मध्यप्रदेश

MP सरकार के खजाने में नवम्बर में GST घट गया और अक्टूबर के मुकाबले सिर्फ 166 करोड़ रुपए ही अधिक रेवेन्य राज्य शासन के खाते में जमा हुआ

भोपाल
दीपावली की रौनक थमने के बाद नवम्बर महीने में जीएसटी से राज्य सरकार को होने वाली ग्रोथ घटी है। दीपावली के कारण अक्टूबर में जहां राज्य सरकार को बाजार में खरीददारी बढ़ने से 554 करोड़ रुपए का अधिक राजस्व सितम्बर के मुकाबले मिला था।

वहीं नवम्बर में यह घट गया और अक्टूबर के मुकाबले सिर्फ 166 करोड़ रुपए ही अधिक रेवेन्य राज्य शासन के खाते में जमा हो सकी है। हालांकि यह ओवरआल पांच प्रतिशत बढ़ी है। इसके अलावा प्रदेश में इंटर स्टेट जीएसटी (आईजीएसटी) के रूप में प्री सेटलमेंट और पोस्ट सेटलमेंट के रूप में राजस्व में वृद्धि हुई है।

केंद्र सरकार ने एक दिसम्बर को सभी राज्यों के हिस्से में आए और केंद्र को मिले जीएसटी का राज्यवार ब्यौरा जारी किया है। इसकी पड़ताल करने पर यह बात सामने आई है कि एमपी में अक्टूबर महीने में दीपावली और नवरात्र पर्व के कारण बढ़ी खरीददारी के चलते सरकार को जीएसटी से खासा मुनाफा हुआ था जो नवम्बर में कम हो गया है। एमपी सरकार को नवम्बर 2023 में जीएसटी से होने वाली आमदनी 3646 करोड़ रुपए थी जो नवम्बर 2024 में बढ़कर 3812 करोड़ हो गई है। इस तरह एक साल में ग्रोथ 5 प्रतिशत बढ़ी है।

आईजीएसटी से ऐसे जुटता है राजस्व

जीएसटी की आईजीएसटी कैटेगरी में सरकार को जो राजस्व मिला है, उसके अनुसार प्री-सेटलमेंट एसजीएसटी के रूप में साल 2023-24 में एमपी को 8496 करोड़ मिले थे। जो वर्ष 2024-25 में बढ़कर 9043 करोड़ रुपए हो गए हैं। इसमें ग्रोथ 6 प्रतिशत रही है। इसी तरह पोस्ट सेटलमेंट एसजीएसटी से मिलने वाला राजस्व वर्ष 2023-24 में 20673 करोड़ था। जो वर्ष 2024-25 में बढ़कर 23674 करोड़ हो गया है। इसमें ग्रोथ 15 प्रतिशत रही है।

ऐसे लगती है आईजीएसटी

इंटरस्टेट सप्लाई होने पर आईजीएसटी लगती है। आईजीएसटी बच जाती है उसे पोस्ट सेटलमेंट कहते हैं। इसे ऐसे समझ सकते हैं कि अगर पंजाब से एमपी के लिए कोई माल सप्लाई होता है तो वहां का व्यापारी 18 प्रतिशत जीएसटी वसूली करता है। इसे आईजीएसटी कैटेगरी में शामिल किया जाता है। ऐसी स्थिति में माल सप्लाई करने वाले पंजाब को जीएसटी की राशि अलग से नहीं दी जाती है। इसके बाद जब माल का कंजप्शन एमपी में हो जाता है तो एमपी की सरकार को एसजीएसटी मिलता है। इसमें केंद्र के हिस्से की राशि केंद्र सरकार को चली जाती है।

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