मध्यप्रदेश

सोलर पैनल के जरिए सौर ऊर्जा उत्पादन के साथ फूल और सब्जी की खेती का प्रदेश में पहली बार कृषि विश्वविद्यालय परिसर में नवाचार

 ग्वालियर
 सोलर पैनल के जरिए सौर ऊर्जा उत्पादन के साथ फूल और सब्जी की खेती का प्रदेश में पहली बार राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय परिसर में नवाचार किया जाएगा। सौर ऊर्जा के इस माडल से बनने वाली बिजली का व्यवसायिक उपयोग किया जाएगा।

आमतौर पर कम हाइट के सोलर पैनल लगाए जाते हैं, लेकिन यहां आठ फीट के सोलर पैनल लगाए जाएंगे। इस माडल के निर्माण पर 180.62 लाख रुपये की धनराशि खर्च की जाएगी।

प्रोजेक्ट के प्रारूप की जानकारी देते हुए डा. वायपी सिंह निदेशक विस्तार सेवा ने बताया कि राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत इस माडल को लगाया जाएगा। इससे बिजली और फसल दोनों का उत्पादन संभव हो सकेगा। इसीलिए इस प्रोजेक्ट को गहन सब्जी खेती के लिए सौर ऊर्जा माडल नाम दिया गया है। सोलर प्लेट लगे होने के बावजूद भिंडी, टमाटर, गोभी, मिर्च, लौकी के साथ फूलों की खेती की जा सकेगी।

वर्षा के पानी को हार्वेस्टिंग से तालाब में ले जाया जाएगा

डा. सिंह ने बताया कि सोलर पैनल पर गिरने वाले वर्षा के पानी को तालाब में ले जाया जाएगा। इस पानी का री-यूज भी किया जाएगा। बिजली उत्पादन कर बिजली कंपनी को देंगे। सोलर पैनल के अलग-अलग सिस्टम लगाए जाएंगे। इस माडल को टेस्ट भी किया जाएगा, जो माडल अच्छा होगा उसे किसानों को दिखाया जाएगा।

इसके साथ ही किसानों को बताया जाएगा कि इस तरह सब्जी व फूलों की खेती करें। इसके साथ ही खुले में होने वाली खेती और सोलर पैनल में नीचे होने वाली खेती पर जलवायु के प्रभाव का अध्ययन भी किया जाएगा।

    विश्वविद्यालय पहला संस्थान होगा जहां सौर ऊर्जा माडल का उपयोग बतौर नवाचार के रूप में किया जाएगा। इस योजना के तहत सोलर पैनल के नीचे सब्जी और फूलों की खेती की जाएगी। साथ ही जलवायु परिवर्तन की स्टडी भी हम करेंगे। डा.अरविंद शुक्ला, कुलपति, राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय

किसानों ने सीखी पौध उत्पादन की बारिकियां

मेला रोड स्थित शासकीय पौधशाला में शुरू हुए चार दिवसीय जिला स्तरीय किसान मेले में  भितरवार विकासखंड के किसान पहुंचे। संयुक्त संचालक उद्यान बृजेन्द्र भदौरिया ने कहा कि किसान संरक्षित बागवानी, नर्सरी उत्पादन के साथ अन्य तरीकों से भी अपनी आमदनी में बढ़ोतरी कर सकते हैं। सहायक संचालक उद्यान महेश प्रताप सिंह बुंदेला ने किसानों को विभिन्न प्रकार की खेती के लिए बनाए जाने वाले ढांचों के बारे में बताया।

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