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मुख्यमंत्री आतिशी उस कुर्सी पर नहीं बैठीं जिस पर अब तक केजरीवाल बैठा करते थे, छिड़ा नया विवाद

नई दिल्ली
दिल्ली की नई मुख्यमंत्री आतिशी के कार्यभार संभालने के साथ ही ' CM की कुर्सी' को लेकर नया विवाद छिड़ गया है। मुख्यमंत्री कार्यालय में आतिशी उस कुर्सी पर नहीं बैठीं जिस पर अब तक अरविंद केजरीवाल बैठा करते थे। नई सीएम ने अपने लिए एक दूसरी और छोटी कुर्सी लगाते हुए कहा कि केजरीवाल की कुर्सी उनके लौटने का इंतजार करती रहेगी। भारतीय जनता पार्टी ने आतिशी के इस कदम को संविधान के खिलाफ बताया है। भाजपा सांसद मनोज तिवारी ने तंज कसा और पूछा कि जो लेटर उन्होंने आतिशी को लिखा था क्या अब उसे कोई आत्मा पढ़ेगी?

मनोज तिवारी ने एएनआई से बातचीत में ‘खाली कु्र्सी’ को लेकर निशाना साधते हुए कहा, 'केजरीवाल कब आएंगे, उन्हें कौन लाएगा यह तो बाद की बात है, लेकिन अभी तो आतिशी जी ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली है। अब अगर वह खाली कुर्सी दिखाती हैं तो सोचिए कितने सवाल खड़े होते हैं। इसका मतलब वह खुद को सार्वभौम मुख्यमंत्री नहीं मानतीं। जो मुख्यमंत्री होकर भी दूसरे को मानता है तो वह मुख्यमंत्री पद का अनादर कर रहा है, संविधान का अनादर कर रहा है। जैसे मैंने आतिशी जी को यह चिट्ठी लिखी, क्या हम इसे किसी आत्मा को पढ़वाएंगे। इसे कौन पढ़ेगा, अगर आप यह दिखा रही हैं कि चार महीने कोई आत्मा चलाएगी तो हमारी चिट्ठी को कौन पढ़ेगा?'

भाजपा सांसद ने कहा कि इतने सारे सवालों के बीच में एक मुख्यमंत्री कैसे कह सकता है कि हमारे ऊपर भी कोई है, मैं कठपुतली हूं। एक पोस्टर भी वायरल हो रहा है, उसे तो उन्होंने सच साबित कर दिया है। मैंने चिट्ठी में उन्हें कहा था कि हम आपको पूरा समर्थन देने वाले हैं चार महीने में। वह आत्मा बिठा रही हैं। सुनने में हंसी आ सकती है, लेकिन यह बहुत गंभीर मुद्दा है। दिल्ली के जख्म पर आतिशी जी नमक छिड़क रही हैं। मनोज तिवारी ने भगवान राम से केजरीवाल की तुलना पर आपत्ति जताई और कहा कि आप नेता वनवास नहीं गए, बल्कि अपने राजमहल में ही हैं।

गौरतलब है कि आतिशी ने केजरीवाल की कुर्सी को खाली रखकर कहा है कि वह उसी तरह 4 महीने शासन चलाएंगी जिस तरह भगवान राम के वनवास जाने पर भरत ने खड़ाऊं रखकर अयोध्या का कामकाज संभाला था। कथित शराब घोटाले में जमानत के बाद केजरीवाल ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है।

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