मध्यप्रदेश

अब उपाय ऐप के जरिए भी करा सकेंगे ई-केवायसी

भोपाल
राज्य शासन की लाभकारी योजनाओं का फायदा लेने के लिए बिजली उपभोक्ताओं को ई-केवायसी कराना अनिवार्य है। उपभोक्ताओं से कहा गया है कि मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के "उपाय" ऐप के जरिए भी ई-केवायसी करा सकते हैं। गूगल प्ले स्टोर पर उपलब्ध उपाय ऐप डाउनलोड कर बिजली उपभोक्ता समग्र केवायसी में अपना उपभोक्ता क्रमांक एवं समग्र क्रमांक दर्ज करने के बाद लिंक मोबाइल नंबर पर प्राप्त ओटीपी को दर्ज कर केवायसी प्रक्रिया को पूर्ण कर सकते हैं। केवायसी प्रक्रिया के तहत अब तक 6 लाख 4 हजार 399 उपभोक्ताओं ने सफलतापूर्वक केवायसी करा ली है।

कंपनी ने बताया है कि केवायसी प्रक्रिया के तहत नर्मदापुरम ग्रामीण में 71 हजार 140, बैतूल ग्रामीण में 84 हजार 948, राजगढ़ ग्रामीण में 40 हजार 783, शहर वृत्त भोपाल में 49 हजार 170, भोपाल ग्रामीण में 37 हजार 259, गुना ग्रामीण में 31 हजार 838, विदिशा ग्रामीण में 43 हजार 124, सीहोर ग्रामीण में 23 हजार 204, ग्वालियर ग्रामीण में 20 हजार 927, शहर वृत्त ग्वालियर में 38 हजार 240, अशोकनगर ग्रामीण में 18 हजार 558, दतिया ग्रामीण में 22 हजार 133, रायसेन ग्रामीण में 43 हजार 190, शिवपुरी ग्रामीण में 22 हजार 884, हरदा ग्रामीण में 18 हजार 601, श्योपुर ग्रामीण में 8 हजार 966, मुरैना ग्रामीण में 20 हजार 203 और भिण्ड ग्रामीण में 9 हजार 241 बिजली उपभोक्ताओं की केवायसी की गई है।

गौरतलब है कि मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी ने कंपनी कार्यक्षेत्र के भोपाल, नर्मदापुरम, ग्वालियर एवं चंबल संभाग के अंतर्गत आने वाले 16 जिलों के बिजली उपभोक्ताओं के बिजली संबंधी व्यक्तिगत विवरण को कंपनी के रिकार्ड में अपडेट करने के लिए नो योर कंज्यूमर (केवायसी) प्रक्रिया शुरू की है। कंपनी द्वारा नो योर कंज्यूमर (केवायसी) प्रक्रिया के तहत बिजली उपभोक्ताओं की व्यक्तिगत जानकारी जैसे समग्र आईडी, मोबाइल नंबर एवं बैंक खाता इत्यादि की जानकारी को अपडेट किया जा रहा है। नो योर कंज्यूमर (केवायसी) प्रक्रिया से बिजली उपभोक्ताओं को जहां राज्य शासन की योजनाओं का लाभ सीधे लाभ अंतरण (डीबीटी) योजना के माध्यम से सुनिश्चित किया जा सकेगा वहीं दूसरी ओर प्रणाली में अधिक पारदर्शिता सुनिश्चित होगी। साथ ही केवायसी से वास्तविक उपभोक्ताओं के विद्युत संयोजन एवं उनके भार की स्थिति का भौतिक सत्यापन सुनिश्चित किया जा सकेगा। इससे कंपनी कार्यक्षेत्र में विद्युत संरचनाओं के भविष्य में विस्तार की योजना बनाने में आसानी होगी तथा कंपनी द्वारा उपभोक्ताओं की सही पहचान और मोबाइल नंबर को सटीक रूप से टैग करने में मदद मिलेगी।

 

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