उत्तर प्रदेश

अयोध्या में दशहरा के अवसर पर राम मंदिर में भी इस परंपरा को शुरू किया गया, हुई शस्त्र पूजन

अयोध्या
भगवान राम नगरी अयोध्या में मंदिर में पहली बार शस्त्र पूजन कार्यक्रम कराया गया है। दशहरा के अवसर पर शस्त्र पूजन की पौराणिक काल से परंपरा चली आ रही है। अयोध्या राम मंदिर में भी इस परंपरा को शुरू किया गया है। नियमित पूजा-अर्चना के साथ शस्त्र पूजन की अलग से तैयारी भी की गई। शस्त्र पूजन का कार्यक्रम भोर से ही आरंभ हुआ।

बता दें कि देश-दुनिया में प्रभु श्रीराम की पूजा इसलिए की जाती है कि उन्होंने राक्षसी शक्तियों पर विजय की प्राप्ती की थी। लेकिन, रामजन्मभूमि में अब तक भगवान राम को एक बालक के रूप में पूजा जाता रहा था। दरअसल, 22-23 दिसंबर 1949 को अयोध्या में प्रभु रामलला के नवजात शिशु रूप की स्थापना हुई थी। उनके पास कोई शस्त्र नहीं था। इस कारण अन्य वैष्णव मंदिरों की तर्ज पर भगवान के अस्त्रों की पूजा की यहां परंपरा नहीं थी। 22 जनवरी 2024 को प्रभु रामलला के पांच वर्षीय बालक स्वरूप की स्थापना राम जन्मभूमि मंदिर में की गई। प्रभु रामलला अपने हाथ में तीर-धनुष लिए हुए हैं। इसलिए, अब राम मंदिर में भी शस्त्र पूजन की विधि को पूरा कराया गया है।

क्यों होती है शस्त्र पूजा?
हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार महाबली राक्षस महिषासुर को युद्ध के लिए ललकारने से पहले देवताओं ने मां दुर्गा के साथ -साथ उनके शस्त्रों का भी पूजन किया था। भगवान राम के भी लंकापति रावण के साथ युद्ध के पहले गुरुओं की विद्या और उनके शस्त्रों के पूजन का जिक्र मिलता है। शस्त्रों की पूजा के जरिए लोग अपनी शक्तियों को पूजते हैं।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button