भगवान से सौदेबाजी के बजाय उनके गुणों को धारण करें: राजयोगिनी उषा दीदी
नम्रता का गुण अहंकार को पिघला देता है, क्रोध कमजोरी है शांति शक्ति है
सफल एवं सुखी जीवन का आधार- गीता सार विषय पर प्रवचन का तीसरा दिन
भोपाल
प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के अंतर्राष्ट्रीय मुख्यालय माउंट आबू से पधारी राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी उषा दीदी के भोपाल आगमन पर सफल एवं सुखी जीवन का आधार गीता सार के त्रिदिवसीय आयोजन के त्रितीय दिवस भी नर्मदापुरम रोड स्थित उत्सव गार्डन में आयोजित कार्यक्रम में श्रीमद्भागवद्गीता के महत्व पर प्रवचन का आयोजन हुआ |
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राजयोगिनी उषा दीदी ने बताया कि बिन नागे मोती मिले, मांगत मील न भीख । भगवान से मांगना नही है, बल्कि ऐसे श्रेष्ठ कर्म करने है जिससे भगवान के सारे खजाने मुजगे प्राप्त हो जाये। क्योकि हम भगवान के बच्चे हैं, और भगवान के खजाने पर बच्चों का अधिकार होता है। आत्मा के सात गुणों से बैटरी चार्ज होती है। सात गुण आत्मा की बैटरी है जो डिस्चार्ज हो गई है, उसको चार्ज कैसे करें।
काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार, ईर्ष्या, द्वेष, छल ये ओर धर्म हैं जिससे बैटरी डिस्चार्ज होती है। आपको प्यार चाहिए तो निःस्वार्थ प्यार देना शुरू करो। आप जो देंगे वही आपको मिलेगा। लोग भगवान से भक्ति करते हैं उसमें भी शर्तें लगा देते हैं , की भगवान आप मेरे ये कार्य करो तो मैं आपको इतना दूंगा। मतलब यदि वो कार्य नही हुआ तो वो भी विश्वास डगमगा जाता है।
दीदी ने बताया कि नम्रता की शक्ति से अहंकार पिघल जाता है। आजकल लोग सोचते हैं कि क्रोध नही करेगे तो काम नही होंगे। और शांत रहने वाले का कोई कार्य नही होता। परंतु क्रोध एक कमजोरी है और शांति में रहने से आत्मिक शक्ति आती है जिसके आधार पर हर कार्य हो जाते हैं।
कार्यक्रम की आयोजक ब्रह्माकुमारिज ब्लेसिंग हाउस प्रभारी बी के डॉ. रीना दीदी ने कार्यक्रम को सफलबनाने के लिए भोपालवासियों का आभार व्यक्त किया।
ब्रह्माकुमारीज के बी के राहुल भाई मंच का कुशलतापूर्वक संचालन किया |