महाराष्ट्र में आरक्षण मामला हिंसक हुआ, मराठा और OBC कार्यकर्ताओं में हाथापाई, गाली-गलौज
पुणे
महाराष्ट्र में आरक्षण की लड़ाई में एक बार फिर मराठा कार्यकर्ता और ओबीसी कार्यकर्ता आमने-सामने आ गए हैं। इस बार मामला हिंसक हो चुका है और नौबत हाथापाई और गाली-गलौज तक पहुंच गई है। पुणे में मराठा समुदाय के सदस्यों ने अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) कार्यकर्ता लक्ष्मण हाके के साथ कथित तौर पर हाथापाई और गाली-गलौज की है। पुलिस ने मंगलवार को यह जानकारी दी। एक अधिकारी ने बताया कि सोमवार रात को कोंढवा के निकट हुई इस घटना को लेकर 25 लोगों के खिलाफ एक मामला दर्ज किया गया है।
सोशल मीडिया पर सामने आये एक वीडियो में मराठा समुदाय के लोग हाके के खिलाफ प्रदर्शन करते नजर आ रहे हैं। मराठा समुदाय के लोगों ने दावा किया कि हाके नशे में थे और उनमें से कुछ लोगों के साथ गाली-गलौज की। कोंढवा पुलिस थाने के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘‘हमने ओबीसी कार्यकर्ता लक्ष्मण हाके के साथ दुर्व्यवहार और हाथापाई करने के लिए भारतीय न्याय संहिता की संबंधित धाराओं के तहत 25 लोगों के खिलाफ एक मामला दर्ज किया है और मामले की जांच की जा रही है।’’
अधिकारी ने कहा कि प्रदर्शनकारी हाके को पुलिस थाने में लाये और उनके नशे में होने का आरोप लगाते हुए मांग की कि उनकी चिकित्सा जांच कराई जाये। उन्होंने कहा कि कार्यकर्ता को कल देर रात भारी सुरक्षा के बीच ससून जनरल अस्पताल ले जाया गया। अधिकारी ने कहा, ‘‘हाके जांच कराने के लिए तैयार थे क्योंकि वे अपने खिलाफ लगे आरोपों से मुक्त होना चाहते थे। जांच के नतीजे दो दिन में आ जाएंगे और उसके आधार पर हम आवश्यक कार्रवाई करेंगे।’’
इस बीच, हाके ने दावा किया कि उनकी हत्या की साजिश रची गई थी और कहा कि पुलिस उनके खिलाफ लगाए गए आरोपों की जांच कर रही है। पिछले सप्ताह हाके और उनके साथी ओबीसी कार्यकर्ता नवनाथ वाघमारे ने मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जरांगे द्वारा अपनी अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल वापस लेने के बाद अन्य पिछड़ा वर्ग के वास्ते आरक्षण सुनिश्चित करने के लिए जालना में शुरू किया गया अपना अनशन स्थगित कर दिया था। जरांगे मराठा समुदाय के लिए ओबीसी श्रेणी के तहत आरक्षण की मांग कर रहे हैं।
ऐसा पहली बार नहीं हुआ है, जब मराठा कार्यकर्ता और ओबीसी कार्यकर्ता आमने-सामने आए हैं। इसी साल जून महीने में भी मराठा आंदोलनकारी मनोज जरांगे और ओबीसी कार्यकर्ता लक्ष्मण हाके आमने-सामने आ गए थे। हाके ने तब कहा था कि ‘कुनबी’ और ‘मराठा’ समुदाय पूरी तरह से अलग-अलग हैं। हाके ने मराठों को कुनबी ओबीसी श्रेणी के तहत आरक्षण नहीं देने की वकालत और मांग की थी, जबकि मराठा कुनबी समुदाय के तहत ओबीसी आरक्षण की मांग कर रहे हैं।
इधर मनोज जरांगे पाटिल ने आरक्षण की मांग पर फिर से अनशन शुरू किया था जो अब खत्म हो गया है। मराठा समुदाय के सदस्यों की अपील का हवाला देते हुए जरांगे ने 25 सितंबर को अपना अनशन खत्म कर दिया था। अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी के तहत मराठा समुदाय को आरक्षण देने की मांग को लेकर जरांगे 17 सितंबर को भूख हड़ताल पर बैठे थे, जो एक साल में उनकी छठी हड़ताल थी। जरांगे ने एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली महायुति सरकार को फिर से धमकी दी कि अगर वह ओबीसी समुदाय के नेताओं के दबाव में आकर मराठा कोटा के लिए अपने आश्वासन से पीछे हटती है, तो यह आगामी महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में सत्तारूढ़ गठबंधन के लिए महंगा साबित होगा। जरांगे ने गरीबों और जरूरतमंदों सहित लोगों से महाराष्ट्र में बीड जिले के नारायणगढ़ में आयोजित होने वाली दशहरा रैली में एकता दिखाने की अपील की है।