हैं, उन्हें पिछले 40 दिनों में कोई ऐसी लिंक नहीं मिल रही है जिससे वे बेहतर पोस्टिंग हासिल कर पाएं। क्योंकि अभी तक जितने भी तबादले आदेश जारी हुए हैं, उससे एक बात साफ हो गई है कि कोई भी अफसर चाहे आईएएस हो, आईपीएस हो या राज्स सेवा के अफसर, वो ये दावा नहीं कर सकते कि वे वर्तमान सिस्टम के नजदीकी हैं। दरअसल जिस तरह के एक्शन मुख्यमंत्री ने लिए हैं उससे कुछ ऐसे अफसरों का दावा फेल हो गया जो ये कहते थे कि वो मनचाही पोस्टिंग प्राप्त कर लेंगे। जो अफसर लूपलाइन में हैं वो फील्ड में आना चाहते हैं और जो फील्ड में हैं वो और बेहतर जगह जाना चाहते हैं। लेकिन इन लोगों के सारेप्रयास विफल हो रहे हैं।
कैबिनेट बैठक में अन्य अफसरों की लाइन में सीएस को स्थान
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने मुख्य सचिव का कैबिनेट बैठक में बैठने का स्थान बदल दिया है। इससे पहले कैबिनेट की बैठक में मुख्यमंत्री और चीफ सेक्रेटरी साथ में बैठा करते थे और सीएम के साथ ही वो भी कैबिनेट के एजेंडे पर अपने व्यू रखते थे। लेकिन इन दिनों व्यवस्थाएं बदली हुई हैं। चीफ सेक्रेटरी को आम अफसरों की कतार में बैठाया जा रहा है। इससे यह साफ है कि जिस स्थान पर मंत्री और मुख्यमंत्री बैठ रहे हैं उससे दूरी बनाते हुए मुख्य सचिव समेत अफसरों बैठाया जा रहा है। इससे एक बात और साफ हो रही है कि अब मोहन सरकार में मंत्री और जन प्रतिनिधियों की स्थिति नौकरशाहों से ऊपर है।
सीएम के ये एक्शन रहे चर्चा में
ड्रायवर से औकात पूछने वाले शाजापुर कलेक्टर किशोर कान्याल को हटा दिया गया। गुना में हुए बस हादसे के बाद परिवहन विभाग के प्रमुख सचिव, परिवहन आयुक्त से लेकर कलेक्टर-एसपी और आरटीओ तक को हटाया गया। इसके बाद आम नागरिकों को अंडे से निकले चूजे कहने वाली तहसीलदार को भी सीएम के निर्देश पर हटा दिया गया था। कर्मचारियों से नागरिक की पिटाई करवाने वाले एसडीएम को भी हटा दिया गया था।