मध्यप्रदेश

सुप्रीम कोर्ट ने आदेश देते हुए कहा कि स्थानांतरित किए गए केंद्रीय विद्यालय प्राध्यापकों की ज्वाइनिंग व सैलरी न रोकी जाए

जबलपुर
सुप्रीम कोर्ट ने अटार्नी जनरल के आश्वासन पर अंतरिम आदेश देते हुए कहा कि स्थानांतरित किए गए केंद्रीय विद्यालय प्राध्यापकों की ज्वाइनिंग व सैलरी न रोकी जाए। प्राध्यापकों की करीब एक दर्जन विशेष अनुमति याचिकाओं पर सुनवाई के बाद उक्त निर्देश दिए गए। उल्लेखनीय है कि मप्र हाई कोर्ट के आदेश के विरुद्ध केंद्रीय विद्यालय संगठन ने लगभग दो दर्जन प्रकरणों में सुप्रीम कोर्ट में अपील प्रस्तुत की है। हाई कोर्ट ने सभी स्थानांतरण आदेशों को निरस्त करते हुए पुनः नए आदेश जारी करने की छूट प्रदान की थी। हाई कोर्ट ने पाया कि केवीएस ने जिन प्राध्यापकों के मध्य प्रदेश के बाहर तबादले किए थे, उनमें उपयुक्त तरीके से विचार नहीं किया गया।

हाई कोर्ट में दी गई थी चुनौती
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान प्राध्यापकों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मीनाक्षी अरोड़ा व अधिवक्ता सिद्धार्थ राधेलाल गुप्ता ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि अपील के लंबित रहने के दौरान प्राध्यापकों को उनके पूर्व के स्कूलों में ज्वाइनिंग देने में या सैलरी प्रदान करने में अड़चने हो रही है। पिछले साल सैकड़ों प्राध्यापकों के स्थान्तरण किये गए थे। हाई कोर्ट में इस आधार पर चुनौती दी गयी कि अनुचित रूप से 1000 से 1500 किलोमीटर दूर ऐसे राज्यों में स्थानांतरित कर दिया गया, जहां की क्षेत्रीय भाषा से परिचित तक नहीं है।
 
अटार्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने सुप्रीम कोर्ट में आश्वासन दिया कि भले ही एसएलपी लंबित है, लेकिन किसी भी प्राध्यापक के विरुद्ध विपरीत कार्यवाही नहीं की जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि केवीएस नई स्थानांतरण नीति ला रही है, जिसे अगली सुनवाई के दौरान पेश किया जाएगा। मामले की अगली सुनवाई 29 जनवरी को होगी

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