मध्य प्रदेश में सर्वाधिक सड़क दुर्घटनाओं और मौत का गवाह बना राऊ-खलघाट फोरलेन का गणपति घाट प्रयोगशाला बन गया
धार
मध्य प्रदेश में सर्वाधिक सड़क दुर्घटनाओं और मौत का गवाह बना राऊ-खलघाट फोरलेन का गणपति घाट प्रयोगशाला बन गया है। यहां कभी डिवाइडर रखे जाते हैं, तो कभी बड़े स्पीड ब्रेकर बनाए जाते हैं। इसके बावजूद दुर्घटनाओं और मौतों का सिलसिला दशक भर से थमा नहीं है। नए प्लान में वाहनों को तीन माह तक 30-30 सेकंड की अवधि तक रोककर आगे बढ़ाया जाना तय हुआ था, लेकिन इसे लागू होने के पहले ही रद्द कर दिया है। आगरा-बांबे राष्ट्रीय राजमार्ग पर बने इस घाट से प्रतिदिन करीब 15 हजार वाहन गुजरते हैं। वाहनों को 30 सेकंड रोका गया, तो एक दिन में करीब 3 हजार वाहन ही निकाले जा सकेंगे। शेष 12 हजार वाहनों की प्रतिदिन रेलमपेल मच जाएगी।
गौरतलब है कि गणपति घाट उतरने वाली लेन पर अत्यधिक ढलान होने से वाहनों के प्रतिदिन ब्रेक फेल होने से हादसे होते हैं। घाट पर 15 साल में 3700 हादसे हो चुके हैं। इनमें 400 लोग की मौत हो चुकी है और 1850 से ज्यादा घायल हुए हैं। नई सड़क में अभी तीन माह और घाट पर हादसे रोकने के लिए 9 किलोमीटर की नई सड़क भी बनाई जा रही है, लेकिन इसका काम इतना जटिल और धीमा है। इसे बनाने में अभी करीब 3 महीने का वक्त और लगेगा।
ये उपाय कर रहे हैं
शनिवार को सड़क पर लोहे की कोठियां लगाकर जिगजैग बनाया गया है, जिससे वाहन टेढ़े-मेढ़े एवं घूमकर निकल रहे हैं। दो पुलिस जवानों की तैनाती भी की है, जो वाहन चालकों को धीरे और अपनी लेन में चलने को कह रहे हैं। इससे वाहन की गति धीमी हुई है।
दूसरे प्लान की तैयारी
मोनिका सिंह, एसडीओपी, धामनोद ने कहा कि जिगजैग के माध्यम से वाहनों को धीरे-धीरे निकाला जा रहा है। पुलिस की तैनाती की है। 30 सेकंड वाहनों को रोककर फिर रवाना करने वाले प्लान में हम बदलाव कर रहे हैं। यहां से प्रतिदिन 15 हजार वाहन निकलते हैं। अगर, हम वाहनों को 30 सेकंड रोकेंगे तो एक दिन में करीब 3 हजार वाहन ही निकाल पाएंगे। इससे परेशानियां आएंगी, इसलिए हम नया प्लान तैयार कर रहे हैं।