मदुरै के मीनाक्षी अम्मन मंदिर में मार्गाजी अष्टमी रथ महोत्सव में भाग लेने के लिए सड़कों पर भक्तों का सैलाब उमड़ आया
मदुरै
मदुरै के मीनाक्षी अम्मन मंदिर में गुरुवार को मार्गाजी अष्टमी रथ महोत्सव में भाग लेने के लिए सड़कों पर भक्तों का सैलाब उमड़ आया। जैसे पुरी में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा निकलती है, उसी प्रकार मीनाक्षी मंदिर में पौष मास की अष्टमी तिथि पर मार्गाजी का रथ महोत्सव मनाया जाता है।
जयकारों से गूंज उठा पूरा शहर
पूरा शहर भगवान मीनाक्षी अम्मन के जयकारों से गूंज उठा। भक्तों ने शंख, ढोल और नगाड़े बजाते हुए इस भव्य कार्यक्रम में भाग लिया। भीड़ को नियंत्रित करने के लिए बड़ी संख्या में पुलिसकर्मी तैनात रही। यह त्यौहार हर साल मार्गशीर्ष महीने में मनाया जाता है, जिसे तमिल में मार्गाजी के नाम से जाना जाता है।
मिलता है देवी-देवताओं का आशीर्वाद
हिंदू परंपरा के अनुसार, मार्गशीर्ष का महीना आध्यात्मिक विकास के लिए शुभ माना जाता है। इस महीने में ध्यान और उपवास के माध्यम से भगवान श्री कृष्ण, शिव, शक्ति, विष्णु और अन्य देवी-देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है।
नगर भ्रमण पर निकलती है माता मीनाक्षी अम्मन और सुंदरेश्वर भगवान
मार्गाजी अष्टमी रथ महोत्सव में माता मीनाक्षी अम्मन और सुंदरेश्वर की मूर्तियां को रथ में रखकर नगर भ्रमण के लिए निकाली जाती है। परंपरा के अनुसार, महिलाएं रथ को खींचती हैं, जो इस उत्सव का मुख्य आकर्षण है। महिलाओं द्वारा रथ खींचने का वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है। भगवान कृष्ण ने भगवद गीता में भी मार्गशीर्ष महीने के महत्व का उल्लेख किया है।
मार्गशीर्ष का महीना आध्यात्मिक महत्व
हिंदू परंपरा के अनुसार, इस महीने में धार्मिक उपदेश, जप, ध्यान और भजन-कीर्तन करना चाहिए। लेकिन एसी मान्यता है कि इस महीने में शादी-ब्याह जैसे कोई भी धार्मिक आयोजन नहीं किए जाते हैं। मदुरै में कई महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार मनाए जाते हैं।
मार्गाजी अष्टमी रथ महोत्सव पर विभिन्न आयोजन
मार्गाजी अष्टमी रथ महोत्सव के दौरान चेन्नई में शास्त्रीय संगीत, नृत्य शैलियां, नृत्य महोत्सव भरतनाट्यम, भक्ति संगीत छंदों के साथ कर्नाटक संगीत समेत कई कार्यक्रम मंदिरों में मनाया जाता है।यह सांस्कृतिक उत्सव कई सभागारों और सभाओं में आयोजित किया जाता है।
गंगा-जमुना तहजीब का संगम
इस उत्सव में तमिल, तेलुगु, संस्कृत और कन्नड़ गीतों के साथ-साथ बांसुरी, वीणा, गोट्टुवाद्यम, नादस्वरम, थविल, मृदंगम और घटम जैसे वाद्ययंत्रों का जादू देखने-सुनने को मिलता है। इसके साथ ही यहां आपको गंगा-जमुना तहजीब का संगम भी देखने को मिलता है।