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खुलासा :गृह मंत्रालय के पास बांग्लादेशी घुसपैठ का कोई रिकॉर्ड नहीं

रांची
 केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय ने बांग्लादेशी घुसपैठ के आंकड़ों पर बड़ा खुलासा किया है। मंत्रालय ने बताया कि उनके पास देश में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशियों की कोई जानकारी नहीं है। यह जानकारी राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों या इमिग्रेशन ब्यूरो (Bureau of Immigration) के पास हो सकती है। यह खुलासा सूचना के अधिकार (RTI) के तहत मांगी गई जानकारी के जवाब में हुआ है। झारखंड जनाधिकार महासभा से जुड़े सिरज दत्ता ने RTI के जरिए यह जानकारी मांगी थी।

सिरज दत्ता ने गृह मंत्रालय से क्या पूछे थे

दरअसल, सिरज दत्ता ने गृह मंत्रालय से कई सवाल पूछे थे। उन्होंने हर राज्य में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशी घुसपैठियों की संख्या जाननी चाही। साथ ही, 'लव जिहाद' और 'लैंड जिहाद' जैसे मामलों की जानकारी और उन पर की गई कार्रवाई के बारे में भी पूछा। मंत्रालय ने जवाब में कहा कि अवैध घुसपैठ विदेशी अधिनियम, 1939 और नागरिकता अधिनियम, 1955 के तहत आता है। लेकिन, उनके पास ऐसे किसी भी आंकड़े का रिकॉर्ड नहीं है। राज्य सरकारों, केंद्र शासित प्रदेशों और ब्यूरो ऑफ इमिग्रेशन से यह जानकारी मिल सकती है।
तेज हो सकती है झारखंड की सियासत

गृह मंत्रालय के इस जवाब से झारखंड में चल रही राजनीतिक बहस और तेज हो सकती है। विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने बांग्लादेशी घुसपैठ का मुद्दा जोर-शोर से उठाया था। भाजपा ने राज्य सरकार पर घुसपैठ रोकने में नाकाम रहने का आरोप लगाया था। झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) और उसके सहयोगी दलों ने इन आरोपों को खारिज किया था। चुनाव के बाद भी यह मुद्दा गरमाया हुआ है। भाजपा ने इस पर आगे आंदोलन की बात कही है। वहीं, JMM का कहना है कि भाजपा समाज में नफरत फैलाने की कोशिश कर रही है।
फैक्ट फाइंडिंग कमेटी बनाने का आदेश

इस मामले में झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को फैक्ट फाइंडिंग कमेटी बनाने का आदेश दिया था। इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है। राज्य सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने दलील दी कि झारखंड सीमावर्ती राज्य नहीं है। हाईकोर्ट का आदेश चुनाव प्रचार का मुद्दा बन गया था। उन्होंने यह भी कहा कि घुसपैठ के दावे आंकड़ों पर आधारित नहीं हैं। फैक्ट फाइंडिंग कमेटी का गठन राज्य सरकार के अधिकारों में दखल होगा। राज्य सरकार के पास इस समस्या से निपटने के लिए पर्याप्त कानूनी अधिकार हैं।
कैसे शुरू हुआ था मामला

दरअसल, यह पूरा मामला दानियल दानिश द्वारा दायर एक जनहित याचिका से शुरू हुआ था। हाईकोर्ट ने संताल परगना प्रमंडल के जिला अधिकारियों से भी जानकारी मांगी थी। जिलों से मिली रिपोर्ट में इन दावों को निराधार बताया गया था। अब गृह मंत्रालय के जवाब ने इस मामले को एक नया मोड़ दे दिया है। देखना होगा कि आगे इस पर क्या कार्रवाई होती है। क्या राज्य सरकार कोई कदम उठाती है? या फिर यह मामला यूं ही राजनीतिक बयानबाजी तक सीमित रह जाएगा? यह तो आने वाला समय ही बताएगा।

 

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