देशधर्म/ज्योतिष

संघ प्रमुख डॉ. मोहन भागवत ने कहा भारत को दबाने का प्रयास कर रही दुनिया, लेकिन सत्य नहीं दबता

तीन दिवसीय पं.रामकिंकर जन्मशताब्दी समारोह का भव्य समापन

Realindianews.com
चित्रकूट। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ प्रमुख डॉ.मोहन राव भागवत, मानस मर्मज्ञ पंडित रामकिंकर उपाध्याय जन्म शताब्दी समारोह में हुए शामिल हुए। अपने संबोधन में डॉ. मोहन भागवत ने कहा कि दुनिया भारत को दबाने का प्रयास कर रही, लेकिन सत्य नहीं दबता, समय आने पर सिर चढ़कर बोलता है।चित्रकूट के दौरे पर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ प्रमुख डॉ. मोहन राव भागवत ने कहा कि दुनिया भारत को दबाने का प्रयास कर रही है, लेकिन सत्य नहीं दबता, समय आने पर वो सिर चढ़कर बोलता है। बता दें कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ प्रमुख डॉ. मोहन राव भागवत चित्रकूट दौरे पर हैं। बुधवार 6 नवंबर को वे मानस मर्मज्ञ पंडित रामकिंकर उपाध्याय जन्म शताब्दी समारोह में भी शामिल हुए। यहां उन्होंने उपस्थित संघ कार्यकर्ताओं और संतों को संबोधित किया। डॉ. मोहन भागवत ने कहा कि संतों के कार्य में बाधा न आए इसलिए द्वार पर डंडा लेकर बैठने का काम हमारा, संघ का है। दुनिया भारत को दबाने का प्रयास कर रही है।, लेकिन सत्य दबता नहीं है, समय आता है तो सिर चढ़कर बोलता है। उन्होंने कहा कि अयोध्या मंदिर के निर्माण पर कहा कि अयोध्या मंदिर निर्माण का प्रयास सभी ने किया लेकिन, गोवर्धन धारण तो कृष्ण की उंगली पर ही हुआ। डॉ. मोहन भागवत ने इस अवसर पर कहा कि शस्त्र दुनिया में चाहिए, पर धारण करने वाला राम भी चाहिए। अच्छे भोजन के बाद कड़वा चूर्ण के रूप में संतों के प्रवचन के बाद मेरी बात है, इससे जीवन सुधर सकता है। रामायण और महाभारत के मर्म पर मोहन भागवत ने बताया कि महाभारत हमें सिखाती है दुनिया कैसी है और रामायण से हमें सीख मिलती है कि यहां रहना कैसे है?
साधु प्रतिष्ठा को नहीं निष्ठा को प्रणाम करता है : मोरारी बापू
विख्यात मानस मर्मज्ञ पं. रामकिंकर जी की तीन दिवसीय जन्मशताब्दी समारोह पूरी गरिमा के साथ बुधवार को चित्रकूट में संपन्न हो गया। प्रख्यात राम कथा वाचक मुरारी बापू, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सरसंघचालक डॉ.माोहन भागवत, स्वामी चिदानंद और उत्तम स्वामी की उपस्थिति में जन्मशताब्दी समारोह की पूर्णाहुति हुई। इस अवसर पर प्रख्यात चिंतकों, संतों एवं कथा वाचकों ने कार्यक्रम में उपस्थित जनसमुदाय को संबोधित किया।प्रख्यात संत एवं राम कथा वाचक मुरारी बापू ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघ चालक मोहन भागवत जी को राष्ट्रपुरुष संबोधित करते हुए कहा कि साधु प्रतिष्ठा को नहीं निष्ठा को प्रणाम करता है मैं भी आपकी राष्ट्रनिष्ठा को प्रणाम करता हूं। श्री मैथिलीशरण जी को आत्मीय आदर देते हुए मुरारी बापू ने कहा कि कोई मेवा के लिए गुरु के निकट होता है कोई सेवा के लिए, परंतु मैथिलीशरण जी तो सबल सरल और संवेदनशील है। संवेदना का अभाव होने से चलकर भी हम लक्ष्य प्राप्त नहीं कर पाते हैं। सबल को परिभाषित करते हुए बापू ने कहा कि एक बालक जैसे अपने पिता की मूंछ और बाल खींचता है, मैथिलीशरण जी की ग्रंथ और गुरु में अटूट निष्ठा सही रूप में अनुष्ठान है, यहां का स्मरण सालों रहेगा। यहां आकर मैं धन्य भी हुआ, प्रसन्न भी हुआ और चैतन्य भी हुआ। लगा मैं भी मैथिलीशरण जी की तरह इस अनुष्ठान का यजमान हूं।
सनातन बचेगा तो आप बचेंगे
सनातन समाज को बहुत कुछ सोचने की जरूरत है, ध्यान राम का करें और जीवन राष्ट्र का जियें। कास्ट से ऊपर राष्ट्र की बात करें,जातियों का सम्मान करें। संस्कृति और संस्कारों के बल पर हमने दुनिया को बहुत कुछ सिखाया है। भारतीय नेतृत्व ने नारों से नहीं विचारों से दुनिया को बहुत कुछ दिया है। भारत पद नहीं पादुका की धरती है, प्रतिष्ठा नहीं निष्ठा की धरती है।
राम और गीता को समझना है तो रामकिंकर को सुनिए : उत्तम स्वामी जी
13 वर्ष की अवस्था में संन्यास लेने वाले मां नर्मदा के उपासक उत्तम स्वामी जी ने कहा कि भारत में राम और गीता को समझना है तो पंडित रामकिंकर जी को सुनिए, अलग-अलग 4 आचार्य के संपूर्ण स्वरूप रामकिंकर जी है, वेद में भेद है देव में भेद है, पर संत की कृपा में कोई भेद नहीं है। भगवान दुष्ट को मारता है संत दुष्टता को मारता है, संतों का सानिध्य समाधि है। रामकिंकर जी शंकराचार्य से कम नहीं है।
मेरे जीवन में महाराज जी ने कृपा फाड़ कर दिखा दी : स्वामी मैथिलीशरण
सभी के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करते हुए श्री रामकिंकर विचार मिशन के संस्थापक अध्यक्ष स्वामी मैथिलीशरण जी ने कहा कि मैं यजमान नहीं मैं तो सेवक हूं। पूज्य महाराज जी ने मेरे जीवन में कृपा फाड़ कर दिखा दी है। आप सभी महापुरुष आज मुझे इसलिए मिले हैं क्योंकि मेरे जीवन में मुझे महाराज श्रीराम किंकर जी मिल गए। संत की कृपा का फल भगवान है। भगवान की कृपा का फल आप सभी हैं, महाराज जी ने जिसका हाथ पकड़ा उसे कभी छोड़ा नहीं। मैथिलीशरण जी ने कहा कि उत्तम स्वामी जी के रूप में वह मां नर्मदा को, डॉ.मोहन भागवत जी के रूप में देश को, मुरारी बापू जी के रूप में समुद्र को और चिदानंद जी के रूप में मां गंगा को प्रणाम करते हैं।
संतों और भक्तों को श्री रामकिंकर भारत भूषण सम्मान
श्री श्रीधर धाम दास हनुमान देवस्थान आश्रम में श्री रामकिंकर जन्मशताब्दी समारोह में देश के प्रख्यात संत मुरारी बापू तथा श्री रामकिंकर विचार मिशन के संस्थापक अध्यक्ष स्वामी मैथिलीशरण जी ने रामकथा रसिक संतों और भक्तों को श्रीरामकिंकर भारत भूषण सम्मान से सम्मानित किया। पूर्णाहुति समारोह में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ.मोहन भागवत जी, परमार्थ निकेतन ऋ षिकेश के महंत स्वामी चिदानंद जी महाराज उपस्थित रहे। भव्य आयोजन में भारत के ख्यात रामकथा प्रवक्ता प्रेमभूषण जी महाराज, वृंदावन के प्रमुख भागवत प्रवक्ता मनोज मोहन जी शास्त्री, मुंबई की प्रसिद्ध भजन गायिका बीनाजी देसाई, डॉ अनामिका तिवारी जबलपुर, सुश्री संगीता शर्मा – राजीव शर्मा देहरादून, लखन लाल असाटी छतरपुर, श्री रामकृष्ण मिशन रायपुर के स्वामी प्रपत्यानंद जी महाराज, रामायणी कुटी चित्रकूट महंत रामहृदय दास जी महाराज, महामंडलेश्वर संतोषदास जी महाराज, आनंदावन मोती झील वृंदावन अध्यक्ष स्वामी श्रवणानंद सरस्वती जी तथा प्रख्यात भजन गायिका पद्मश्री श्रीमती मालिनी अवस्थी को श्री रामकिंकर भारत भूषण सम्मान से सम्मानित किया गया, सभी को स्फटिक माला, अंगवस्त्र, रामचरित मानस और सम्मान पत्र के साथ देश के महान संतों का आर्शीवाद भी प्राप्त हुआ।

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