मध्यप्रदेश

मध्यप्रदेश में राम-सीता की स्मृतियों से जुड़ी गूंज सुनाई देगी सैलानियों को

भोपाल

सनातन धर्म के लोकनायक श्रीराम के अयोध्या में विराजने के बाद भगवान राम से जुड़ी हुई स्मृतियों को जीवंत करने के लिए वन विभाग भी पीछे नहीं है। मध्यप्रदेश से प्रभु राम का गहरा नाता रहा है। प्रदेश के तीन स्थल ऐसे है जहां प्रभु राम का गहरा नाता रहा । चित्रकूट, सतना और शहडोल। सतना में ऋषि अत्रि के आश्रम में भगवान राम, लक्ष्मण और सीता पहुंचे थे। अत्रि की पत्नी अनसुइया ने यहीं पर सीता को दिव्य वस्त्र उपहार में भेंट किया था। भगवान राम से जुड़ी स्मृतियों को लोकमानस के पटल पर जीवंत करने के लिए वन विभाग चित्रकूट में 8 हेक्टेयर में सांस्कृतिक वन विकसित कर रहा है। इस वन की सबसे खास बात यह है कि यह पूरा वनक्षेत्र वैदिक पद्धति से बसाया जा रहा है। जिसमें नक्षत्र वाटिका, कामदगिरि वाटिका, नवग्रह वाटिका, अशोक वाटिका, सीता रसोई सहित अन्य वाटिकाएं होंगी। इस सांस्कृतिक वन में राम के वनवास से जुड़ी सभी स्मृतियों को पर्यावरण के जरिए वन विभाग सहेजने का प्रयास कर रहा है। जिससे आम आदमी इस पार्क में आए तो वह वन में भक्ति भाव में पूरी तरह डूब जाए। गौरतलब है कि पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान ने चित्रकूट से लेकर अमरकं टक तक रामगमन पथ बनाने के लिए प्रस्ताव तैयार करवाया था।

2025 तक कंप्लीट हो जाएगा वन
सतना डीएफओ विनित पटेल ने बताया कि चित्रकूट में विकसित हो रहा सांस्कृतिक वन पूरी तरह से पांच साल में बनकर तैयार हो जाएगा। लेकिन आम जनता की उत्सकुता को देखते हुए विभाग इसे वर्ष 2025 में आम जनता के लिए सांस्कृतिक पार्क पूरी तरह से खोल देगा।

चित्रकूट से लेकर अमरकंटक तक राम वनगमन पथ बनेगा
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने अभी हाल में चित्रकूट में अधिकारियों के साथ बैठक की थी। जिसमें ओरछा के विकास को लेकर सीएम मोहन यादव ने अधिकारियों को निर्देश दिया था। इसके बाद वन विभाग भी राम वनगमन पथ को लेकर पहले से ज्यादा सक्रिय हो गया है। चित्रकूट से लेकर अमरकंटक  तक के मार्ग जहां प्रभुराम मध्यप्रदेश से गुजरते हुए छत्तीसगढ़ में प्रवेश किए थे, वन विभाग इन स्थानों को चिंहित करने में लगा हुआ है। वन विभाग की कोशिश है कि रामगमन पथ को अलौकिक रूप दिया जाए। पर्यटक इन स्थानों पर आए तो उसे कुछ देर के लिए त्रेता युग का अनुभव हो और प्रकृति में व्याप्त प्रभु राम की अक्षत ऊर्जा की कुछ देर के लिए अनुभूति कर सकें।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button